पंडित & शीला पार्ट--41 
गतांक से आगे ……………
वो बोली : "अब डालो भीssssssssssssssssssssss ……..”
उसकी आवाज में आग्रह से ज्यादा आदेश था ..जो ऐसी अवस्था में अपने आप आ जाता है ..
पंडित जी ने अपने लंड को उसकी गुलाबी चूत के होंठों के अन्दर फंसाया और एक तेज झटका देकर उसके अन्दर दाखिल हो गए .
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …….उफ़्फ़्फ़ॊओ पंडित ……..जी ……..अय्य्यीईई ……..धीरे करो …..एक ही बार …..में नहीं …..आअह्ह्ह्ह्ह्ह ……”
पर पंडित जी कहाँ मानने वाले थे …उन्होंने तो अपना पूरा लंड एक ही बार में उसकी चूत के अन्दर उतार कर सांस ली …और फिर हर सांस के साथ उन्होंने अपने लंड को खींचा और डाला ..खींचा और डाला …धपधप …खचाखच ….की आवाजों से पूरा कमरा गूंजने लगा ..
”अह्ह्ह्ह्ह …..पंडित ….जी ….अह्ह्ह ….,एह्ह्ह्ह्ह …..उम्म्म्म्म ……क्या …..लंड …..है आपका …अह्ह्ह्ह …..ऐसी ….फकिंग ….तो आज तक किसी ने नहीं की …अह्ह्ह्ह …”
उसकी बातों और चेहरे से उसके अन्दर की ख़ुशी साफ़ झलक रही थी ..
प्रियंका साईड में होकर बैठ गयी थी और अपनी ‘बारी’ की प्रतीक्षा करते हुए अपनी चूत को मसलने लगी ..
पंडित जी खड़े होकर बेड पर नंगी बिछी हुई शिप्रा को पूरी ताकत से चोदने में लगे हुए थे ..उनके हर झटके से शिप्रा का पूरा जिस्म ऊपर तक उछल जाता और लंड के बाहर आते समय फिर से नीचे आ गिरता ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह ….पंडित …जी ……उम्म्म्म……प्रियंका ने सही कहा था …..आप सच में जोरदार तरीके से चुदाई करते हो …उम्म्म्म्म्म ……और जोर से चोदो मुझे ……ओये ….पंडित जोर से कर ….ना ……साले ….चोद मुझे ….अह्ह्ह्ह ..”
आवेश के मारे उसके मुंह से पंडित जी के खिलाफ निरादर भरे शब्द निकलने लगे ..
पंडित जी भी आवेश में भर कर उसके हिलते हुए मुम्मों पर चांटे मारने लगे ..उनके हाथ की उँगलियाँ उसके गोरे मुम्मों पर छप सी गयी थी ..और जिसके दर्द के मारे वो चीख भी रही थी ..
पंडित : "ले साली …..भेन की चूत तेरी ….बड़ी अकड़ है ना तेरे में …अब तेरी अकड़ निकालूँगा …ले साली ….रंडी ….भेन चोद ….आज से तू मेरी रंडी है …समझी …रंडी है तू …”
शिप्रा : "अह्ह्ह्ह्ह ……येस्स्स्स ……मैं हु …..तुम्हारी रंडी …..पंडित जी ….अह्ह्ह्ह ……ओह्ह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ………मैं तो आई …..अह्ह्ह्ह्ह ……..आई एम् कमिंगssssssssssssssssssssssss ”
और एक जोरदार विस्फोट के साथ उसकी चूत के अन्दर एक परमाणु बम फट गया और ढेर सार रस बाहर निकलने लगा ….
पंडित जी ने अपना लंड बहार खींच लिया …और वो गहरी साँसे लेती हुई, निढाल सी होकर बेड से उतर गयी और सोफे पर जाकर लेट गयी ..और पंडित जी के आगे के कार्यकर्म को देखने लगी .
अब बारी थी प्रियंका की ..
उन्होंने उसे बेड पर लिटाया और उसके ऊपर आकर उसके मोटे स्तनों को मलने लगे ..उसके मोटे निप्पल के ऊपर अपनी उँगलियाँ फेराकर उसे और उत्तेजित करने लगे …
वो तो पहले से ही तैयार थी ..पंडित जी की इस हरकत से वो और भी ज्यादा गर्म हो गयी और उसने पंडित जी को अपने ऊपर खींच लिया ..
पंडित जी ने अपना मुंह सीधा लेजाकर उसकी मदर डायरी पर लगा दिया और उसके इरेक्ट हो चुके निप्पल को अपने दांतों के बीच भींचकर कर जोर से काट लिया …
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ….पंडित जी …..आप तो उसे काट कर अलग ही कर दोगे …..उम्म्म्म्म ….धीरे करो …….इसे ….चुसो ……..चाटो …..निचोड़ो ……बस काटो नहीं …”
और इतना कहकर उसने पंडित जी के चेहरे को ऊपर खींच लिया और वो भी अपने होंठों के निशाँ उसकी गर्दन और गालों पर छोड़ते हुए आये और सीधा आकर उसके सन्तरे की फांकों जैसे होंठ अपने मुंह में दबा लिए और जोर -२ से चूसकर उनमे से रस निकालने लगे ..
