पंडित & शीला पार्ट--47 
गतांक से आगे ……………
पंडित : "उम्म्म्म्म …..धीरे …….दांत मत मारो ….शीला …..अग्ग्ग्ग्ग्ग ह्ह्ह्ह ,,,,,,”
पर वो जंगली बिल्ली कहाँ मानने वाली थी …उसने अपने प्रहार जारी रखे ..
पंडित जी ने सामने लेटी हुई शीला की चूत की तरफ हाथ बड़ाया और जैसे ही अपनी उँगलियाँ वहां डाली वो पूरी गीली हो गयी ..ऐसा लगा जैसे वो झड गयी हो ..पर ऐसा हुआ नहीं था ..
इतने दिनों के बाद की चुदाई वैसे भी मजेदार होती है ..शीला ने जल्दी से अपनी ब्रा-पेंटी निकाली और उन्हें नीचे फेंक कर वो पंडित जी पर सवार हो गयी …
और उनके खड़े हुए लंड को जैसे ही उसने अपने हाथों में लेकर अपनी चूत पर लगाया ..उसकी धड़कन इतनी तेजी से चलने लगी की उसकी आवाज पंडित जी को बाहर तक सुनाई दे रही थी ..और एक जोरदार चीख के साथ वो उनके लंड को निगल गयी ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ………उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ …….पंडित ……जीईईईई ………….. अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …… चोदो …….अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..मुझे …….”
पंडित जी ने अपने हाथ ऊपर किये और उसके दोनों खरबूजे अपने हाथों में पकड़कर मसल डाले और जोर-२ से धक्के मारकर उसकी चूत मारने लगे …
”अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ उम्म्म उम्म्म ……..अह्ह्ह्ह …ऐसे ही …..और तेज …..और तेज …..अह्ह्ह्ह ….और तेज ….”
पंडित जी का रोकेट उसकी चूत में झटके मार रहा था ..और वो अपना मुंह फाड़े उसे अन्दर जाते हुए देख रही थी ..
और तेज धक्के मारने के चक्कर में आज पंडित जी का भी झड़ना शीला के साथ-२ हो गया. ..और दोनों एक साथ चीखते हुए अपने -२ ओर्गास्म को महसूस करके अपने दांत किटकिटाते हुए झड़ने लगे …
”अह्ह्ह्ह्ह ,,……पंडित जी …….उम्म्म्म्म्म्म …..मजा आ गया ……अह्ह्ह्ह्ह ….”
पंडित जी के लंड की पिचकारी उसकी चूत में चल गयी थी ..उन्होंने अपना लंड बाहर खींचा और बची हुई एक-दो पिचकारियाँ बाहर भी निकली जो उसकी गांड के केनवास पर बिखर कर एक नयी कलाकृति का निर्माण कर गयी ..
पंडित जी भी बेचारे कुछ बोलने के काबिल नहीं बचे थे ..
उन्होंने अपने लंड को दोबारा अन्दर डाला पर वो फिसलकर बाहर निकल आया और पीछे -२ आया शीला की चूत से ढेर सारा गाडा और सफ़ेद रस ..
उसके बाद शीला ने अपने कपडे समेटे और पहनकर अपने घर की तरफ निकल गयी ..
शाम को पंडित जी अपने कार्यों से निपट कर बाजार की तरफ निकले ..उन्हें कुछ सामान भी लेना था ..
एक बड़े सिनेमाघर के सामने से निकलते हुए उन्हें अचानक वहां कोमल दिखाई दी ..
वो चोंक गए ..वो अकेली थी ..जींस और टी शर्ट में ..सर पर स्कार्फ लपेटा हुआ था ..जो उसके चेहरे को भी छुपा रहा था ..पर पंडित जी उसे देखते ही पहचान गए ..वो छुपकर देखने लगे की वो वहां कर क्या रही है .
वो जहाँ खड़ी थी वहां काफी अन्धेरा था ..और वो दिवार पर लगे हुए पोस्टर को देख रही थी ..शायद किसी मूवी का था जो उस सिनेमाघर में लगी हुई थी ..
पहले तो उन्होंने सोचा की हर जवान लड़के / लड़की की तरह इसे भी शायद फिल्मों का शोंक है ..इसलिए शायद बाजार जाते हुए पोस्टर देखकर रुक गयी होगी ..पर जैसे ही पंडित जी का ध्यान उस पोस्टर पर गया उनकी आँखे फटी की फटी रह गयी ..वो एक एडल्ट फिल्म का पोस्टर था ..”जवानी का नशा” जिसमे हीरो ने हीरोइन को अपनी बाहों में लपेटा हुआ था ..और उसे लिप्स पर किस्स कर रहा था ..दोनों ऊपर से नंगे थे ..
