पंडित & शीला पार्ट--49 
गतांक से आगे …………..
आज तो दोनों एक -दुसरे को कच्चा खा जाने के मूड में थे ..रितु बड़ी अजीब सी आवाजें निकालते हुए पंडित जी के लंड को चूस रही थी ..और पंडित जी भी उसकी चूत की परतों को हटा कर अपनी जीभ को अन्दर तक घुसा रहे थे ..
पंडित जी का लंड चूसते -२ रितु ने उनसे कहा : "पता है ..जब मैं यहाँ आ रही थी तो माँ की आँखों में देखकर ये लग रहा था की उनका भी मन है ..पर ना जाने क्यों उन्होंने कुछ कहा नहीं ..”
इतना कहकर वो फिर से इनके लंड को चूसने लगी ..
उसकी बात सुनकर पंडित जी के मन में एक ख्याल आया ..क्यों न दोनों माँ बेटियों को एक साथ चोदा जाए ..वो बोले : "एक काम करना ..कल अपनी माँ को भी लेकर आना इसी वक़्त यहाँ ..बोलना मैंने बुलाया है ..”
उनकी बात सुनकर रितु पलटकर फिर से उनके ऊपर आ गयी और उनके होंठों को चूसते हुए बोली : "आपने तो मेरे मन की बात बोल दी है …मेरा भी मन है की मैं माँ के साथ वो सब करू …”
और फिर वो पंडित जी के चेहरे पर टूट पड़ी ..और अपनी गोलाईयां उनके सीने से मसलते हुए अपनी चूत वाले हिस्से को उनके लंड से रगड़ने लगी ..
पंडित जी से भी सहन करना अब मुश्किल हो रहा था ..उनके मुंह में उसकी चूत के रस का स्वाद अभी तक था और उन्हें अभी भी प्यास लग रही थी ..उन्होंने रितु को बेड पर लिटाया और खुद नीचे खिसक कर उसकी चूत अक पहुँच गए और अपनी जीभ से उसकी चूत के अन्दर के खजाने को कुरेद कर बाहर निकालने लगे ..और रितु खुद ही अपने शरीर को ऊपर नीचे करके उनकी जीभ के स्पर्श को चूत के चेहरे पर महसूस करने लगी ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …पंडित जी ….बस यही सब मैं मिस कर रही थी ….जैसा आप चूसते है …वैसा कोई नहीं ….अह्ह्ह …अब जल्दी से वो भी करो जो आप जैसा कोई और नहीं कर सकता …चोदो मुझे ..पंडित जी ….चोदो ….बुझा दो मेरी सारी प्यास …अह्ह्ह्ह्ह …..”
इतना कहकर उसने पंडित जी के चोटी वाले सर को ऊपर खींच लिया और उनके होंठों पर लगे हुए रस को चाटकर अपनी चूत का स्वाद खुद भी चख लिया ..
पंडित जी ने अपने हाथ की दो उँगलियों को उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया और बचा हुआ खजाना उनकी मदद से बाहर निकालने लगे ..
रितु चिल्लाई : "अह्ह्ह्ह्ह …..अब और मत तरसाओ ….जल्दी से अपना लंड डालो …अन्दर ….और चोदो मुझे ….”
इस बार रितु की आवाज में एक आदेश भी था ..जिसे पंडित जी ने झट से मान लिया ..
उन्होंने अपना लंड उसकी चूत की गुफा के मुहाने पर रखा ..और एक मीठे से धक्के के साथ उसे अन्दर खिसका दिया …
‘म्म्म्म्म्म्म्म्म ……अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..पंडित जी ……ओफ़्फ़्फ़्फ़ …….आप नहीं जानते …..क्या चीज पाल रखी है आपने …..इसने तो दीवाना बना डाला है मुझको …..और मेरी माँ को ….”
उसकी बात सुनकर पंडित जी मुस्कुराये बिना नहीं रह सके ..
और फिर तो पंडित जी ने धक्के मार मार कर उसकी माँ बहन एक कर दी ..
