पंडित & शीला पार्ट--35 
गतांक से आगे ……………
नूरी : "आप शर्मिंदा मत होइये …आप गलत नहीं सोच रहे हैं ..ज्यादातर बाप अपनी बेटियों के बारे में यही सोचते हैं ..और ज्यादातर लड़कियां भी अपने बाप के बारे में यही सोचती है ..”
इरफ़ान : "अच्छा ….सच में ?"
नूरी : "हाँ …मैं भी सोचती हु अपने अब्बा के बारे में …जैसे अभी भी मुझे यही लग रहा है की मैं अपने अब्बा का लंड चूस रही हु ..ये सब सोचते हुए करने में काफी मजा आता है ..अगर आप चाहो तो मैं आपको अब्बा कहकर ये सब कर सकती हु …आपको भी अच्छा लगेगा और मुझे भी ..”
इरफ़ान उसके ऑफर को कैसे मना कर सकता था ..वो खुद भी तो यही चाहता था ..
उसने हामी भर दी ..
और इतना कहते ही नूरी ने एक लम्बी सांस भरी और अपने अब्बा के लोंडे को अपने मुंह में धकेल कर उसे और तेजी से चूसने लगी ..
”ओह्ह्ह्ह्ह …..अब्बू …….उम्म्म्म्म ……..तुम्हारे लंड को देखकर मेरी चूत से पानी निकल रहा है …..”
और इस बार वो अपनी आवाज बदलनी भूल गयी ..
जिसे सुनकर एक पल के लिए तो इरफ़ान भी चोंक सा गया ..वो सोचने लगा , मेरी बेटी की एक्टिंग करते हुए इसकी आवाज भी उसके जैसे कैसे हो गयी ..पर उसने ज्यादा सोचना उचित नहीं समझा क्योंकि जिस तरह से वो उसके लंड को चूस रही थी इरफ़ान को दोबारा लगने लगा की उसकी पिचकारी छूट जायेगी ..
उसने फिर से अपनी ”बेटी” को रोक दिया ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..नूरी ……मेरी बच्ची …..रुक जा ……और मत चूस …अपने अब्बा का लंड ….अह्ह्ह्ह …..रुक जा ….”
और एक आज्ञाकारी बेटी की तरह से नूरी ने अपने ”अब्बा” का लंड बाहर निकाल दिया …
इतना गर्म सीन देखकर गिरधर ने साड़ी बेशर्मी की हदें पार करते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसे पंडित जी के सामने ही मसलने लगा ..
नूरी ने जैसे ही इरफ़ान के लंड को बाहर निकाला वो जाकर फिर से उसी सीट पर लेट गयी ..और अपनी टाँगे उठा कर बोली : "आओ न अब्बू …चोदो अपनी नूरी को …घुसा दो मेरी चूत में अपना ये मोटा लंड …मारो मेरी चूत और बुझा दो मेरी प्यास …आओ न अब्बू ..”
अपनी ”बेटी” का आग्रह वो कैसे ठुकरा सकता था …. वो खड़ा होकर उसकी टांगो के बीच पहुंचा और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया ..और उसके नकाब के पीछे छिपी हुई आँखों में देखकर वो उसपर झुक गया ..और झुकने के साथ ही उसका पहाड़ी लंड किसी बर्फीले शूल की तरह उसकी गर्म चूत के अन्दर उतरता चला गया ..दोनों ही चीखे मारकर अपने एहसास का बयान करने लगे ..
”ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अब्बा ……उम्म्म्म्म्म्म ……क्या लंड है आपका ….उम्म्म्म्म्म ….और अन्दर डालो ….अह्ह्ह्ह्ह …..जोर से ….चोदो …अपनी नूरी ….को ….अब्बू …..आज अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रख दो ….अह्ह्ह्ह्ह्ह …..जोर से …और जोर से ….”
इरफ़ान भी बडबडाने लगा : "अह्ह्ह्ह …ले साली …..ले अपने बाप का लंड ….अह्ह्ह्ह ….और अन्दर ले ….घुसवा ले पूरा ….अपनी फुद्दी मे. ….अह्ह्ह्ह ….”
