पंडित & शीला पार्ट--31 
गतांक से आगे ……………
पंडित को जैसे उसकी बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था ..जिसे देखकर गिरधर ने झट से अपना मोबाइल निकाला और उन्हें माधवी की चुदाई का MMS दिखाने लगा ..
पंडित ने देखा की मूवी बनाते हुए अँधेरा काफी था, फिर भी गोर से देखने पर उन्हें पता चल गया की ये माधवी ही है जो दिवार के सहारे खड़ी होकर चुद रही है ..एक लम्बे और मोटे से लंड से ..उसके चेहरे का क्लोसअप देखकर पंडित जी को भी पता चल गया की वो पूरा मजा ले रही थी ..
गिरधर : "देखा पंडित जी …कैसे रंडी की तरह मुंह बना कर चुदवा रही है ..साली पहले तो मना कर रही थी ..पर मुल्ला जी का लंड अन्दर जाते ही इसके तेवर ही बदल गए ..उसके बाद तो कुतिया ने एक शब्द भी नहीं निकाला मुंह से ..देखो कैसे अपनी चूत को अपने हाथों से फेला कर उसका लंड अन्दर डलवा रही है भेन की लोड़ी …”
अपनी बीबी का विडियो देखकर वो फिर से उत्तेजित होने लगा और उसके मुंह से गालियाँ निकलने लगी ..
पंडित जी का भी तानपुरा अपने अकार में आकर मधुर संगीत बजाने लगा ..तभी पंडित जी की नजर माधवी को चोद रहे मुल्ला जी पर पड़ी ..और उनकी आँखे आश्चर्य से फेल कर चोडी हो गयी ..
पंडित : "अरे ….ये …ये मुल्लाजी ..तुम्हे पता है ये कौन है ..”
गिरधर : "नहीं पंडित जी ..मुझे नहीं पता ..कह रहे थे की उनकी बीबी के मरने के बाद वो अक्सर अपनी प्यास रंडियों को चोदकर ही बुझाते हैं ..काफी समय से आ रहे हैं वो तो इस बाजार में ..माधवी को चोदकर वो बहुत खुश हुए थे ..और मुंह मांगे पैसे भी दिए थे ..मैंने तो बस उसे सबक सिखाने के रंडी बनाकर चुदवा डाला ..पर ये सब करने में और इतने पैसे मिलने से मजा भी बहुत आया ..और मुल्ला जी ने तो जाते हुए ये भी कहा की कभी भी दोबारा इसे चुदवाने की इच्छा हो तो उन्हें फोन कर दू ..उन्होंने अपना नंबर भी दिया है मुझे ..”
पंडित समझ गया की इरफ़ान अक्सर वहां जाया करता है ..और इत्तेफाक से गिरधर और माधवी उसे मिल गए और गिरधर ने माधवी का सौदा कर दिया ..गिरधर को तो पता नहीं था इरफ़ान के बारे में पर उसे इस तरह से सरेआम सड़क के बीचो बीच चुदाई करते देखकर, पंडित जी ने उसे पहचान लिया था ..
और उनके मन में एक योजना बननी भी शुरू हो गयी ..नूरी को उसके बाप इरफ़ान से चुदवाने के लिए ..
पर इसके लिए गिरधर की मदद की आवश्यकता थी ..
पंडित : "सुनो गिरधर …तुम्हे मेरे लिए एक काम करना होगा ..”
गिरधर : "आप कहकर तो देखिये पंडित जी ..मैं आपके लिए तो कुछ भी कर सकता हु ..”
गिरधर ने उसे अपनी योजना समझाई ..जिसे सुनकर गिरधर भी हेरान रह गया ..
गिरधर को सारी बातें समझाने के बाद पंडित जी ने गिरधर से पूछा : "घर जाने के बाद माधवी ने कुछ शिकायत नहीं की तुमसे ..की क्यों उसे ऐसे सरेआम रंडी की तरह से चुदवा दिया ”
गिरधर (अपनी खींसे निपोरते हुए ) : "पंडित जी …आप भी तो माधवी की चुदाई कर चुके है, उसे पहचाना नहीं अभी तक आपने ..साली की चूत में इतनी गर्मी है की घर जाकर मैंने खुले में चुदाई कर साली की तब जाकर बुझी उसके भौन्स्ड़े की आग ..”