ओहो …तो ये बात है …जवान हो रही कोमल को जवानी का नशा चढ़ रहा है ..और वो पोस्टर को देखकर अपने अन्दर की आग और जिज्ञासा शांत कर रही है ..
पंडित जी मन ही मन मुस्कुराने लगे ..उन्हें कोमल को पटाने का आईडिया मिल चुका था ..और वो बाहर निकल आये और कोमल की तरफ चल दिए ..
और उसके पीछे जाकर उन्होंने उसे पुकारा : "कोमल ……”
पंडित जी की आवाज सुनते ही कोमल ने पलटकर देखा ..और पंडित जी को अपने सामने देखकर उसके चेहरे का रंग पीला पड़ गया ..उसे तो शायद आशा भी नहीं थी की इस शहर में कोई उसे पहचान लेगा ..वो हडबडा उठी .
कोमल : "आप …..य ….यहाँ ……”
पंडित : "हाँ …मैं ..यहाँ …पर तुम यहाँ क्या कर रही हो ..”
कोमल : "जी ….जी …वो ….मैं …..मैं तो …..बस …मार्किट आई थी …”
वो शायद जानती थी की पंडित जी ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया है ..गन्दी मूवी का पोस्टर देखते हुए ..
पंडित जी उसके चेहरे को देखते हुए उसके मन में चल रहे अंतरद्वंद को पड़ने की कोशिश कर रहे थे, वो अपने हाथों की उँगलियों को मसल रही थी ..और अपनी आँखे पंडित जी से नहीं मिला पा रही थी .
पंडित : "ये देख रही थी …”
उन्होंने पोस्टर की तरफ इशारा किया ..वो मना करने की स्थिति में नहीं थी ..उसने अपना सर झुका लिया .
पंडित : "चलो मेरे साथ ..!"
उसने एक दम से अपना चेहरा ऊपर उठाया ..उसमे डर के भाव थे ..
पंडित : "घबराओ मत …मैं तुम्हारी दीदी को नहीं बोलूँगा ..चलो मेरे साथ ..यहाँ खड़ा होना सही नहीं है ..”
वो दोनों आगे चल दिए ..और एक बड़े से पेड़ के नीचे जाकर पंडित जी खड़े हो गए और कोमल से बोले : "मैं जानता हु की तुम्हारी उम्र में ये सब स्वाभाविक है ..ऐसी बातें मन को लुभाती है ..अगर तुम चाहो तो मुझसे ये सब बातें खुलकर कर सकती हो ..हो सकता है की मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकू ..”
वो धीरे से बोली : "पर ….पर …दीदी ने आपसे ज्यादा बात करने से मना किया है ..”
पंडित जी की तो झांटे ब्राउन हो गयी कोमल की बात सुनकर ..शीला ने अपनी बहन को ऐसा कैसे बोल दिया ..
पर वो भी सही थी अपनी जगह, शीला अच्छी तरह से जानती थी की पंडित जी की नजर पड़ने के बाद उसकी मासूम सी बहन का क्या हश्र होगा ..अब पंडित जी को भी चालाकी से काम लेना होगा ..कुछ इस तरह से की उनकी हरकतों की खबर शीला तक ना पहुंचे वर्ना कोमल के साथ-२ शीला भी हाथ से निकल जायेगी .
पंडित : "वो इसलिए की तुम अभी छोटी हो ना ..ये सब बातों के लिए तुम्हारी उम्र अभी कम है ..वो तुम्हे बच्चा समझती है अभी ..”
कोमल (थोडा ऊँचे स्वर में) : "ऐसा कुछ नहीं है …मेरे गाँव में भी मुझसे समझदार कोई नहीं है ..माँ और दीदी तो बस मेरे पीछे ऐसे ही पड़ी रहती हैं ..उन्हें अभी पता नहीं है की मुझमे इन बातों की कितनी समझ है ..”
पंडित जी ने जैसा सोचा था , वैसा ही हुआ था, चोट सही जगह पर लगी थी ..और कोमल आखिरकार पंडित जी के बहकावे में आकर बोलती चली गयी ..