और आवेश में आकर इरफ़ान ने एक ही पल में नीचे झुककर उसके चेहरे का नकाब ऊपर कर दिया …और चेहरा देखने से पहले ही झुक कर उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर जोर – २ से चूसने लगा और नीचे से उसकी चूत में भी जोरों के धक्के मारने लगा ..
और अगले ही पल जब उसने अपनी आँखे खोलकर नूरी के चेहरे को देखा तो उसकी हेरानी की कोई सीमा ही नहीं रही …
नूरी भी समझ चुकी थी की अब बहुत देर हो चुकी है ..पर उसने अपने अब्बू को अपने ऊपर से उठने नहीं दिया ..
इरफ़ान : "नूरी ….तू …और ..और यहाँ ……….”
वो उठने लगा पर नूरी ने उसकी गांड को अपनी टांगो से बाँध लिया था और नीचे से धक्के मारकर वो बाकी का काम निपटाने लगी …
इरफ़ान भी अपने आखिरी पड़ाव पर था …और हेरात की बात ये थी की अपनी बेटी को सामने पाकर उसके लंड की कसावट और भी ज्यादा हो गयी थी …वो अपने लंड को बाहर भी निकालना चाहता था और अन्दर भी रखना चाहता था …
नूरी ने आखिर अपनी मंजिल पा ही ली …और अपने अब्बू को अपनी छाती पर दबोच कर उसने अपनी चूत को भी उनके लंड से बुरी तरह से जकड लिया ..ताकि वो कहीं जा ना पायें …
और अपनी गिरफ्त से छोड़ने के बाद वो अपने अब्बू से बोली : "अब्बू …वो मैं तुम्हे सब बाद में बता दूंगी …पर अभी आप वो करो जिसके लिए यहाँ आये हो ..जल्दी ..”
इरफ़ान ने ”अनमने” मन से उसकी बात मान ली और धक्के मारकर अपने लंड को उसकी टनल के अन्दर बाहर करने लगा ..
अब उसके सामने नूरी का मासूम सा चेहरा था ..वो अपनी बडी -२ आँखों से अपने अब्बू को छोड़ते हुए देख रही थी ..और मुस्कुरा भी रही थी ..उसके हिलते हुए मोटे मुम्मे देखकर इरफ़ान के लंड की पिचकारियाँ आखिरकार उसकी चूत के अन्दर निकलने लगी ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……,ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .,.,.मैं आया ……ओह्ह्ह्ह्ह नूरी ……”
इतना कहकर वो पसीने से भीगी हुई ब्रेस्ट के ऊपर गिर पड़ा ..
थोड़ी देर के बाद वो उठा और अपने लंड को रुमाल से साफ़ करता हुआ अपने कपडे पहनने लगा ..
वो क्या बोले और क्या पूछे नूरी से वो समझ नहीं पा रहा था ..
नूरी ने ही आखिर कार बात शुरू की
नूरी : "अब्बू ,मुझे पता है की आप क्या सोच रहे हैं ..पर आप शायद नहीं जानते की मैं कितने सालों से यही चाहती थी जो आज हुआ है …हाँ अब्बू,जब से मैंने जवानी की देहलीज पर कदम रखा है, मैंने हमेशा से ही आपके बारे में सोचा है ..और धीरे- २ मैं आपसे चुदने के बारे में सोचने लगी ..अपने शोहर से चुदते हुए भी मैंने हमेशा आपको ही सोचा है ..”
इरफ़ान हेरानी से अपनी बेटी का इकबालिया बयान सुन रहा था ..
नूरी : "मुझे जब बच्चा नहीं हो रहा था तो मैंने सोच लिया था की मैं आपसे चुद्वाकर प्रेग्नेंट हो जाउंगी ..पर पंडित जी के समझाने पर मैं मान गयी ..पर मुझसे रहा नहीं गया और आखिरकार उनके ही एक दोस्त की मदद से मैंने आपको यहाँ बुलाया और बाकी सब आपके सामने है ..”
