पंडित & शीला पार्ट--34 
गतांक से आगे ……………
उसने तो समझा था की कोई ग्राहक है ..पर नूरी समझ गयी थी की वो पंडित जी हैं ..
उसने धीरे से सुलेमान से कहा ..”तुम यहीं रहना , मैं इन्हें निपटा कर अभी आती हु ..मेरी चूत की आग बुझाये बिना मैं तुझे कहीं नहीं जाने दूँगी ..”
उसकी बात सुनकर सुलेमान की सांस में सांस आई .
उसने जल्दी से अपने कपडे पहने और बाहर निकल आई ..
बाहर पंडित जी थे . वो जल्दी से उनके पास पहुंची और बोली : "पंडित जी ..अब्बा कहीं बाहर गए हैं ..बस आने ही वाले हैं, आप अभी जाइये ..अभी नहीं हो पायेगा ..”
वो समझ रही थी की ठरकी पंडित रोज की तरह उसकी चूत मारने के लिए आया है ..पर अभी उसका ध्यान सुलेमान की तरफ था, इसलिए वो पंडित जी को टरकाने के लिए ऐसा बोल रही थी ..क्योंकि वो जानती थी की पिछली बार भी कैसे पंडित जी की फट गयी थी जब बाहर उसके अब्बा आ गए थे और वो दोनों अन्दर चुदाई कर रहे थे ..इसलिए अब्बा का नाम बोलकर वो उन्हें डरा भी रही थी ताकि वो जल्दी से पतली गली से निकल जाए .
पर वो भोली – भाली ये नहीं जानती थी की ये सब माया पंडित जी की है, और पंडित जी ने भी यही समय इसलिए चुना था ताकि नूरी अपनी प्यासी चूत की तड़प थोडा और संभाल कर रखे ताकि इरफ़ान के साथ चुदाई में और भी ज्यादा मजा आये .
वो मुस्कुराये और नूरी से बोले : "मुझे बेवकूफ बनाने की कोई जरुरत नहीं है ..मुझे पता है की अन्दर कौन है ..और तुम क्या कर रही थी ..”
अब गांड फटने की बारी नूरी की थी ..उसने आँखे गोल करके पंडित जी के चेहरे को देखा जैसे विशवास कर लेना चाहती हो की वो जो बोल रहे हैं वो सच भी है या नहीं ..पर पंडित जी की आँखों में आत्मविश्वास देखकर उसने नजरे नीची कर ली .
नूरी : "वो …दरअसल …मैंने सोचा ..की ..”
पंडित : "तुमने सोचा की मौका अच्छा है ..अब्बा भी गए हुए हैं ..पंडित जी का लंड भी ले चुकी हु ..तो जाते – 2 सुलेमान के साथ भी मजे ले ही लूँ ..”
वो चुप हो गयी ..कुछ भी न बोल पायी .
पंडित : "मैंने ही इरफ़ान भाई को भेजा है ..तुमने ही तो बोला था अपने अब्बा से चुदने के लिए ..इसलिए मैंने सारा जुगाड़ किया है .”
इतना कहकर पंडित जी ने सारी कहानी एक ही सांस में नूरी को सूना दी ..
वो अपना मुंह फाड़े सुनती रही और मन ही मन खुश होती रही की आखिरकार उसकी बरसों की मुराद पूरी होने जा रही है ..अपने अब्बा से चुदने की ..
पंडित : "पर मुझे क्या पता था की तुम यहाँ दुसरे लंड से मजे ले रही हो ..अगर ये ज्यादा जरुरी है तो रहने दो ..पर बाद में मुझसे उम्मीद मत रखना ..”
नूरी तपाक से बोली : "अरे नहीं पंडित जी ..कैसी बाते करते हो आप ..जिस पल के लिए मैं इतने समय से वेट कर रही थी, उसे मैं ऐसे ही नहीं जाने देना चाहती ..”
उसके चेहरे की ख़ुशी बता रही थी की वो पंडित जी की योजना से पूरी तरह से सहमत है ..
पर पंडित जी ये सब खुले आम नहीं करवाना चाहते थे ..उन्होंने नूरी को जल्दी से तैयार होने की हिदायत दी …और उसे क्या करना है और क्या पहनना है वो भी बता दिया ..
और समय की मांग को ध्यान में रखते हुए उसे जल्दी से जल्दी वहां पहुँचने को कहा ..और ये सब कहकर वो जल्दी से निकल गए .
