पंडित & शीला पार्ट--33 
गतांक से आगे ……………
पंडित : "ठीक है ..उसका इंतजाम भी कर दूंगा ..”
पंडित जी का आश्वासन पाकर गिरधर ख़ुशी से पागल हो गया ..
उसने पंडित जी का फ़ोन काटकर जल्दी से इरफ़ान को फ़ोन लगाया और उसे शाम को 5 बजे का टाइम दे दिया और जगह भी बता दी ..वो भी मान गया .खंडहर में चुदाई के ख़याल से ही उसकी तोप से गोले निकलने को आतुर होने लगे ..
पर उसे कुछ इस तरह निकलना पड़ेगा ..ताकि नूरी को कोई शक न हो सके ..
लगभग चार के आस पास उसने नूरी को ऊपर से बुलाया और उससे कहा की दूकान का सामान लेने के लिए सदर बाजार जाना है ..
नूरी को भला क्या प्रॉब्लम होनी थी ..इरफ़ान ने कहा की वो दूकान संभाल ले , इतना कहकर वो बाहर निकल गया ..
नूरी का फ़ोन ऊपर ही रह गया , उसके नीचे उतरने के साथ ही पंडित जी ने उसे फोन मिलाया पर घंटी बजती रही ..उसने फ़ोन नहीं उठाया ..उठती भी कैसे, वो तो नीचे थी दूकान पर .
जब 4 – 5 बार फ़ोन करने पर भी उसने नहीं उठाया तो पंडित जी समझ गए की या तो वो सो रही है या फिर फ़ोन उसके आस पास नहीं है ..उधर टाइम भी होने वाला था , इसलिए उसे बताना जरुरी था, ये सोचकर वो खुद उसके घर की तरफ चल दिए ..
नूरी को दूकान पर बैठे हुए अभी पांच मिनट ही हुए थे की उनकी दूकान प् पुराना ग्राहक सुलेमान वहां आ पहुंचा , दरअसल उसने इरफ़ान भाई को बाहर जाते हुए देख लिया था , और दोपहर का समय होने की वजह से वहां भीड़ भी नहीं थी ..उसकी गन्दी नजरें कब से नूरी के ऊपर थी, और वो भी उसकी बातों का मजा लती रहती थी ..पर बात कभी उसके आगे नहीं बड़ी थी , आज सुलेमान ने सोच लिया था की अपना लक नूरी पर आजमा कर रहेगा ..
वो सीधा दूकान पर जा पहुंचा
सुलेमान : "क्या बात है नूरी …रोज इसी तरह दूकान पर आकर बैठोगी तो मैं सारा दिन कुछ न कुछ लेता ही रहूंगा ..”
नूरी भी थोड़े चंचल मूड में थी ..
नूरी : "तो मना किसने किया है सुलेमान ..तो बोलता जा और मैं निकालती जाती हु ..बोल क्या चाहिए ”
उसका दोअर्थी मतलब समझकर एक बार तो सुलेमान को लगा की वो नूरी को खुलेआम बोल दे ..पर उसकी हिम्मत नहीं हुई .
उसने नूरी की छाती की तरफ देखते हुए कहा : "दो दूध की थेलियाँ दे दे ..”
नूरी भी उसकी बात के पीछे छुपा अर्थ समझ गयी और बोली : "कोन सी लेगा ..अमूल की या मदर डेयरी की ..”
मदर डेयरी बोलते हुए उसने अपनी नजरे झुका कर अपनी छातियों की तरफ इशारा किया ..
अब तो सुलेमान भी समझ गया की नूरी भी वही चाहती है जो वो चाहता है ..
उसने थोडा और चाशनी भरे स्वर में उससे पुछा : "फर्क क्या है दोनों में ..मुझे तो एक जैसे ही लगते हैं ..”
नूरी ने भी सोचा की मौका अच्छा है ..उसके अब्बा भी घर पर नहीं है ..और सुलेमान उसे अच्छा भी लगता है ..और उसपर लाइन भी मारता है .तो क्यों ना आज इसके साथ ही मजा लिया जाए ..
उसने नशीली आवाज में उससे धीरे से कहा : "अन्दर आओ ..तुम्हे दिखाती हु की क्या फर्क है ..”