”ओफ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्ह्ह …उम्म्म ….येस्स ….अह्ह्ह ..और तेज ….उम्म्म्म्म ….हां न…। …..ऐसे ही …अऒऒओ …ऒऒऒ …..आ गयी …..अह्ह्ह मैं …..आयीईई ………”
और वो आँखे बंद करके अपने ओर्गास्म को महसूस करके गहरी साँसे लेने लगी ..और उसने झुककर पंडित जी के होंठों को अपने मुंह में भर लिया ..और ऐसा करते ही पंडित जी के लंड से भी ढेर सारी गोलियां निकलकर रितु की चूत में जाने लगी …
पंडित जी बस आँखे बंद करके वो सुख महसूस करने में लगे हुए थे ..उनके मन में कई विचार एक साथ चल रहे थे ..जैसे कल कैसे रितु और माधवी को एक साथ चोदेंगे …और कल कोमल अपनी कौनसी इच्छा उनसे पूरी करवाएगी …
अगले दिन पंडित जी जब फ्री हुए तो थोड़ी देर बैठकर वो सोचने लगे की आखिर कोमल उनसे ही वो सब क्यों करवा रही है ..वो चाहती तो किसी के साथ भी ऐसा एक्सपीरियंस ले सकती थी ..फिर भी उसने उन्हें ही क्यों चुना ..पर काफी सोचने के बाद भी उन्हें कुछ समझ नहीं आया ..
उन्होंने टाइम देखा …एक बजने वाला था ..कभी भी कोमल का फ़ोन आ सकता था ..
पर अगले आधे घंटे तक भी उसका फ़ोन नहीं आया तो वो इन्तजार करते -२ ऊँघने लगे ..तभी उनके कमरे के पीछे वाले दरवाजे पर दस्तक हुई ..
उन्होंने दरवाजा खोला तो चकित रह गए ..वहां कोमल खड़ी थी ..उसने बड़े अजीब से कपडे पहने हुए थे …सलवार कुर्ता …और ऊपर से एक जेकेट भी .
वो जल्दी से अन्दर आई ..पंडित जी कुछ पूछ पाते इससे पहले ही वो उनके बाथरूम में घुस गयी जैसे उसे जोर से पेशाब लगा हो ..और लगभग पांच मिनट के बाद जब वो बाहर निकली तो उसकी वेशभूषा पूरी बदल चुकी थी ..उसने एक स्किन टाइट ब्लेक जींस पहन ली थी जिसमे उसकी टांगो और गांड के पुरे कटाव दिखाई दे रहे थे …बाल खोल लिए थे ..और ऊपर उसने ब्लेक कलर की ही टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी ..जिसमे से उसके गोरे और भरे हुए उभार लगभग पुरे ही दिखाई दे रहे थे .
उसने बड़ी ही अदा से अपने सर के ऊपर हाथ रखा और पंडित जी से बोली : "कैसी लग रही हु पंडित जी मैं ..”
अब येही सवाल पंडित जी के बदले अगर उसने उनके लंड से किया होता तो जवाब कब का मिल चुका होता ..क्योंकि लंड की जुबान नहीं होती ..वो तो बस खड़ा होकर अपनी सहमति प्रकट कर देता है ..
पर यहाँ तो जुबान पंडित जी की गायब हो चुकी थी ..उसने इतनी सेक्सी ड्रेस में लड़की आज तक नहीं देखि थी ..वो धीरे से बोले : "उम्म्म …ये ..ये सब क्या है …कोमल …”
कोमल (घूम कर अपनी पूरी ड्रेस उन्हें दिखाते हुए) : "ये मेरी ड्रेस है ..पंडित जी ..पता है , मैंने लास्ट इयर ली थी , जब मैं दीदी के पास आई थी रहने के लिए ..पर जब घर लेकर आई तो उन्होंने बहुत डांटा था .बोले, मैं ऐसे कपडे नहीं पहन सकती, और गाँव जाकर तो वैसे भी पोस्सीबल नहीं था, इसलिए ये कपडे इस बार भी मैं वापिस ले आई, थोड़े टाईट हो गए है ..पर अभी तक इन्हें पहनने का लालच मेरे अन्दर बना हुआ है ..मैं इन्हें पहन कर बाहर घूमना चाहती हु …."
पंडित : "और तुम चाहती हो की मैं तुम्हारे साथ चलू ..”
कोमल : "और नहीं तो क्या …चलिए, आप भी जल्दी से तेयार हो जाओ ..आज मुझे शोपिंग करनी है ..”