पंडित : "अच्छा …पर जिस तरह से तुम वो पोस्टर देख रही थी ..लग तो नहीं रहा था की तुम्हे इन सब के बारे में कुछ मालुम भी है ..”
कोमल का गोरा रंग गुलाबी हो गया ..वो बोली : "ये मूवीज में तो कुछ ज्यादा ही दिखाते हैं ..वैसे मेरी सहेलियों ने जो बताया है ..और मैंने जो देखा है किताबो में ..ये शायद उनसे अलग होता होगा …बस यही देख रही थी ..और ..और …”
पंडित : "हाँ …हाँ ..बोलो, शरमाओ मत …मैं कोई भी बात तुम्हारी दीदी से नहीं कहूंगा ..”
वो थोडा आश्वस्त हो गयी ..और बोली : "मैंने अपनी क्लास की लड़कियों से शर्त लगायी है इस बार ..की यहाँ शहर में आकर मैं हर वो चीज करुँगी ..जिसकी हम सभी बातें करते हैं ..”
पंडित : "अच्छा …क्या बातें करती हो तुम सभी ..”
वो फिर से शरमा गयी ..और धीरे से बोली : "वो मैं आपको नहीं बता सकती ..”
वो पंडित जी से नजरें नहीं मिला रही थी ..और मुस्कुराती जा रही थी ..
पंडित : "चलो कोई बात नहीं …मत बताओ ..पर एक बात तो मैं जान ही चूका हु उनमे से ..”
कोमल ने एकदम से चोंक कर पंडित जी की आँखों में देखा ..वो धीरे से बोले : "तुम ये गन्दी वाली मूवी देखना चाहते हो ना ..”
उसकी आँखों में आई चमक को देखकर और फिर उसके शर्माने के अंदाज से पंडित जी समझ गए की उनका ये तीर भी निशाने पर लगा है .
पंडित : "तुम अगर चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हु इसमें …ये मूवी देखने में ..”
कोमल : "पर कैसे …मैंने अभी देखा वहां कोई भी लड़की नहीं थी ..सब गंदे-२ लड़के थे बस ..”
पंडित : तुम चाहो तो मेरे साथ चल कर तुम भी वो मूवी देख सकती हो ..बस हमें अपना हुलिया बदल कर जाना होगा वहां ..तुम्हे इसलिए की तुम लड़की हो ..तुम्हे लड़का बनकर चलना होगा ..और मुझे यहाँ ज्यादातर लोग जानते हैं ..कोई मुझे ना पहचान ले इसलिए मुझे भी अपना भेष बदल कर जाना होगा ..”
वो कुछ देर तक सोचती रही ..और फिर चहक कर बोली : "वाव …ऐसा तो मूवीज में होता है …मजा आएगा …मैं तैयार हु …बोलो कब चलना है ..”
उसके चेहरे की ख़ुशी देखकर पंडित का मन तो कर रहा था की उसे वहीँ पकड़ कर रगड़ डाले और उसके गुलाबी होंठों को चूसकर उनका रस पी जाए ..और जो मूवी में देखना चाहती है, वो यहीं उसे दिखा दे ..पर वो कोमल को पूरी तरह से अपने शीशे में उतारना चाहते थे ..
पंडित : "कल दोपहर का शो देखने आते हैं यहाँ ..उस वक़्त ज्यादा भीड़ नहीं होती ..ठीक है ..”
कोमल : "ठीक है ..कल मिलते हैं …पर आप प्लीस दीदी से इस बारे में कोई जिक्र मत करना ..मैं उनसे कहकर आउंगी की एक कोर्स के बारे में पता करने जाना है ..ठीक है ..”
अब उस पगली को ये बात कौन समझाए की ये बात तो पंडित जी को बोलनी चाहिए थी की अपनी शीला दीदी से इस बारे में कोई बात ना करे .
अब अगले दिन मंदिर में मिलने का समय निर्धारित करने के बाद वो दोनों अपने-२ रास्ते चले गए ..
पंडित जी ने रास्ते से कल के मेकअप के लिए जरुरी सामान और कपडे ले लिए ..उन्हें भी अन्दर से रोमांच का एहसास हो रहा था ये सब करते हुए ..
अगले दिन कोमल ठीक 11 बजे पंडित जी के मंदिर में पहुँच गयी ..उस वक़्त मंदिर में 4 -5 लोग थे, पंडित जी ने उसे बैठने का इशारा किया और उनसे निपटने के बाद वो उसे अपने कमरे में ले आये ..जहाँ उन्होंने उसकी शीला दीदी के अलावा ना जाने कितनी चूतों का उद्धार किया था ..