सुलेमान को तो अपनी किस्मत पर विशवास ही नहीं हुआ ..
वो झट से साईड का फट्टा उठा कर अन्दर चल दिया ..नूरी के पीछे – 2 .
अन्दर जाते ही नूरी ने फ्रिज में से अमूल के दूध की एक थेली निकाली और उसके किनारे को अपने मुंह से छील कर उसमे छेद कर दिया ..और ठन्डे दूध का एक लंबा घूँट पी लिया ..और जान बूझकर उसने थोडा दूध बाहर भी निकाल दिया जो उसके गले से होता हुआ उसकी ब्रेस्ट को भिगोता चला गया ..
सुलेमान की गिद्ध जैसी नजरें पहले से ही उसकी ब्रेस्ट को घूर रही थी ..दूध से गीला होने की वजह से वो और स्वादिष्ट नजर आने लगी ..
उसने अपने होंठों पर जीभ फेरी ..जैसे वो सारा दूध पी लेना चाहता हो ..
नूरी ने वो दूध की थेली उसकी तरफ कर दी ..और बोली : "लो पीकर देखो ..और चेक करो इसका टेस्ट ..”
उसने थेली को झपटा और अपने मुंह से लगा कर सार दूध एक ही बार में पी गया ..
अब नूरी दोबारा से फ्रिज के अन्दर झुकी और कुछ ढूँढने के बाद बोली : "ओहो …मदर डेयरी का दूध तो ख़त्म हो चुका है ..अब तुम कैसे चेक करोगे की किसका टेस्ट बेहतर है ..”
उसने बुरा सा मुंह बनाया …और इस अंदाज से बोली जैसे सुलेमान को कोई इनविटेशन दे रही हो ..
और सुलेमान भी पक्का चोदु था ..वो समझ गया ..और थोडा आगे आया और नूरी की कमर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया ..
नूरी : "ये …ये क्या कर रहे हो ..”
सुलेमान : "थेली वाला दूध नहीं है तो क्या हुआ ..ये भी तो मदर डेयरी का ही सेम्पल है तुम्हारे पास ..”
उसने नजरें झुका कर उसकी छातियों की तरफ इशारा किया ..
नूरी : "तो ..तो ..तुम इसमें से टेस्ट करोगे ..”
वो दोनों जैसे कोई खेल खेलने में लगे हुए थे ..
वो खुद भी यही चाह रही थी ..पर फिर भी खेल की रोचकता को बनाए रखने के लिए ऐसे सवाल कर रही थी और अनजान बनने का नाटक भी .
सुलेमान : "हाँ …..तभी तो बता सकूँगा की कोनसा दूध सही है ..”
इतना कहकर उसने अपना सर नीचे किया और अपनी जीभ निकाल कर उसकी गर्दन पर रख दी ..जहाँ दूध की बूंदे अभी तक जमी हुई थी ..
नूरी के मुंह से एक लम्बी सी सिसकारी निकल गयी …और उसने सुलेमान के सर को पकड़कर अपनी छाती पर जोरों से दबा दिया ..
सुलेमान की जीभ नीचे फिसलती हुई उसके उभारों तक जा पहुंची ..उसने सूट पहना हुआ था, जिसका गला काफी गहरा था , इसी वजह से वो उसके मोटे मुम्मों का आधे से ज्यादा भाग अपनी जीभ से चूस पा रहा था ..
वो ये सब कर रहे थे, इसी बीच पंडित जी दूकान पर आ पहुंचे ..
वहां कोई नहीं था ..उन्होंने टाईम देखा ,पांच बजने में आधा घंटा था , मतलब इरफ़ान भी तो शायद निकल चुके होंगे ..यानी दूकान इस वक़्त नूरी के भरोसे थी ..पर वो है कहाँ , वो ये सोच ही रहे थे की उन्हें दूकान के अन्दर से नूरी की सिसकारी की आवाज आई ..
पंडित जी समझ गए की नूरी जरुर कुछ गड़बड़ कर रही है ..
वो धीरे से अन्दर दाखिल हो गए ..और पीछे वाले कमरे में जाकर आते की बोरी के पीछे छुप गए ..और वहां से जो उन्होंने देखा उसे देखकर उनका शक पक्का हो गया ..
