पंडित & शीला पार्ट--42 
गतांक से आगे ……………
सभी लोग अन्दर आ गए और फिर तो नूरी ने रितु की तारीफों के पुल बांध दिए ..अचानक पंडित जी को लगा की नूरी, रितु में कुछ ज्यादा ही रूचि ले रही है ..वो कुछ -२ समझ तो रहे थे पर पूरा कन्फर्म नहीं थे, उन्होंने मन ही मन कुछ सोचा और अचानक उन्होंने रितु से कहा : "रितु …तुम ये अपनी टी शर्ट उतारो जरा ..और मेरे पास आओ …”
रितु को अपने कानों पर विशवास ही नहीं हुआ, पंडित जी किसी और लड़की के सामने उसे कपडे उतारने को कह रहे हैं ..वैसे तो पंडित जी को देखते ही उसकी चूत में रसीला रसायन निकलना शुरू हो गया था, पर पंडित जी के साथ आई नूरी की वजह से वो अब तक चुप थी ..पर पंडित जी के आदेश को वो मना भी नहीं कर सकती थी ..इसलिए उसने अपना सर नीचे झुका लिया और शर्माते हुए अपनी टी शर्ट को उतार कर नीचे फेंक दिया ..
नूरी तो ये देखकर अपनी आँखे फाड़े पंडित जी को देखती रह गयी ..वो अब तक समझ चुकी थी की पंडित जी ने कहाँ -२ रायता फैला रखा है ..पर रितु की तरफ देखते ही उसके अन्दर की शैतान जाग उठी ..दरअसल जब से उसने रितु को देखा था उसे अपनी कजिन यास्मिन की याद आ रही थी, जिसके साथ उसने शादी से पहले काफी मजे लिए थे , वो दोनों अक्सर एक दुसरे के साथ 69 की पोजीशन में मजे लेते थे ..उसका रंग रूप , मुम्मों का साईज बिलकुल रितु जैसा ही था ..और अब तो रितु के अपनी टी शर्ट भी उतार दी थी, उसके ब्रा में कैद मुम्में और तने हुए निप्पलस को देखकर उसका भी बुरा हाल था ..
पंडित जी जानते थे की वो क्या कर रहे हैं ..गिरधर को अभी आने में टाईम था और माधवी भी थोड़ी देर से ही आएगी , और वैसे भी गिरधर के आने के बाद चुदाई तो होनी ही थी, इसलिए वो पहले सभी को तैयार करना चाहते थे ..
रितु की टी शर्ट उतारते ही नूरी ने भी बिना बोले अपनी टी शर्ट और फिर ब्रा भी एक ही झटके में उतार फेंकी ..उसकी भरवाँ छातियाँ देखकर रितु की चूत का रसायन बाहर निकलकर टपकने जैसी हालत में हो गया ..
पंडित : "शरमाओ नहीं रितु …आगे आओ ..और मजे लो …”
रितु जानती थी की पंडित जी के रहते हुए उसे अपने मम्मी पापा से डरने की जरुरत नहीं है ..वो सकुचाते हुए आगे आई और नूरी के सामने आकर खड़ी हो गयी ..नूरी ने अपने हाथ ऊपर किये और रितु की ब्रा के स्ट्रेप को नीचे गिरा दिया ..उसके संतरे अपनी लालिमा बिखेरते हुए उसके सामने निकल आये ..
”ओहो …….कितने सुन्दर है ये …सिंदूरी आम ..”
और रितु कुछ कह पाती , इससे पहले ही नूरी ने नीचे झुककर उसकी दांयी चूची को मुंह में भरा और उसे केवेंडर के स्ट्रोबेरी दूध की तरह पीने लगी ..
रितु ने उसके सर को पकड़ा और अपनी छाती से जोर से दबा लिया ..और अपने आपको उसके हवाले कर दिया ..
पंडित जी के सामने 4 गेंदे थी और वो भी भरी हुई और नंगी ..उनका तो एक मिनट के अन्दर ही खड़ा हो गया ..
अपनी धोती को खोलकर उन्होंने नीचे गिरा दिया और अपनी सिपाही को आजाद कर दिया ..और उसके ऊपर अपनी उँगलियाँ लपेट कर उसे आने वाली जंग के लिए खड़ा तैयार करने लगे ….
नूरी ने पलक झपकते ही अपनी जींस भी उतार कर नीचे खिसका दी और अपने हाथों से रितु की जींस खोलकर उसे भी मज्झू नंगा कर दिया ..