उनके जाते ही नूरी भागकर अन्दर आई और जल्दी से सुलेमान को कपडे पहनकर वापिस जाने को कहा ..वो बोली की अब्बा का फ़ोन था .. वो बस आने ही वाले हैं , सुलेमान की तो जैसे माँ ही मर गयी नूरी की बात सुनकर , उसका चेहरा और लंड देखने लायक था ..
पर नूरी ने अगली बार जल्दी ही अधूरा काम निपटाने का वादा करते हुए उसे वापिस भेज दिया ..
और फिर उसने दूकान बंद की और भागकर ऊपर गयी , पंडित जी के कहे अनुसार उसने वैसे ही कपडे पहने और ताला लगाकर खंडहर की तरफ चल दी .
वहां दूसरी तरफ खंडहर के बाहर गिरधर खड़ा होकर इरफ़ान का वेट कर रहा था , इरफ़ान भाई जैसे ही उसे आते हुए दिखाई दिए वो उनकी तरफ दौड़ा चला आया ..
इरफ़ान : "हाँ भाई ..किधर है तेरा आइटम …जब से तूने बताया है, मेरा तो लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा ..”
गिरधर : "अरे साहब ..हुस्न का दीदार करने के लिए थोडा इन्तजार और करना पड़ेगा बस ..आप अन्दर जाइये, वो बस आने ही वाली है, मैं उसे लेकर अन्दर आता हु ..”
इतना कहकर उसने अपने हाथ आगे फेला दिए , इरफ़ान समझ गया और उसने अपनी जेब से दस हजार रूपए निकालकर उसकी हथेली पर रख दिए ..बिन मांगे उसे मुंह मांगे रूपए मिल गए थे ..वो खुश हो गया और पैसे अपनी जेब में रख कर गिरधर ने इरफ़ान को खंडहर के अन्दर भेज दिया ..शाम का समय था, इसलिए जो इक्का दुक्का लोग भी वहां मौज मस्ती के लिए आये हुए थे, वो भी जा चुके थे ..
इरफ़ान के अन्दर जाने के कुछ देर के बाद ही उसे पंडित जी भी आते दिखाई दिए ..
पंडित जी ने आकर उसे बता दिया की सब कुछ योजना के अनुसार ही हो रहा है ..लगभग 10 मिनट के बाद ही रिक्शे पर नूरी आती दिखाई दी ..उसने बुरका पहना हुआ था ..पूरा शरीर ढका हुआ था , सिर्फ आँखों वाले हिस्से के जालीदार कपडे में से उसकी नशीली आँखे नजर आ रही थी .
वो जब उनके पास आकर खड़ी हुई तो गिरधर की नजरें बुर्के के ऊपर से ही उसे चोदने में लगी हुई थी ..फिटिंग वाले बुर्के में उसके शरीर के भराव और उभार साफ़ दिखाई दे रहे थे ..गिरधर ने अपनी जीभ सूखे होंठों पर फिराई ..शायद सोच रहा था की उसका नंबर भी तो लगने वाला है इस माल पर .
पंडित जी ने उसे फिर से जरुरी बाते समझाई और उसे गिरधर के साथ अन्दर भेज दिया ..
अन्दर इरफ़ान एक कोने में बने हुए चबूतरे पर बैठा हुआ था , जहाँ से पीछे की तरफ की खायी साफ़ दिखाई दे रही थी ..दूर -2 तक सिर्फ जंगल और पेड़ ही थे ..उसने एक पत्थर की बेंच को साफ़ सुथरा करके उसे चोदने के लिए सजा सा लिया था .
और उसे तो बस इन्तजार था उस लड़की के आने का ..वो सोचने लगा की कैसे वो इस बियाबान खंडहर में उसकी चुदाई करेगा कैसे उसकी गांड मारेगा ..और वो ये सब सोच ही रहा था की गिरधर के साथ उसे नूरी आती हुई दिखाई दी ..
बुर्के के पीछे छुपी हुई नूरी को वो भला कैसे पहचान पाता ..वो तो बस उसके भरे हुए शरीर को देखकर मंत्र्मुघ्ध सा हो गया ..और बड़ी ही बेशर्मी से उन दोनों के सामने ही अपने लंड को मसलने लगा ..
अपने अब्बा को देखकर नूरी की चूत से वैसे ही पसीना निकल रहा था ..ऊपर से उनका लंड मसलना देखकर वो तो जैसे बेकाबू सी हो गयी ..उसका मन तो कर रहा था की अभी अपना बुरका उतार फेंके और अपने अब्बा को दिखा दे की वो कौन है ..पर पंडित जी ने उसे इस बात के लिए मना किया था, इसलिए वो बस खड़ी रही .