इरफ़ान : "पर नूरी …ये गलत है …दुनिया की नजर में ये गलत है ..”
नूरी : "मुझे पता है अब्बू …पर दुनिया को खुश रखने के लिए मैं अपनी हसरतों का गला नहीं घोंट सकती ..मैंने जो चाहां था वो कर लिया ..और जिस तरह से आपने मुझे आज चोदा है मुझे लग रहा है की मैं जल्द ही आपके बच्चे की माँ बन जाउंगी ..”
नूरी ने बड़ी चालाकी से पंडित जी की बात नहीं बताई और उनके बच्चे को भी इरफ़ान का नाम दे दिया ..
नूरी : "अब्बू ….अब ज्यादा मत सोचिये …जो होना था वो हो चूका है …अब बाकी की बातें घर चलकर करते हैं ..”
इतना कहकर वो नंगी उठकर आई और अपने अब्बू के गले से लिपट गयी ..
”और मुझे पता है की बातों से ज्यादा और भी कुछ करना है घर चलकर अभी तो …”
और उसने ऊपर उचक कर अपने अब्बू को होंठों पर चूम लिया ..
नूरी ने भी अपने कपडे पहन लिए और वो थोड़ी देर के बाद अपने घर की तरफ निकल पड़े ..
उनके जाने के बाद पंडित और गिरधर भी अपने घर निकल लिए ..आज तो गिरधर नूरी की चूत नहीं मार पाया था पर पंडित जी ने उसे भरोसा दिलाया की जल्दी ही वो उसका इंतजाम करवा देंगे ..वो ख़ुशी -2 पंडित जी की बात मान गया ..वैसे भी दस हजार कमा कर वो आज बहुत खुश था .
घर पहुँच कर इरफ़ान और नूरी जल्दी से ऊपर अपने घर की तरफ चल दिए ..उनकी दूकान तो अब तक बंद थी और नूरी का ‘नया’ आशिक सुलेमान काफी देर से दूकान खुलने या नूरी के आने की प्रतीक्षा कर रहा था ..जिसे नूरी ने जल्दबाजी में नहीं देखा ..और वो सीधा ऊपर चली गयी अपने अब्बू के साथ ..
और ऊपर जाते ही उसने अपने बुर्के को फिर से एक बार निकाल कर ऐसे फेंका जैसे अब कभी उसकी जरुरत ही नहीं है ..और मादरजात नंगी होकर अपने अब्बू के सामने खड़ी हो गयी ..
पर इरफ़ान अभी तक सामाजिक बातों में उलझा हुआ था ..उसे मन ही मन ये सब गलत लग रहा था ..उसका मन (लंड ) तो वही चाहता था पर दिमाग उसकी इजाजत नहीं दे रहा था .
नूरी के नंगा होने के बावजूद वो ऐसे ही खड़ा रहा और अपनी उलझन को बताने के लिए उसने जैसे ही अपना मुंह खोला , नूरी ने उसके पास आकर उसके मुंह पर अपनी नाजुक उँगलियाँ रख दी ..
और बोली : "अब्बू …मुझे पता है की तुम क्या सोच रहे हो ..पर मेरा विशवास करो, जो भी हमारे बीच हो रहा है वो किसी और को पता नहीं चलेगा ..और आपसे ऐसा प्यार पाकर मुझे कितनी ख़ुशी हो रही है ये मैं बता नहीं सकती ..आप भले ही पचास के आस पास है, पर आपके अन्दर अभी भी इतनी गर्मी है की किसी भी जवान लड़के से आसानी से कोई भी मुल्कबला जीत जाओ ..”
इतना कहकर उसने अपने अब्बू के लंड और उसके दोनों रिश्तेदारों (टट्टे)को अपने हाथ में पकड़कर धीरे – २ दबाना शुरू कर दिया ..
वो तो पहले से ही नूरी की मेहमान नवाजी से खुश थे उसके दोबारा हाथ लगाने से ऐसे अकड़कर खड़े हो गए जैसे उसके गुलाम हो ..