सुलेमान ने नूरी को बुरी तरह से पकड़ा हुआ था और उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चाट रहा था ..
पंडित ने एक पल के लिए तो सोचा की नूरी को अपनी उपस्थिति का एहसास कराये पर कुछ सोचकर वो खुद रुक गए .. क्योंकि उनके दिमाग में अचानक एक बात आ गयी थी ..इसलिए वो वेट करने लगे ,और उन दोनों का खेल देखने में लग गए .
सुलेमान ने धीरे – २ नूरी के सूट की कमीज को ऊपर की तरफ खींचकर निकालना शुरू कर दिया ..
वो मचल रही थी ..और मचलते हुए बोली : "ये क्या कर रहे हो तुम …”
सुलेमान : "तुमने भी तो दूध पीने के लिए थेली को फाड़ा था ..मैं तो थेली को उतार रहा हु ..”
इतना कहते हुए उसने उसकी शर्ट को उतार फेंका ..
उसके बाद का नजारा देखकर तो सुलेमान की कुत्ते जैसी जीभ ऐसे बाहर आ गयी जैसे उसने गोश्त का भण्डार देख लिया हो ..और था भी वो नजारा ऐसा ही ..ब्लेक ब्रा के अन्दर उसके मोटे मुम्मे किसी लबाबदार डिश जैसे लग रहे थे ..जिन्हें वो अपनी जीभ और दांतों से चबा जाना चाहता था ..
उसने अपनी जीभ को उसके उभारों पर फिर से फेराया ..सुलेमान की जीभ की गर्मी और उसकी लार की ठंडक अपने जिस्म पर पाकर वो कांप सी गयी ..
अगले ही पल उसके मोटे हाथों ने उसकी ब्रा के कप नीचे खिसका दिए ..और उसके मजेदार , लज्जतदार , रसीले और मोटे मुम्मे उछल कर बाहर निकल आये ..जिनपर किशमिश जैसे काले रंग के दाने लगे हुए थे ..
सुलेमान ने अपना मुंह पूरा खोल और एक मुम्मे का गोश्त अपने मुंह में ठूस कर उसे जोर से चूसने लगा ..
उसकी ब्रा अभी तक वहीँ की वहीँ थी ..और सुलेमान ने सिर्फ उसकी ब्रेस्ट को बाहर निकाला था , ऐसा एहसास उसने आज तक नहीं पाया था ..वो फिर से सुलेमान के सर को अपनी छाती से दबा कर उसे बच्चों की तरह प्यार करते हुए उसे अपना दूध पिलाने लगी ..
थोड़ी देर चूसने के बाद उसने दूसरी तरफ का भी दूध पीया ..और थोडा चूसने के बाद उसने सर ऊपर उठाया और धीरे से बोला
”इस मदर डेयरी के दूध का मुकाबला कोई नहीं कर सकता …”
उसकी बात सुनकर नूरी मुस्कुरा दी ..और उसका सर पकड़कर उसके होंठों को जोर जोर से चूसने लगी ..
नूरी ने उसका सर पकड़कर वापिस अपने निप्पल पर लगा दिया ..जैसे कह रही हो ..’बातें कम कर ..काम पर ध्यान दे तू .’
उसने दुसरे हाथ से उसकी ब्रा के स्ट्रेप को खींचकर नीचे गिरा दिया ..और उसकी ब्रा उसके पेट पर जाकर अटक गयी ..
अब उसकी दोनों छातियाँ सुलेमान के सामने थी , जैसे थाली में दो खरबूजे सजा दिए हो ,खाने के लिए .
सुलेमान भी दिल खोल कर सिर्फ उन्हें खा ही नहीं रहा था, बल्कि दबा रहा था, निचोड़ रहा था , पी रहा था , जैसे सच में उसमे से दूध की धार निकलेगी और उसकी प्यास बुझा देगी ..
पर दूध की धार निकलने में तो अभी नौ महीने का समय था ..अभी -२ तो पंडित जी ने बीज बोया था उसके अन्दर ..दूध निकलने में टाईम तो लगेगा ही न ..