इरफ़ान : "वह गिरधर ..तूने सच ही कहा था ..सच में भरा हुआ माल है ये तो ..इसे बुर्के में देखकर ही मेरा लंड ऐसे मचल रहा है , जब ये नंगी होकर चूत दिखाएगी तो क्या हाल होगा इसका ..”
अपने बाप के मुंह से लंड चूत की बाते सुनकर नूरी के होंठ भी फडफडा उठे ..पर वो सिर्फ सिसक कर रह गयी ..
गिरधर : "ये तो मैंने पहले ही कहा था साहब , अब बस आप एन्जॉय करो ..मैं चलता हु ..”
इतना कहकर वो बाहर निकल आया ..और पंडित जी के साथ मिलकर वापिस आकर एक कोने में छिप गया ..जहाँ से वो उनकी चुदाई को आराम से देख सकते थे .
अब असली खेल शुरू होने वाला था .
इरफ़ान को ये पता भी नहीं चल पाया की गिरधर वहीँ छुपकर बैठ गया है उनका खेल देखने के लिए , उसका तो पूरा ध्यान ”नूरी” के ऊपर था ..
इरफ़ान : "तुम्हारा कसा हुआ बदन देखकर तो लग रहा है की तुमने चुदाई काफी करवाई है ..”
वो चुप रही ..
इरफ़ान आगे बड़ा और उसने उसके चेहरे से बुर्के को उतारना चाहा .. पर उसने मना कर
दिया ..
नूरी (आवाज बदल कर , जैसा पंडित जी ने कहा था ) : ”आप प्लीस मेरा चेहरा ना देखे…मैंने इसके बारे में पहले से ही बोल दिया था गिरधर को ..”
इरफ़ान : "पर उसने तो ऐसा कुछ नहीं बताया ..पर कोई बात नहीं ..मैं समझ सकता हु की तुम एक शरीफ घराने की लड़की हो ..पर चेहरे के अलावा तो कुछ छुपाने का इरादा नहीं है ना ..”
कहते हुए इरफ़ान ने नूरी के मुम्मों के ऊपर हाथ रखकर उन्हें जोर से दबा दिया ..
”ऊम्म्म्म्म्म्म …..नाआअ ….वो सब देख सकते हो …..अयीईई …..”
इरफ़ान ने उसकी घुन्डियाँ पकड़कर ऐसे निचोड़ दी मानो करोंदे का रस निकाल रहा हो ..
इरफ़ान ने नूरी को पत्थर की सीट पर बिठा दिया ..और खुद उसके सामने जाकर घुटने मोड़ कर बैठ गया ..
और उसकी टांगो के ऊपर का कपडा धीरे – 2 ऊपर करने लगा ..
जैसे -२ उसका बुरका ऊपर जा रहा था उसकी गोरी पिंडलियाँ नंगी होती जा रही थी ..जिन्हें देखकर इरफ़ान का बुरा हाल हो रहा था ..पंडित जी के कहे अनुसार उसने बुर्के के अन्दर सिर्फ ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी ..ब्लेक कलर की , जो उसके गोर रंग से कंट्रास करके काफी जच रही थी .
जैसे ही उसकी मोटी और गद्देदार जांघे इरफ़ान के सामने चमकी उसने अपनी बाहर निकल रही कुत्ते जैसी जीभ को नीचे किया और उसे ऐसे चाटने लगा जैसे चीज वाला सेंडविच ..अपने अब्बा के पहले स्पर्श से नूरी सिहर उठी ..उनकी खुरदुरी जीभ के एहसास को अपनी चिकनी जाँघों के ऊपर पाकर उसने आँखे बंद कर ली ..और उनके सर को अपने हाथों से दबा कर अपने ”अब्बा” को और ऊपर आने का निमंत्रण दिया ..
इरफ़ान भी अपनी गीली जीभ को ऊपर की तरफ खिसकाता हुआ उसकी पेंटी तक जा पहुंचा ..अब तो उसका मन कर रहा था की बस उसकी कच्छी के चिथड़े उड़ा डाले …पर वो बेचारी घर क्या पहन कर जायेगी ये सोचकर वो रुक गया ..और उसने नूरी को बुरका उतारने को कहा ..
वो खड़ी हुई और बड़ी अदा के साथ उसने अपने बुर्के के बटन खोलने शुरू किये ..और सारे बटन खोने के बाद उसे कोट की तरह उतार कर नीचे फेंक दिया ..
अब वो सिर्फ ब्रा, पेंटी और नकाब में थी ..सब कुछ ब्लेक कलर का था ..