”उम्म्म्म्म्म्म्म ……उम्म्म्म्म्म्म्म ….अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……अब डाल भी दो न ….तरसाओ मत ….”
पंडित जी के सामने अब प्रियंका ने भी गिडगिडाकर उनके लंड की भीख मांग ली थी ..जैसा पंडित जी चाहते थे ..
उन्होंने उसे घोड़ी बनने को कहा और उसकी चोडी गांड पकड़ कर अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और एक जोरदार शॉट मारकर अपने लंड का सुपाडा अन्दर धकेल दिया …
प्रियंका का मुंह खुला का खुला रह गया ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……..उम्म्म्म्म्म्म्म्म …….क्या चीज ….कटपीस …उम्म्म्म्म्म ….”
अब तो पंडित जी रुके ही नहीं ..उन्होंने उसकी चूत का बेंड ही बजा दिया …हर झटके के साथ उसके अन्दर तक घुस जाते और बच्चेदानी से अपने लंड को टच करवाकर फिर से बाहर आ जाते ..
उन्होंने उसके पेट के नीचे एक तकीया लगा दिया और उसकी गांड को और ऊपर उठा कर हवा में लहरा दिया ..और पीछे से पूरी ताकत से उसकी चूत का हलवा पीटने लगे अपने लंड से ..
और जल्द ही उसके ओर्गास्म की किलकारियां गूंजने लगी पुरे कमरे में ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……पंडित जी …….उम्म्म्म्म्म …..मजा आस्स्स्स गया …..उम्म्म्म्म्म …..मैं तो गयी ….रे ….अह्ह्ह्ह ….मैं तो गयी ……”
वो झड चुकी थी …और पंडित जी भी इतनी देर से अपने लंड के अन्दर एक ज्वालामुखी लिए बैठे थे ..जो अब कभी भी फट सकता था ..
उन्होंने शिप्रा की तरफ देखा जो बड़ी उत्सुकतता के साथ उनकी तरफ देख रही थी ..पंडित जी ने उसे इशारे से अपनी तरफ आने को कहा ..वो किसी पालतू कुतिया की तरह एक ही छलांग में पंडित जी के सामने आकर जमीन पर बैठ गयी ..
पंडित जी ने भी अपना लंड प्रियंका की चूत से बाहर खींच लिया और नीचे उतर आये ..उनका इशारा समझ कर वो भी शिप्रा के साथ ही जमीन पर उसके साथ आकर बैठ गयी और पंडित जी ने अपने लंड को उन दोनों के सामने लहरा दिया ..जिसे वो दोनों भूखी पिशाचिनियों की तरह से चूसने लगी ..
और कुछ ही देर में पंडित जी के लंड का प्रसाद बाहर निकलकर उनके चेहरों पर गिरने लगा ..
पंडित : "अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……उम्म्म्म्म्म्म …उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……”
और प्रियंका ने थोडा प्रसाद शिप्रा के चेहरे पर गिरा दिया और बाकी का अपने ऊपर …
दोनों के चेहरे सफ़ेद चादर से ढक गए, जैसे वहां बर्फ गिरी हो ..
उनको अच्छी तरह से संतुष्ट करने के बाद पंडित जी ने अपने कपडे पहनने शुरू किये .
शिप्रा : "पंडित जी …सच कहु ..आप जैसा मर्द मैंने अपनी लाइफ में पहली बार देखा है ..जो जानता है की औरत को क्या चाहिए और उसे कैसे सेटिस्फाई करना है ..मुझे ऐसे मजे आज तक नहीं मिले थे ..में तो आपकी फेन हो गयी ..और आपके इस छोटे सिपाही की भी ..जिसने मेरे किले के अन्दर जाकर आज ऐसी तबाही मचाई है की अभी तक फील हो रहा है सब ..”
अपनी चूत के ऊपर उँगलियाँ फेरती हुई वो बोले जा रही थी ..और प्रियंका भी उसकी हाँ में हाँ मिला कर उसका साथ दे रही थी .
पंडित जी मंद -२ मुस्कुराते रहे और अपने कपडे पहन कर तैयार हो गए ..अब उन्होंने 4 दिनों के बाद दोबारा मिलना था क्योंकि बद्री के वकील ने 4 दिनों के बाद पैसे भिजवाने थे ..और पंडित जी को उनका हिस्सा देने के लिए शिप्रा ने दोबारा बुलाया था और साथ ही कुछ और भी मजे लेने के लिए ..
पंडित जी घर की तरफ वापिस चल दिए ..
अपने कमरे में पहुँचते -२ उन्हें शाम हो गयी ..नहा – धोकर मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद वो अपने कमरे में गए और सो गए ..वो काफी थक चुके थे .