तभी नूरी के हाथ फिसल कर सुलेमान के लंड के ऊपर चला गया ..उसने उसे जोर से पकड़ कर दबा दिया ..उसकी सलवार के नाड़े को खोलकर उसने झट से नीचे गिरा दिया ..और अंडरवीयर के अन्दर हाथ डालकर उसके रेजिमेंट के सिपाही को अपने सामने तलब कर लिया ..
”वाव ….क्या लंड है तेरा सुलेमान । ”
नूरी ने जैसे ही उसे देखा वो अपनी आँखे फेला कर बोली
वो बिलकुल काले रंग का था ..पर मोटा काफी था , एक खीरे जितना मोटा ..और उतना ही लम्बा ..
नूरी ने अपना दूसरा हाथ अपनी चूत के ऊपर रखा और उसकी चूत के मुंह से निकल रहे पानी को उसने अपनी पेंटी से ही मसल कर साफ़ कर दिया .
वो धीरे से जमीन पर बैठ गयी ..और उसने सुलेमान के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया ..
सुलेमान ने जब देखा की नूरी के गुलाबी होंठ उसके काले लंड को निगल रहे हैं तो उसकी आँखे बंद सी होती चली गयी ..उसने अपना चेहरा ऊपर कर लिया और अपने लंड की चुस्वायी का मजा लेने लगा .
इसी बीच पंडित जी की नजरें उनके साथ – 2 घडी पर भी थी ..दस मिनट हो चुके थे उन्हें यहाँ आये हुए ..वो ज्यादा लेट नहीं होना चाहते थे ..पर उन्हें सही समय का भी इन्तजार था ..
नूरी ने अपने हिलते हुए मुम्मो को उसके घुटनों पर रगड़ते हुए जोर जोर से लंड को पीना शुरू कर दिया ..सुलेमान की हालत खराब होती जा रही थी ..उसके लंड का पानी कभी भी निकल सकता था ..वो सोच रहा था की ऐसे ही वो उसके लंड को पीती रही तो वो उसकी चूत नहीं मार पायेगा जबकि नूरी कुछ और ही सोच रही थी , वो जानती थी की एक बार झड जाने के बाद आदमी को दोबारा झड़ने में टाईम लगता है , इसलिए वो पहले उसके लंड के दूध से अपनी प्यास बुझाना चाहती थी और उसके बाद उससे अपनी चूत चट्वानी थी उसको ..और अंत में फिर से उसके लंड से अपनी चूत की चुदाई करवानी थी ..ये प्रोग्राम था उसके दिमाग में ..
पर वो बेचारी क्या जानती थी की पंडित जी भी वहीँ छुपकर खड़े हैं और उसके सोचे हुए प्लान पर पानी फेरने वाले हैं ..
अगले दो मिनट के अन्दर ही नूरी ने अपने मुंह का कमाल दिखाकर सुलेमान के खीरे का सारा जूस पी लिया ..कुछ नीचे जमीन पर गिर, कुछ उसके मुम्मों पर ..पर ज्यादातर उसके मुंह के अन्दर ही गया ..
नूरी ने अपनी ब्रेस्ट और मुंह के किनारे पर लगा हुआ सुलेमान का माल अपने हाथ की उँगलियों से हथेली में समेटा और अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उसे कुतिया की तरह चाटना शुरू कर दिया ..
अब बारी थी नूरी की ..उसकी चूत की ..जो इतनी देर से बह रही थी की उसकी पेंटी और सलवार पूरी गीली हो चुकी थी ..
उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे गिरा दिया ..
मेचिंग ब्लेक कलर की पेंटी देखकर सुलेमान के मुंह से फिर से लार टपकने लगी ..
उसने उसकी पेंटी को खींचकर नीचे गिरा दिया ..
बस इसी पल का इन्तजार था पंडित जी को ..
जैसे ही उसकी नंगी चूत का नजारा पंडित जी ने देखा वो चुपके से बाहर की तरफ निकल गए ..
और जैसे ही नूरी को जमीन पर लिटा कर सुलेमान ने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी .. बाहर से पंडित जी की आवाज आई ..
”अरे इरफ़ान भाई …कहाँ हो …”
सुलेमान की तो जैसे झांटो में आग लग गयी ..वो इतनी देर से दुआ मांग रहा था की आधे घंटे तक कोई भी ना आये दूकान पर ..ताकि वो सब काम आसानी से निपटा सके ..

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