नूरी के सीने की ऊंचाईया देखकर इरफ़ान की आँखे बाहर निकल आई ..इतनी सेक्सी लेस वाली ब्रा के अन्दर बंद कबूतरों को देखकर उसके हाथ फद्फड़ाने लगे उन्हें पकड़ने के लिए ..और उसकी पतली कमर के नीचे की फेलावट को देखकर उसके लंड महाराज का बुरा हाल हो गया , ना जाने कितनी मुश्किल से वो छोटी सी पेंटी उसकी चोडी और उभरी हुई गांड को कवर करने में कामयाब हो रही थी , ये तो नूरी ही जानती थी ..आगे की तरफ का गहरा धब्बा नूरी की चूत की हालत बयान कर रहा था ..
पंडित जी तो नार्मल थे पर गिरधर की हालत खराब होने लगी ..उसने भी ऐसा माल आज तक नहीं देखा था ..हर तरफ से भरा हुआ और कसाव वाला शरीर था उसका ..वो अपने लंड को अपनी पेंट के ऊपर से ही मसलने लगा ..पंडित उसकी हरकत देखकर मुस्कुरा दिए ..
उधर , इरफ़ान ने आगे बढकर नूरी की ब्रा के स्ट्रेप को एक ही झटके में नीचे गिरा दिया ..और अगले ही पल उसके खरबूजे जितने बड़े मुम्मे बाहर की तरफ निकल आये जिनके ऊपर के दानो को देखकर इरफ़ान के मुंह में पानी आ गया ..और उसने अपना सर नीचे करके उन्हें अपने मुंह में दबोच लिया और अपने दांतों और होंठों से उसकी सेवा करने लगा ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..उम्म्म्म्म्म्म …….”
नूरी का बदन कमान जैसे टेड़ा होकर पीछे की तरफ झुक गया ..इरफ़ान ने अपने दोनों हाथ उसकी गांड के ऊपर रख दिए और पेंटी के अन्दर डालकर उसकी नंगी गांड को थाम लिया .. और उन्हें गुब्बारों की तरह दबाने लगा ..
वो खड़ा हुआ कभी उसका दांया मुम्मा चूसता और कभी बांया …और उसके हाथ की उँगलियाँ धीरे -2 उसकी गांड की सरहदों में दाखिल होकर वहां बनी हुई दोनों चोंकियों को कुरेदने में लगी थी ..एक हाथ की उँगलियाँ उसकी गांड के छेद को कुरेद रही थी और दुसरे हाथ की उँगलियाँ उसकी रसीली चूत को ..
इरफ़ान का मन तो कर रहा था की उसके रसीले होंठों को चूस ले पर उसने मना कर रखा था ..इसलिए वो झुका और उसकी चूत के सामने अपना मुंह लेकर बैठ गया ..और एक ही झटके में उसने उसकी गदरायी हुई गांड का लिबास उतार कर उसे नंगा कर दिया ..
अपने अब्बा की भूखी आँखों के सामने अपनी चूत को बेपर्दा पाकर नूरी की चूत भावुक हो उठी और उसमे से गर्म रस आंसुओं की तरह बहकर बाहर आने लगा ..जिसे उसके अब्बा ने एक पल भी गंवाए अपने मुंह से चाटकर साफ़ कर दिया ..
अब फिर से इरफ़ान ने नूरी को पत्थर की बेंच पर लिटा दिया और उसकी टांगों को खोलकर उसके अन्दर अपने मुंह से खुदाई करने लगा ..
जितनी खुदाई करता उतना ही पानी बाहर निकल आता , उसका चेहरा और होंठ बुरी तरह से उसके रस से नहा कर गीले हो गए ..
नूरी ने अपनी ब्रा के स्ट्रेप भी खोल दिए और अब वो पूरी नंगी थी ..अपने बाप के सामने .
और जैसे वो नंगी हो चुकी थी, वैसे ही वो अपने अब्बा को भी नंगा देखना चाहती थी ..पर उन्होंने अभी तक अपना एक भी कपडा नहीं उतारा था ..और ये इरफ़ान जान बूझकर कर रहा था ..वो उसकी चूत को चूसकर और उसके मुम्मे दबा कर उसे पूरी तरह से गर्म कर देना चाहता था ताकि बाद में वो खुद उसके कपडे उतारकर उसके लंड को किसी पागल कुतिया की तरह से चूसे और चाटे ..
और हुआ भी यही …नूरी से जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो खड़ी हुई और इरफ़ान के सामने घुटनों के बल बैठ गयी ..और उसके पायजामे के नाड़े को खोलने लगी ..