कोमल : "वह पंडित जी ..आपका कमरा तो बड़ा सही है ..अकेले रहते हो आप यहाँ …”
वो शायद कुछ कन्फर्म कर रही थी ..
पंडित : "हाँ ..अकेला रहता हु ..कभी भी मेरी जरुरत हो तो बेझिझक आ सकती हो ..”
वो मुस्कुरा दी ..कुछ न बोली ..
आज वो टी शर्ट और जींस पहन कर आई थी ..
पंडित जी ने एक थेला उसे दिया और बोले : "इसमें एक टी शर्ट है …और ..और एक कपडा …भी …वो अन्दर पहन लेना ..”
वो कुछ समझी नहीं …उसने थेले के अन्दर से टी शर्ट निकाली …वो लडको वाली टी शर्ट थी .. और फिर उसने अन्दर हाथ डालकर वो कपडा भी निकाला ..वो स्पोर्ट्स ब्रा थी ..बिलकुल छोटी सी …जिसे देखकर वो शरमाने के साथ-२ चोंक भी गयी ..
पंडित : "ये नीचे पहन लो …ताकि तुम्हारी …ये ….ये …छातियाँ देखकर कोई समझ ना सके की तुम लड़की हो ..”
पंडित ने अपने हाथ की उँगलियों से उसकी ब्रेस्ट की तरफ इशारा किया ..
कोमल ने जल्दी से दोनों कपडे वापिस अन्दर डाले और भागकर बाथरूम में चली गयी ..
पंडित जी मन ही मन मुस्कुराने लगे ..
उन्होंने भी जल्दी से अपने लिए लाये हुए टी शर्ट और जींस को निकाल और पहन लिया ..
ऐसे कपडे उन्होंने करीब दस सालों के बाद पहने थे …वर्ना हमेशा धोती कुरता ही पहनते थे वो ..
फिर उन्होंने एक नकली मूंछ निकाली और लगा ली ..अब वो बिलकुल भी पहचाने नहीं जा रहे थे ..
तभी कोमल भी बाहर निकली ..पंडित जी की नजर सीधा उसकी छाती पर गयी ..जो अब लगभग ना के बराबर दिख रही थी ..
वो अपनी नजरें नीची करके सामने आकर खड़ी हो गयी ..
स्पोर्ट्स ब्रा पहनने की वजह से उसकी 32 नंबर की छातियाँ बिलकुल सपाट हो गयी थी ..उन्होंने एक और मूंछ निकाली और उसके होंठों के ऊपर लगा दी ..और फिर एक लाल रंग की स्पोर्ट्स केप भी निकाल कर उसे पहना दी ..अब वो एक जवान लड़के जैसा दिख रही थी ..
और फिर दोनों पीछे वाले दरवाजे से निकल कर सिनेमा हाल की तरफ चल दिए ..
जहाँ लगी थी वो मूवी ..”जवानी का नशा”
कमरे से बाहर निकलकर पंडित जी को बस यही चिंता सता रही थी की कहीं कोई उन्हें पहचान तो नहीं जाएगा ..
वो कहते है न, गलत काम करने वाला हमेशा डरता है ..और हो भी यही रहा था , पंडित जी की हालत खराब थी ..पर ये रोमांच भी कुछ कम नहीं था .
अचानक पंडित जी की गांड फट कर उनके हाथ में आ गयी .
सामने से शीला आ रही थी . और वो शायद पंडित जी के कमरे की तरफ ही जा रही थी .
पंडित जी ने धीरे से कोमल से कहा : "अपना मुंह नीचे कर लो ..तुम्हारी दीदी आ रही है ..”
उसकी भी फट कर हाथ में आ गयी ..उसने वैसे तो कपडे ऐसे पहने थे और हुलिया चेंज किया हुआ था, फिर भी उसने अपना सर नीचे झुका लिया ताकि टोपी के पीछे उसका चेहरा पूरा छुप जाए .
शीला तेजी से चलती हुई आई और उनपर एक नजर डाल कर आगे निकल गयी ..
उसने पंडित जी को पहचाना ही नहीं ..पंडित जी की सांस में सांस आई ..उनका मेकअप काम कर गया था .