पंडित : "पर मुझे एक बात बताओ ….ये सब तुम मुझसे ही क्यों करवा रही हो …क्या मिल रहा है तुम्हे ..तुम्हारी ऐसी उल जलूल की इच्छाओं की पूर्ति के लिए मैं अपना मान सामान दांव पर नहीं लगा सकता ..यहाँ सब लोग मुझे जानते हैं, मेरी इज्जत करते हैं, उन्होंने मुझे तुम्हारे साथ ऐसे कपडे में देख लिया तो क्या बोलेंगे .. नहीं .. नहीं ..मैं नहीं कर सकता ये सब …”
कोमल का चेहरा एक दम से उतर गया ..वो रुन्वासी सी होकर बोली : "ये आप क्या कह रहे हैं पंडित जी …मेरे मन में कोई छल कपट नहीं है ..आप मुझे अच्छे इंसान लगे, इसलिए मैंने अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आपको जरिया बनाया ..वर्ना मेरा इरादा आपके सम्मान को ठेस पहुंचाना नहीं था ..और रही बात आपके फायेदे की तो मेरी जैसी हॉट लड़की आपके साथ ये सब कर रही है ..कुछ तो फायेदा मिल रहा होगा आपको , जो आप भी मेरे साथ हमउम्र बनकर मेरा साथ देने चल पड़ते हो ..”
उसकी मासूम सी बात का पंडित जी के पास कोई जवाब नहीं था ..या तो वो बहुत मासूम थी या फिर हद से ज्यादा चालाक, क्योंकि उसकी बातों का पंडित जी पर ऐसा असर हुआ की अगले ही पल वो बोले : "अच्छा, नाराज मत हो तुम …मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था ..बोलो ..ऐसी ड्रेस पहन कर कहाँ बिजलियाँ गिराने का इरादा है ..”
कोमल के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी और वो बोली : "बोला न मैंने, शोपिंग के लिए चलना है ..और शोपिंग भी ऐसी वैसी नहीं ..वो वाले कपड़ो की …”
पंडित जी पहले तो कुछ समझे नहीं ..पर जब कोमल ने अपनी उँगलियों से अपने कंधे पर झाँक रही ब्रा के स्ट्रेप को पकड़कर एक झटका दिया तो उनकी समझ में सब आ गया ..कोमल उन्हें ब्रा-पेंटी खरीदने के लिए ले जाना चाहती थी ..हे भगवान्, ये लड़की के दिमाग में ना जाने कैसे-२ फितूर भरे पड़े हैं ..वो जल्दी से बाथरूम में गए और उन्होंने नकली मूंछ लगा ली ..आज उन्होंने एक शर्ट और पेंट पहनी और सर पर टोपी , और आँखों पर चश्मा ..कल की तरह आज भी वो पहचाने नहीं जा रहे थे .और कल से ज्यादा स्मार्ट ही लग रहे थे वो ..
उनके बाहर आते ही कोमल बोली : "वाव …पंडित जी ..आज तो आप बड़े कमाल के लग रहे हो ..स्मार्टी ..”
उसने उन्हें छेड़ते हुए एक सीटी भी बजा दी ..पंडित जी उसकी हरकत पर मुस्कुरा दिए ..
उसके बाद दोनों बाहर निकल पड़े ..पुरे रास्ते पंडित जी देखते जा रहे थे की उन्हें कोई पहचान तो नहीं रहा ..एक दो लोग मिले भी उनकी पहचान के पर उनका ध्यान तो कोमल की तरफ था ..जो बड़ी ही अदा से अपनी गांड मटकाते हुए चल रही थी ..और हर आने-जाने वाला उसे ही देखे जा रहा था ..
पंडित जी सोचने लगे की आज तो वो अपने रूप में भी आते, तब भी उनकी तरफ कोई देखने वाला नहीं था ..क्योंकि कोमल को देखने से किसी को फुर्सत ही नहीं थी ..
उन्होंने आगे जाकर एक ऑटो लिया और उसमे बैठकर एक मॉल की तरफ चल दिए ..
अन्दर बैठते ही कोमल की हंसी फुट गयी , वो बोली :"आपने देखा पंडित जी ..सबकी नजरें कैसे घूर रही थी मुझे …हा हा हा …मजा आ गया आज तो ..”
खेर, बीस मिनट के बाद जब वो लोग मॉल पहुंचे तो वहां भी यही हाल था ..सभी लोग कोमल को घूर-२ कर देख रहे थे.
पंडित जी ने अपनी टोपी उतार दी थी ..क्योंकि वहां किसी के पहचानने का डर कम ही था ..और वैसे भी उन्होंने मूंछ तो लगा ही रखी थी ..
कुछ देर घूमने के बाद एक बड़ी सी शॉप के बाहर आकर कोमल रुक गयी, वो एक इंटरनेशनल लिंगरी ब्रांड का शोरूम था , ”विक्टोरिया’स सीक्रेट ” जिसके बाहर शो पीस पर छोटी-२ ब्रा पेंटी लगा राखी थी ..जो देखने में ही बड़ी उत्तेजक लग रही थी ..उन्हें पहन कर अगर कोमल उनके सामने आ गयी तो वो उसकी चूत का कीमा बना कर खा जायेंगे ..