वो आराम से खड़ा होकर उसे बेसब्री से ये सब करता हुआ देख रहा था ..नूरी ज्यादा बोल नहीं रही थी, क्योंकि उसे डर था की कहीं उसकी आवाज को उसके अब्बा पहचान ना ले ..
वो सिर्फ सिसकारी मारकर हाल-ऐ-चूत बयान कर रही थी ..
इरफ़ान ने ऊपर से अपना कुर्ता खुद ही उतार दिया और नीचे से जैसे ही उसका पायजामा नीचे सरका उसके अन्दर खड़ा हुआ जानवर आखिरी पिंजरा तोड़कर बाहर आने को मचलने लगा ..
और फिर नूरी ने धीरे-२ उसके कच्छे को भी नीचे उतार दिया …और जैसे ही उसे अपने अब्बा के लंड का दीदार हुआ उसने अपने नकाब के ऊपर से ही उसे अपने छोटे भाई की तरह से चूम लिया ..
पर बीच में आ रहा कपडा उसे परेशान कर रहा था, उसने धीरे से अपने नकाब को सिर्फ होंठों तक ऊपर उठाया और अपने अब्बा के लंड को अपने मुंह ममे ले लिया ..और उसे जोर -२ से चूसने लगी ..
इरफ़ान को तो लगा जैसे उसका लंड किसी गर्म सुरंग में पहुँच गया है ..इतनी हीट निकल रही थी नूरी के मुंह से जैसे वो उसके लंड का सीख कबाब बना रही है अपने मुंह में ..
पर उसे मजा भी उतना ही आ रहा था ..इतनी जवान लड़की ने आज तक उसके लंड को नहीं चूसा था ..अपनी बेटी की उम्र की लड़की से अपना लंड चुसवाना किसे अच्छा नहीं लगेगा ..और जैसे ही इरफ़ान को अपनी बेटी का ख्याल आया वो और जोश से भर उठा …वो सोचने लगा की ये लड़की बिलकुल उसकी बेटी नूरी की उम्र की है और शारीरिक रूप से भी वैसी ही लग रही है ..काश जो वो सोच रहा है वो सच होता ..कितना अच्छा होता ..
अब वो बेचारा क्या जानता था की ये सच हो चुका है ..जिसे वो चोदने की तैय्यारी कर रहा है वो उसकी अपनी बेटी नूरी ही है ..और उस लड़की को अपनी बेटी नूरी समझ कर वो उसके मुंह को चोदने लगा .
और जैसे ही इरफ़ान को लगने लगा की उसके लंड का पानी निकलने वाला है वो सिहर सा उठा ..और उसने नूरी के सर को पकड़कर उसे रोक दिया ..
”बस ……बस …..रुक जा नूरी ….”
अपनी बेटी के बारे में सोचते- २ उसके मुंह से नूरी निकल गया ..जिसे सुनकर एक पल के लिए तो नूरी के साथ – २ पंडित और गिरधर भी सकते में आ गए की कहीं इरफ़ान को पता तो नहीं चल गया ..
पर अगले ही पल इरफ़ान संभल गया और नूरी से बोला : "उम् माफ़ करना …मेरे मुंह से नूरी निकल गया …”
नूरी (बदली आवाज में ) : "ये नूरी कौन है ..अगर आप चाहो तो मैं नूरी बनकर ये सब कर सकती हु ..आपको भी ज्यादा मजा आयेगा ..”
वो तो मन ही मन खुश हो रही थी की उसके अब्बा भी उसके बारे में वैसे ही सोच रहे हैं जैसे वो सोच रही है ..बस उनके मन को अच्छी तरह से टटोल कर वो उनके सामने बेपर्दा होना चाहती थी ..
इरफ़ान थोड़ी देर के लिए सकुचा सा गया ..वो सोचने लगा की उस ”रंडी’ को अपनी बेटी के बारे में बताये या नहीं ..
नूरी ने उसकी चिंता भांप ली ..और बोली : "लगता है ये तुम्हारी बेटी का नाम है ..है ना ..”
इरफ़ान (हेरान होते हुए ) : "तुम …तुम्हे कैसे पता …चला ..”
नूरी (हँसते हुए) : "अक्सर बेटी की उम्र की लड़की देखकर अपनी बेटी ही याद आ जाती है ..आपकी उम्र देखकर पता चल रहा है की आपकी बेटी की उम्र मेरी जितनी ही होगी ..और शायद आप मुझमे उसका अक्स देख रहे हैं ..”
इरफ़ान ने हाँ में सर हिला दिया ..

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