अपने हाथ की उँगलियों को उसके ग्लोबस पर फेराते हुए नूरी बड़े ही चाव से उसके दानो को चबा रही थी ..अब तक रितु भी गर्म हो चुकी थी ..नूरी ने एक ही झटके से रितु को पकड़ा और उसके होंठों को चूसने लगी ..और स्मूच करते – २ वो उसे अपने बेड तक ले आई और उसे वहां लिटा कर उसके ऊपर सवार हो गयी ..
दो नंगे जिस्म एक दुसरे से गुत्थम गुत्था कर रहे थे …
नूरी ने रितु की टांग उठाकर ऊपर की और अपनी दो उँगलियाँ एक साथ उसकी लबाबदार चूत के अन्दर घुसा डाली ..और तेजी से अन्दर बाहर करने लगी …
रितु का तो मुंह खुला का खुला रह गया ..
कहने को तो ये दोनों आज पहली बार मिली थी ..पर अब इन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे ये दोनों एक दुसरे को बरसों से जानती हो ..सेक्स का रिश्ता है ही ऐसा ..अनजान इंसान को भी एक दुसरे में डुबो सा देता है ..
रितु को आज तक उसे ऐसी फील नहीं मिली थी ..संगीता ने भी पहले ये सब किया था उसके साथ ..पर नूरी के हाथों में तो जैसे जादू था ..वो उसकी चूत पर उँगलियाँ फेराकर उसके अन्दर का तूफ़ान बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी ..
और तूफ़ान को जल्दी निकालने के लिए उसे मालुम था क्या करना है ..
नूरी ने अपना सर नीचे किया और झुककर रितु के नन्हे मुन्ने निप्पल को अपने मुंह में डाल लिया और उसे चूसने लगी ..
”उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ……अह्ह्ह्ह्ह्ह ……नूरी …….ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ो ऒ। ……..जोर से चुसो …..इसे …..अह्ह्ह्ह … ”
रितु का हाथ अपने आप अपनी चूत के ऊपर चला गया और उसे मसलने लगी ..चूत के अन्दर तो पहले से ही नूरी की उँगलियाँ अपना कमाल दिखा रही थी ..
अब तो रितु से सहन करना मुश्किल सा हो गया …उसका मुंह सूखने सा लगा ..उसे अजीब से प्यार लगने लगी थी ..चूत के रस की प्यास ..उसने अपने हाथ की वो ऊँगली जिन्हें वो चूत पर मसल रही थी, ऊपर की और उन्हें चाट लिया …
”सड़प ……सड़प . ……उम्म्म्म्म्म्म …..”
उसने एक मिनट भी नहीं लगाया अपनी गीली उँगलियों को सुखाने में ..
पर उसके नथुनों में नूरी की चूत के रस की मादकता भी टकरा रही थी ..एक नशा सा तैर रहा था वहां के माहोल में ..उसकी चूत से निकल रहा रूह अफजा और नूरी की चूत की फ्रूटी मिलकर एक अजीब ही गंध पैदा कर रहे थे ..
वो बदहवास सी हो गयी ..और उसने एक ही पल में नूरी को धोपी छाप पटकनी दी और उसके ऊपर सवार होकर 69 की पोजीशन में आ गयी और अगले ही पल अपने थरथराते हुए होंठ उसने नूरी की दहकती हुई चूत पर रख दिए और गरमा गरम व्यंजन खाने लगी …
नूरी का अब बुरा हाल होने लगा था उसकी चूत को आज तक इतनी बेदर्दी से किसी ने नहीं चूसा था ..ऐसा लग रहा था जैसे रितु बरसों की प्यासी है और उसके अन्दर का सार जूस पी जायेगी वो ..
उसने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू पाया और अपने खुले हुए मुंह को ऊपर लटकी हुई चूत से लगा कर वहां से निकल रहा कामरस पीने लगी ..
”उम्म्म्म्म्म …….येस्सस्सस्स …….पी ओ …..अह्ह्ह्ह्ह्ह …..उम्म्म्म्म्म ….उह्ह्ह्ह ……माय …..गॉड …..येस्स्स्स ….”
दोनों ने एक दुसरे की चूतों को चूसकर ओर्गास्म के निकट पहुंचा दिया ..और अगले ही पल दोनों की चूतों के अन्दर से ऐसा बाँध टूटा की सामने की तरफ लगा हुआ मुंह पूरा भर गया ..दोनों के मुंह पुरे गीले हो गए ..मीठे पानी को जितना पी सकते थे , पी गए और बाकी नीचे बह गया ..