पर आराम करना पंडित जी की किस्मत में कहाँ …एक घंटे में ही बाहर से किसी ने उन्हें पुकारा ..दरवाजा थपथपाया ..वो उठे और दरवाजा खोल दिया , और एक साया तेजी से अन्दर आ गया और दरवाजा बंद कर लिया .. पंडित जी हेरान थे की इतनी रात को ये कौन है जो इस तरह से छुप कर उनके कमरे में आ रहा है ..और जैसे ही उन्होंने लाइट जलाई तो उसके चेहरे को देखकर वो हेरान रह गए
"नूरी ….तुम …और यहाँ …”
उन्हें उम्मीद भी नहीं थी की नूरी उनके मंदिर में बने हुए कमरे तक आ सकती है ..
नूरी : "अब बात ही कुछ ऐसी थी ..मैं सुबह से आपको फ़ोन कर रही थी ..पर वो बंद था ..दरअसल मैंने वो प्रेग्नेंट वाली बात अपने शोहर को बता दी ..जिसे सुनकर वो इतना खुश हुआ की मुझे कल सुबह ही लेने के लिए आ रहे हैं ..और मैं बिना आपसे मिले कैसे जा सकती थी ..एक आखिरी चुदाई तो बनती ही है न ..”
उसने धीरे से मुस्कुराते हुए पंडित जी के गले में अपनी बाहें डाल दी ..
वैसे तो पंडित जी में इतनी हिम्मत नहीं बची थी की वो नूरी के साथ कुछ कर पाए , उनके शरीर से आज का कोटा तो शिप्रा और प्रियंका पहले ही चूस चुकी थी ..और दूसरी तरफ उन्हें डर था की कही किसी ने नूरी को उनके मंदिर या घर से निकलते हुए देख लिया तो कोई गड़बड़ न हो जाएँ ..तभी उन्हें गिरधर का ध्यान आया ..और उसको दिए हुए वादे का भी ..जिसमे उन्होंने नूरी की चूत उसे दिलवाने की बात कही थी ..
पंडित : "देखो ..तुम्हारा यहाँ आना खतरे से खाली नहीं है ..हमें कहीं और चलना होगा ..”
नूरी : "कहीं भी ले चलो पंडित जी ..बस आज की रात मुझे जी भर कर चोदो …किसी और के लंड में वो बात नहीं है जो आपमे हैं ..”
पंडित : "चलो , आज मैं तुम्हारी डबल ठुकाई करवाता हु ..मैं और मेरा दोस्त तुम्हारी अच्छे से खातिरदारी करेंगे ..”
नूरी : "आपका दोस्त …मतलब आप मुझे किसी और से भी चुदवाना चाहते हैं ..वाव पंडित जी ….आप मेरे बारे में कितना सोचते हैं ..”
उसके दिमाग में तो एक साथ 2 -2 लंड आने भी शुरू हो गए थे ..जैसे केडबरी शॉट्स की ऐड में होता है ..मन में लड्डू फूटा , अब दूसरा लड्डू फूटा …
पंडित जी को आशा भी नहीं थी की वो इतनी जल्दी मान जायेगी ..उन्होंने जल्दी से गिरधर को फ़ोन मिलाया और उसे सारी बात सुनाई ..जिसे सुनकर वो ख़ुशी से पागल ही हो गया ..वो इस वक़्त मार्किट में था, पर पंडित जी ने उसे अपनी मज़बूरी बताई की वो उसकी चुदाई अपने कमरे में नहीं कर सकते ,इसलिए उन्होंने उसके घर पर आने को पुछा, जिसे वो झट से मान गया, क्योंकि अब माधवी और रितु भी जानती थी की सभी के बीच क्या चल रहा है ..और वैसे भी गिरधर रितु से आधे मजे तो ले ही चुका था , उसकी चूत को खिड़की में चूसकर …हो सकता है इसी बहाने आज रितु की चूत भी मिल जाए .. , माधवी भी ये सब जानती थी ..इसलिए उसे पूरा विशवास था की माधवी के सामने वो नूरी की चुदाई करेगा तो भी वो कुछ नहीं कहेगी ..
पंडित जी नूरी को लेकर गिरधर के घर की तरफ चल दिए ..दरवाजा रितु ने खोला
रितु : "ओहो …पंडित जी ..क्या बात है ..आज हमारी याद कैसे आ गयी ..”
वो तो ख़ुशी के मारे उनसे लिपटने जा रही थी, तभी उसने नूरी को देखा ..और एकदम से पीछे हट गयी ..
पंडित जी नूरी को लेकर अन्दर आ गए ..
पंडित : "तुम्हारी मम्मी कहाँ है ..दिखाई नहीं दे रही ..”
रितु : "जी ..वो दरजी के पास गयी है ..दस मिनट तक आ जाएँगी ..पर ..ये कौन है ..पंडित जी ..”
पंडित जी कुछ बोल पाते इससे पहले ही नूरी बोल पड़ी : "मेरा नाम नूरी है ..और तुम मुझे अपनी सहेली समझो ..सुभानअल्लाह ..कितनी खूबसूरत हो तुम ..कायनात की सारी सुन्दरता तुम्हारे अन्दर समां गयी है जैसे …”
अपनी तारीफ सुनकर रितु शरमा गयी ..पिंक कलर की टी शर्ट पहनी हुई थी और खुले बालों में वो क़यामत लग रही थी ..

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