अब वो बिना किसी डर के चलने लगे ..जब उन्हें शीला ने नहीं पहचाना तो और कोई कैसे पहचानेगा ..
मेन रोड पर पहुंचकर उन्होंने एक ऑटो लिया और उसमे बैठ गए ..उसमे पहले से ही चार लोग बैठे थे ..कोमल ऊपर चढ़ कर बीच में फंस कर बैठ गयी तो पंडित जी के लिए जगह ही नहीं बची ..
ऑटो वाले ने उनसे कहा की वो आगे आकर उसके साथ बैठ जाए ..अक्सर यही करते हैं ये ऑटो वाले ..पंडित जी बिना कुछ बोले आगे आ गए और बैठ गए ..उन्होंने पीछे मुंह करके कोमल को आश्वस्त किया की थोड़ी देर की ही बात है ..एडजस्ट कर लो बस .
पर उन्हें क्या पता था की कोमल जिनके साथ बैठी है उनमे से एक आदमी तो पंडित जी को अच्छी तरह से जानता था ..और पंडित जी जब कोमल को इशारा कर रहे थे तब उन्होंने उसका चेहरा देखा ..वो चुपचाप आगे मुंह करके बैठ गए .
अपने साथ बैठाते ही उस आदमी ने ,जिसका नाम हरिया था , अपना हाथ घुमा कर उसके कंधे पर रख दिया ..
कोमल : "ये क्या बदतमीजी है ..हाथ पीछे करिए ..”
गुस्से में उसकी लड़कियों वाली आवाज ही निकल गयी ..जिसे सुनकर हरिया हंसने लगा ..वो बोला : "साले , लड़कियों जैसा दीखता है और आवाज भी वैसी ही है ..”
पंडित जी ने पीछे मुड़ कर देखा और आँखों ही आँखों में कोमल को चुप रहने को कहा ..कहीं उनकी पोल पट्टी ही ना खुल जाए ..
वो बेचारी करती भी क्या, खून का घूंट पीकर वो चुपचाप बैठ गयी ..
अब हरिया को भी मस्ती सूझ रही थी , उसने अपने हाथ से उसके कंधे को दबाना शुरू कर दिया ..उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर रखा था , और वो सिर्फ उसके कोमल शरीर पर अपने हाथ लगाकर उसके एहसास का मजा ले रहा था ..
कोमल के नथुनों में उसके पसीने की गन्दी स्मेल आ रही थी ..उसे अक्सर ऐसे सपने आते थे जिसमे नीचे तबके के लोग उसके साथ गलत हरकत कर रहे हैं ..और आज उसे वो सपना सच होता दिख रहा था .
हरिया ने सोचा भी नहीं था की किसी लड़के की बॉडी इतनी सॉफ्ट भी हो सकती है ..चेहरा तो इतना चिकना था ..कोमल ने दूसरी तरफ चेहरा किया हुआ था जिसकी वजह से उसकी लम्बी और गोरी गर्दन हरिया के चेहरे से सिर्फ पांच इंच की दुरी पर थी ..हरिया के मन में ना जाने क्या आया की उसने आगे बढकर कोमल की गोरी गर्दन पर अपने खुरदुरे होंठ रख दिए ..और जोर से चूम लिया ..
कोमल का पूरा शरीर झन्ना उठा , उसके शरीर पर किसी ने पहली बार अपने होंठ लगाए थे ..पर वो इतने गंदे और गलत इंसान के होंगे ये उसने नहीं सोचा था, वो लगभग चिल्ला उठी ..
”साले …कर क्या रहा है तू ..समझ क्या रखा है तूने मुझे ..”
उसकी गुर्राती हुई आवाज सुनकर सभी लोग उनकी तरफ देखने लगे ..और हरिया सकुचा कर अपने आप ऑटो से उतर गया ..उसके उतरते ही पंडित जी पीछे गए और कोमल के साथ जाकर बैठ गए .
और उन्होंने भी कोमल के कंधे से हाथ घुमा कर उसके पीछे रख दिया ..
पर हरिया और पंडित जी में फर्क था ..जिसे कोमल ने महसूस किया ..पंडित जी के शरीर से भीनी -२ महक आ रही थी ..उनके हाथ के स्पर्श में एक नर्म एहसास था ..एक सुरक्षा का एहसास था ..उसने अपना सर पीछे करके पंडित जी की बाजू पर टिका दिया ..और सफ़र ख़त्म होने का इन्तजार करने लगी .

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