तभी बाहर से डोर बेल बजी …पंडित जी ने उन्हें इशारे से ऐसे ही लेटे रहने को कहा और खुद दरवाजा खोलने चल दिए ..
पंडित ने दरवाजा खोला , बाहर माधुरी खड़ी थी ..पंडित जी को अपने घर का दरवाजा खोलते देख वो हैरान रह गयी …
माधवी : " अरे …पंडित जी ..आप …और हमारे घर पर ..”
उसके मन में डर बैठ गया की कहीं पंडित जी उसकी बेटी रितु को तो नहीं चोद रहे थे उसकी अनुपस्थिति में ..माँ कुछ भी सहन कर सकती है पर अपनी बेटी की चुदाई की बात सहन नहीं कर सकती ..और यही कारण था की आज तक इतना कुछ हो जाने के बाद भी उसने अपने पति की इच्छा (रितु को चोदने की) कभी पूरी नहीं होने दी ….पर वो शायद आज नहीं जानती थी की पंडित जी ने क्या प्रोग्राम बनाया है ..
पंडित : "हाँ ..मैं …आओ अन्दर आओ ..सब बताता हु .."
माधवी अन्दर आ गयी और पंडित जी ने फिर से दरवाजा बंद कर दिया ..
अन्दर आकर पंडित जी ने माधवी को पीछे से पकड़ लिया और उसके मुम्मों को दबाने लगे ..
माधवी के पुरे शरीर में तरंगे सी उठने लगी ..
माधवी : "ओह्ह ..पंडित जी …ये क्या कर रहे हो ..रितु घर पर ही है …उम्म्म्म्म "
पंडित उसके कान में फुसफुसाया : "पता है ..पर अभी वो बिजी है ..”
और इतना कहकर पंडित जी उसे खिड़की के पास ले गए , जहाँ से बेडरूम का नजारा साफ़ दिख रहा था ..और वहां उसने देखा की उसकी बेटी रितु नंगी पड़ी हुई है ..और नूरी उसकी चूत से निकल रहा हलवा अपनी उँगलियों से खा रही है ..और उसे चूम भी रही थी ..
माधवी के पुरे शरीर में करंट सा दौड़ गया ..अपनी बेटी के नंगे शरीर को देखकर उसके मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था ..उसे थोडा -२ शक सा तो था की उसकी बेटी के साथ भी पंडित जी वो सब कर चुके हैं, पर अपनी हवस को शांत करने की चाहत में उसने कभी इस बात के लिए सीधे शब्दों में पंडित जी से कुछ नहीं पूछा था ..और अभी भी अन्दर आते हुए उसने यही सोचा था की पंडित जी और रितु कुछ कर रहे होंगे ..पर यहाँ तो उसकी बेटी किसी और लड़की के साथ नंगी पड़ी हुई मजे ले रही है ..
पंडित जी उसके शरीर से पूरी तरह से लिपट गए और उसके कानों में उसके प्रश्नों का निवारण करना शुरू किया
"तुम यही सोच रही हो न की ये लड़की कौन है ..और मैं और ये यहाँ क्या कर रहे हैं ..तो सुनो ..इसका नाम नूरी है ..और ये उसी मुल्लाजी की लड़की है, जिन्होंने तुम्हे बीच सड़क पर चोदा था ..वैसे तो मैं इस लड़की को यहाँ लाया था गिरधर के लिए, क्योंकि उसकी वजह से इस लड़की की एक इच्छा पूरी हुई थी इसलिए उसके इनाम स्वरुप आज गिरधर इसकी चुदाई करेगा ..”
पंडित जी ने इरफ़ान और गिरधर की मिलीभगत से उसकी चुदाई का किस्सा भी साफ़ कर दिया ..
माधवी पंडित जी की बात सुनकर हैरानी से उन्हें देखने लगी ..
पंडित जी आगे बोले : "और वैसे भी, मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी ..दो दिनों से तुम्हारी चूत के लिए तड़प रहा हु मैं ..”
पंडित जी ने माधवी को खुश करने के लिए चारा फेंका ..और माधवी उनकी ये बात सुनकर अन्दर ही अन्दर तड़प सी गयी ..