पंडित उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया ..
गिरधर से रहा नहीं गया और उसने आगे बोलना शुरू किया : "अरे कल तो मेरा सबसे अच्छा दिन था पंडित जी ..पता है, जब मैं माधवी की चुदाई कर रहा था तो रितु अपने कमरे की खिड़की से सब देख रही थी ..और उसने तो अपने कपडे भी उतार डाले थे ..और हमारी चुदाई देखकर अपनी चूत मसल रही थी साली रंडी की औलाद …”
अब पंडित जी के दोबारा से चोंकने की बारी थी ..
पंडित जी : "यानी …तुमने देखा रितु को वो सब करते हुए …और तुमने कुछ कहा नहीं ..”
गिरधर : "कहा न ..माधवी को अन्दर भेजने के बाद मैंने उसे वहीँ खिड़की में ही रंगे हाथों पकड़ लिया था ..और मजे भी लिए ..”
इतना कहकर उसने रितु के साथ का किस्सा भी नमक मिर्च लगा कर सुना दिया ..
पंडित : "हम्म …यानी अब रितु की चुदाई भी जल्द होने वाली है ..”
गिरधर : "हाँ पंडित जी ..बस मुझे डर है तो माधवी का ..कहीं वो कोई पंगा ना कर दे ..लेकिन कोई न कोई जुगाड़ तो करना ही पड़ेगा ..आप ही कोई रास्ता सुझाइए ..”
गिरधर ने पंडित जी के सामने अपने हाथ जोड़ दिए ..
पंडित : "वो भी जुगाड़ कर लेंगे …पर अभी तो ये मुल्ला जी वाला काम करवा दो तुम पहले मेरा …और जब तक रितु की नहीं मिल पा रही तुम्हारे लिए मैं कोई और इंतजाम भी करवा दूंगा ..”
गिरधर के मुंह से लार टपकने लगी ..वो बोला : "मुझे आप की बात पर पूरा भरोसा है पंडित जी ..”
और एक बार फिर से पंडित जी ने उसे अपनी योजना समझाई और उसे जाने के लिए बोल दिया ..गिरधर के जाने के बाद पंडित जी ने खाना खाया और लेट गए ..
पर सोना तो पंडित जी की किस्मत ही नहीं था ..और न ही उनके लंड की किस्मत में ..
उनके लेटते ही दरवाजा खड़क गया उनके घर का ..
पंडित जी ने दरवाजा खोला और उनके सामने रितु खड़ी थी ..
मुस्कुराती हुई ..लहराती हुई ..पीले रंग के सूट में ..
उसका फूल सा खिला चेहरा देखकर पंडित जी की सारी थकान फुर्र्र से उड़ गयी ..उसके ऊपर पीले रंग का सूट काफी जच रहा था .
पंडित जी की आँखों में देखती हुई वो अन्दर आ गयी ..और पंडित जी ने भी दरवाजा बंद कर दिया और रितु के पीछे जाकर उसे अपनी बाजुओं से पकड़कर उसके सपाट पेट के ऊपर अपने हाथ रख दिए ..और अपना सर उसके कंधे पर .
पंडित जी : "उम्म्म्म …आज बहुत महक रही हो ..”
पंडित जी ने उसके बालों को अपने चेहरे से रगड़ते हुए कहा .
वो कुछ बोली नहीं , बस मंद -2 मुस्कुराती रही . पंडित जी के चिपक जाने से उसकी सांस लेने की गति थोडा बड़ गयी थी ..इसलिए उसके ऊपर नीचे होते हुए मुम्मे पंडित जी को साफ़ दिखाई दे रहे थे .
पंडित : "क्या हुआ …आज इतनी चुप क्यों हो ..”