इरफ़ान की सोच उसके मुंह में ही दबकर रह गई ..उसकी आँखों में भी अपनी बेटी के लिए ”प्यार” उमड़ पड़ा ..और उसने अपने हाथों से उसके चेहरे को ऐसे पकड़ा जैसे गुलाब का फूल और फिर होंठ नीचे करके वो उसके गुलकन्द का स्वाद चखने लगा ..
नूरी के मुंह से सिस्कारियों की लाइन सी लग गयी ..उसके अब्बू ने उसे स्वीकार जो कर लिया था, खुले मन से ..ये सोचते हुए उसकी चूत और होंठों से मीठे रस की लहर बाहर की तरफ निकलने लगी ..
जब से उसकी पत्नी की मृत्यु हुई थी, आज पहली बार इरफ़ान के घर में उत्तेजना से भरी हुई सिस्कारियां गूँज रही थी ..जिन्हें सुनकर शायद उसके घर की दीवारें भी झूमने लगी थी .
”ओह्ह्ह अब्बू ….आप नहीं जानते आप मुझे कितने अच्छे लगते हैं …शुरू से ही …मैं आपको ..देखकर ….उम्म्म …पुच ….अपनी …..चूत में ….उम्म्म ….पुच ….उँगलियाँ डाला करती ….थी …अह्ह्ह्ह्ह …..”
इरफ़ान ने अपना हाथ नीचे किया और अपनी तीन उँगलियाँ एक ही बार में उसकी चूत के अन्दर उतार दी ..नूरी की तो जैसे आत्मा तृप्त हो गयी ..वो मचलती हुई अपने अब्बा की उँगलियों के ऊपर ऊ ला ला वाला डांस करने लगी ..
इरफ़ान ने नूरी की दोनों ब्रेस्ट को अपने हाथों से पकड़ा और उन्हें बारी – २ से चूसने लगा ..इरफ़ान ने जैसे ही अपनी बेटी के अंगूरी दाने अपने दांतों के नीचे दबाये वो जोर से सिसक कर अपने अब्बू की गोद में चढ़ गयी ..और उनके मुंह को जोर से अपनी छाती में दबा कर अपना अंगूरी रस पिलाने लगी ..
भले ही इरफ़ान में मरदाना ताकत काफी थी पर उम्र के हिसाब से उसकी साँसे जैसे रुकने सी लगी थी ..नूरी ने अपने बूढ़े बाप की साँसे अपनी छाती से दबा कर रोक दी थी ..पर मौका ही कुछ ऐसा था की नूरी को जैसे कुछ पता ही नहीं चला ..इरफ़ान ने बड़ी मुश्किल से उसे नीचे उतारा , उसकी साँसे फूल रही थी ..
नूरी ने जल्दी से अपने अब्बू के कपडे उतारने शुरू किये ..और अगले एक मिनट में इरफ़ान भी अपनी बच्ची की तरह नंगा खड़ा था वहां ..
नूरी ने बड़े प्यार से उन्हें देखा और उनके लंड को ऐसे पकड़ा जैसे वो उनका हाथ हो और अन्दर बेडरूम की तरफ ले कर चल दी .
अन्दर लेजाकर उसने अब्बू को बेड पर लिटा दिया और उनके लंड को बड़े प्यार से अपने हाथों में लेकर अपने मुंह का रास्ता दिखाया ..और उसे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी ..
इरफ़ान अपनी कोहनियों के बल बैठकर अपनी बेटी के प्यार को अपने लंड पर महसूस कर रहा था ..
नूरी अपनी मोटी -2 ब्रेस्ट को अपने अब्बू के घुटनों से रगड़ कर उन्हें और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी .
इरफ़ान ने उठकर नूरी को बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चड़कर अपना लंड उसके मुंह में पेलकर उससे चूसवाने लगा ..
इरफ़ान के लंड के रस की पहली धार निकल कर नूरी के मुंह को ठंडक पहुंचा रही थी ..जो उसके होंठों के किनारों से बहकर बाहर की तरफ भी आ रही थी ..

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