पंडित : "और मैं इसे आज यहाँ इसलिए लाया था की जब गिरधर इसकी चुदाई करेगा तो उसके सामने ही मैं तुम्हे भी चोदुंगा ..ताकि आगे के लिए भी हमें कोई परेशानी न हो ..”
माधवी : "पर …पर ..ये रितु भी तो है यहाँ …अभी बच्ची है वो ..”
पंडित : "ये तुम्हे बच्ची लग रही है ..बच्चे पैदा करने की उम्र हो गयी है इसकी ..और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दू की ये अब कुंवारी नहीं रही ..तुम्हारी तरह ये भी मेरे लंड के मजे ले चुकी है ..”
माधवी ने कुछ नहीं कहा ..जैसे वो जानती थी की उसकी बेटी चुद चुकी है ..पंडित जी से ..
माधवी : "पर पंडित जी ..समझने की कोशिश करिए ..रितु के सामने जब गिरधर और नूरी , मैं और आप चुदाई करेंगे तो वो क्या सोचेगी ..अपने माँ बाप के बारे में ..और अगर गिरधर ने अपनी बेटी के साथ कुछ करना चाहा तो मैं कैसे रोक सकुंगी उसको ..”
पंडित : "देखो ..माधवी ..जो होना है,उसको होने दो ..और तुम भी जानती हो की एक न एक दिन वो होकर ही है ..और वैसे भी ..वो दोनों आधा काम तो कर ही चुके हैं ..”
इतना कहकर पंडित जी ने रितु और गिरधर का खिड़की वाला उसे सुना दिया ..जिसे सुनकर माधवी को भी लगा की पंडित जी शायद सही कह रहे हैं ..वो भी तो खुल कर मजे ले रही है अब अपनी जिन्दगी के ..पहले पंडित जी से लिए और फिर उस रात रंडी की तरह सड़क पर चुदकर मुल्लाजी (इरफ़ान) से भी .. अब तो सिर्फ थोड़े बहुत परदे ही रह गए हैं ..जो जितनी जल्दी हो सके, गिर जाएँ तो ही अच्छा है ..
पंडित जी अपनी बात कहते भी जा रहे थे और माधवी की चूत की मालिश भी कर रहे थे ..उसकी सलवार का कपडा गिला हो चूका था ..
पंडित : "चलो ..अन्दर चलो ..पहले अपनी बेटी के सामने तो अपनी शरम उतार लो ..”
वो चुपचाप उनके साथ अन्दर की तरफ चल दी ..
अपनी माँ को पंडित जी के साथ अन्दर आते देखकर रितु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा ..वो आराम से वैसे ही पड़ी रही और नूरी से अपनी चूत चुसवाती रही ..
रितु (नूरी से) : "नूरी …ये मेरी माँ है ..”
नूरी ने अपना गिला चेहरा बाहर निकाला और माधवी की तरफ देखकर बोली :"हाय आंटी ..मेरा नाम नूरी है ..”
माधवी ने मुस्कुरा कर उसकी हाय का जवाब दिया ..और उसके बाद नूरी फिर से रितु की चूत का खजाना ढूंढने उसके अन्दर घुस गयी ..
माधवी को पंडित जी ने अपने सामने बिठाया और अपनी धोती खोल कर उसके सामने अपना लंड पेश कर दिया ..माधवी ने एक नजर रितु की तरफ डाली ..जिसने इशारे से पंडित जी का लंड चूसने के लिए कहा ..उसने बिना आवाज निकाले अपने होंठ हिला कर कहा : "कम ओन माँ ..सक इट …”
और फिर हुए माधवी ने पंडित जी के नागराज को अपनी गिरफ्त में लिया और अपने मुंह की बाबी में डाल कर उसे चूसने लगी ..
”उम्म्म्म्म्म्म्म ………..माधवी ……अह्ह्ह्ह्ह ….. ..तुमसे अच्छा मेरा लंड कोई नहीं
चूसता …..अह्ह्ह्ह ….”
पंडित जी का इतना बोलना था की नूरी और रितु ने एक साथ बोला : "अच्छा जी ..”
रितु : "हम भी तो देखे की ऐसा क्या ख़ास तरीका है मम्मी का ..”
और वो उछल कर बेड से नीचे आ गयी और अपनी माँ की बगल में आकर बैठ गयी ..उसके पीछे-२ नूरी भी आ गयी और माधवी के दूसरी तरफ आकर बैठ गयी ..

Comments

Popular posts from this blog