कोमल अन्दर घुस गयी और उनके पीछे-२ पंडित जी भी ..
ऐसे किसी माल में और ऐसे शो रूम में आने का पंडित जी का पहला मौका था ..वो तो बस वहां की चमक धमक और सेल्स गर्ल्स को देखकर दंग रह गए ..जिन्होंने टाइट टी शर्ट और शोर्ट स्कर्ट पहनी हुई थी ..जिसमे से उनके जिस्म के कटाव साफ़ दिखाई दे रहे थे ..उनमे से एक लड़की उनके पास आई और बोली : "कहिये सर …क्या लेंगे आप मेडम के लिए ..”
पंडित : "उम्म्म ….जी वो. ….वो …”
उन्होंने कोमल की तरफ देखा ..जो उन्हें देखकर मुस्कुरा रही थी ..वो बोली : "जी ..मुझे ब्रा पेंटी का सेट दिखाइए …लेटेस्ट …”
वो लड़की मुस्कुरायी और उन्हें अपने साथ चलने को कहा ..और वो उसके साथ चलते हुए एक छोटे से कमरे में पहुँच गए ..जहाँ एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था ..और एक टेबल था बस ..
फिर वो लड़की कुछ बॉक्सेस लेकर आई और उनमे से निकाल कर ब्रा पेंटी कोमल को दिखाने लगी ..कोमल भी बड़ी उत्सुक्तता से सब देख रही थी ..पंडित जी सोच रहे थे की वैसे तो ये गाँव की रहने वाली है पर शोंक इसने अमीरों वाले पाल रखे हैं ..क्योंकि वहां कोई भी ब्रा पेंटी पांच हजार से कम नहीं थी ..इतने में तो दो दर्जन सेट आ जाते हैं ..
कोमल ने तीन जोड़े पसंद कर लिए ..वो लड़की बोली : "मेम .आप ट्राई कर लीजिये …मैं बाहर ही हु …”
और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी और दरवाजा बंद कर दिया ..
पंडित जी ने नोट किया की वहां कोई अलग से ट्रायल रूम नहीं था ..उन्होंने कोमल की तरफ देखा और बोले : "तुम पहन कर देखो ..मैं बाहर इन्तजार करता हु …”
वो जैसे ही जाने लगे, कोमल ने उनका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोली : "नहीं …आप यहीं रुकिए …आखिर मेरे लिए आप इतना कर रहे हैं , इतना तो आप देख ही सकते हैं …”
ओह्ह तेरी …यानी कोमल उनके सामने नंगी होने के लिए तैयार थी …वो एकदम से उत्साहित हो उठे ..
पर तभी वो बोली : "आप दूसरी तरफ मुंह कर लो ..और जब मैं पहन लू तो आप बताना, मैं कैसी लग रही हु …”
पंडित जी का उत्साह एक दम से पानी के बुलबुले की तरह फट गया ..
उन्होंने मन मार कर दूसरी तरफ मुंह कर लिया ..और पीछे से कोमल के कपडे उतारने की आवाजें आने लगी ..
कुछ ही देर में उसकी धीमी सी आवाज आई ..: "अब देखो …आप …”
पंडित जी तो बस इसी पल का इन्तजार कर रहे थे ..वो घूमे तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया ..
उनके सामने कोमल सिर्फ पेंटी ब्रा में खड़ी थी ..और वो इतनी सेक्सी लग रही थी की पंडित जी अपनी पलके झपकाना भी भूल गए ..
वो उसी अंदाज में इतरा कर बोली : "अब बताइए पंडित जी ..मैं कैसी लग रही हु …”
पंडित : "सेक्सी ……कमाल की लग रही हो तुम …”
वो उसके करीब आये और उसके चारों तरफ घूम कर उसके हर अंग को निहारने लगे …जैसे वो कोई इंसान नहीं पुतला हो ..
उसकी भरी हुई जांघे, पतली कमर ..उभर हुआ सीना ..गोरा रंग …कमाल की लग रही थी वो ..
कोमल : "ठीक है …अब ज्यादा आँखे मत सको …मुंह उधर करो, मुझे ये दूसरी भी पहन कर देखनी है ..”
पंडित जी ने मुंह फिर से दूसरी तरफ कर लिया …शुक्र है उसने उनके लंड की तरफ नहीं देखा ..वर्ना उसे देखकर पता चल जाता की उनके लंड का क्या हाल हो रहा है ..
और पता नहीं कोमल आज उनके लंड का और कितना बुरा हाल करेगी ..

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