एक गाँव की मजबूर लड़की 12 ठाकुर साहब ने धन्नो के नंगे कूल्हे और कमर को अपने दोनों हाथों से दबोचा और चौकी पर लेते ही अपनी कमर ऊपर कि तरफ उचकाई और उनका लंड एक इंच और अंदर सरक गया उनके देखा देखि धन्नो ने भी अपनी कमर कुछ ऊपर कि और जोर से वो लंड पर बेठ गई जिससे अजगर उसके बिल में और सरक गया पर अभी काफी बहार था ! इन दो धक्को में लंड आधे से ज्यादा अंदर धंस चूका था ! लेकिन ठाकुर साहब के लंड कि सवारी कर रही धन्नो का चेहरा अभी भी घूंघट में ही था ! और धन्नो घूंघट में ही सिसकारती हुई धीमे से बोली :-" स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स .... हाआआआ … ब .... ब बाबूजी .... बड़ा मोटा हे … आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह … पूरा कस गया हे बाबूजी !" इतना सुनकर ठाकुर साहब ने फिर अपने दोनों हाथों से उसकी कमर और कूल्हों को पकड़ कर ऊपर कि और उचक कर एक जोर से धक्का मारा तो उनका लंड एक इंच और धन्नो कि चिकनी चूत में सरक गया ! पर धन्नो एक दम से कांप कर लार्ज गई और सिहरती हुई घुघट में ही हलकी से चीखती हुई सी बोली :-" अरररररेई बब्ब … ब बाबूजी … अरीईईईईईए … मालिक … हमारी बुरिया फट जाई … धीरे से बाबूजी … इ पूरा
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एक गाँव की मजबूर लड़की 11 फिर धन्नो बोली :-" अरे ये चोद तकिया कहाँ से लाइ हो .......ये तो बहुत बढ़िया हे ......इसी पर इस हरजाई के चुतड टिका के इसे इतना चोदो की इसकी बूर मिमिया जाये .....!" उस तकिये पर एक नज़र दाल कर सुक्खू बोल :-" अरे ....ये तो ठाकुर साहब वाला चोद तकिया हे ....इसमें गुलाबी की गांड एकदम सही फिट होती हे इसलिए ठाकुर इसे इसी पर लिटा कर कई बार चोदते हे ......और ना जाने ठाकुर साहब से चुदने के लिए गाँव की कितनी ही गाँडे इसमें फंसी होगी ....!" गुलाबी सुक्खू की बात सुनकर अपनी साडी के पल्लू से मुह ढक कर किसी लजीली नारी की तरह बोली :-"चुप तो रहो ...जो मन में आये बोल देते हो .....मेरी इज्जत की तो मानो तुम्हे कोई फिकर ही ना हे ....हे हे हे हे हे ....!"इतना बोल कर गुलाबी जोर से हंस पड़ी ! तब धन्नो बोली :-" ठाकुर साहब और इस सुक्खू के लंड पर बिना नागा रोज बेठने वाली हे तू ....भला तेरी इज्जत पर कौन दाग लगाएगा ...हा हा हा हा ...!" फिर धन्नो सुक्खू से बोली :-"अब देर मत कर ...बूर काफी गीली हो इसकी .....और इसकी बूर तेरे मूसल को सेट क