रितु कुछ देर तक सोचती रही और फिर धीरे से बोली : "वो …वो ..कल रात …मैं …मैंने ..”
वो घबरा रही थी ..और पंडित जी समझ गए की वो वही बात बताना चाहती है जो अभी -2 गिरधर बता कर गया है ..
पंडित : "मुझे पता है ..जो तुम कहना चाहती हो ..”
पंडित जी की बात सुनकर वो एकदम से चोंक गयी और पलटकर उनकी तरफ मुंह कर लिया और उनकी आँखों में देखकर बोली : "आप …को कैसे ….”
पर पंडित जी की मुस्कराहट देखकर वो समझ गयी की पंडित जी ने अपने ”ज्ञान” से वो सब जान लिया है ..
उसने नजरें झुका ली ..और अपने गुलाबी और फड़कते हुए होंठों से बोली : "आप नहीं जानते पंडित जी ..कल मैंने क्या फील लिया ..कल का दिन मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा दिन था ..आपको तो मैंने अपना शरीर और कोमार्य सौंप दिया है ..और आपकी वजह से ही मुझे शारीरिक सुख क्या होता है, ये पता चला ..पर कल रात जो हुआ ..वो एहसास कुछ अलग ही था ..मैंने आज तक ऐसा कभी भी महसूस नहीं किया ..आप तो सब जानते ही है ..जब … जब पापा ने मुझे छुवा था न …तो …तो ..”
उसकी साँसे भारी होने लगी …उसके मुंह से हवा निकलने की तेज आवाजें आने लगी ..
पंडित : "कहाँ छुआ था तुम्हारे पापा ने ..बोलो ”
रितु ने हिरन जैसी आँखे उठा कर पंडित जी को देखा …उसकी आँखों में गुलाबी डोरे तेर रहे थे ..चेहरे पर अजीब सा गुलाबीपन आ चूका था ..उसने कांपते हाथों से पंडित जी के हाथ को पकड़ा और ऊपर उठा कर सीधा अपनी छाती पर रख दिया …
”यहाँ ….यहाँ छुआ था उन्होंने ..ऐसा लगा था की मेरी जान ही निकल रही है ..अपनी उँगलियों में दबाकर जब उन्होंने मेरे निप्पलस को जोर से दबाया था तो …तो ..”
वो थोड़ी देर के लिए रुकी ..एक दो गहरी साँसे ली और बोली "तो ऐसा लगा की मेरे दानों से निकल कर मेरी जान उनके पास जा रही है ..”
पंडित के हाथों में उसके निप्पल किसी शूल की तरह से चुभ रहे थे ..पंडित ने भी मौके का फायेदा उठा कर उन्हें दबा डाला ..
वो सिस्कार उठी ..और फिर रितु ने पंडित जी का हाथ थोडा नीचे सरकाकर अपनी नाभि पर रख दिया ..पंडित जी ने वहां भी अपनी कलाकारी दिखाई और अपनी ऊँगली उसकी नाभि में डाल कर घुमा डाली ..
”उम्म्म्म्म्म्म्म ……”
रितु की शराबी आँखे बंद सी होने लगी ..और फिर रितु ने थोडा दबाव डालकर पंडित जी को अपनी योनि के द्वार तक पहुंचा दिया ..और वहां पहुंचकर उनके हाथ को और जोर से अपनी सीनी-भीनी सी चूत पर रखकर दबा दिया ..
रितु की चूत को दबाने से उसके अन्दर से ऐसे पानी निकला जैसे पंडित जी ने कोई पानी से भीगा स्पोंज दबा दिया हो ..उसकी चूत से रिस रहा रस पंडित जी को अपनी हथेली पर भी महसूस हुआ ..थोडा बहुत निकलकर बाहर भी गिर गया ..उसकी पीली सलवार का आगे वाला हिस्सा गिला होकर पारदर्शी सा हो गया ..और उसके अन्दर उसकी सफ़ेद पेंटी साफ़ नजर आने लगी ..
”ओह्ह्ह्ह ….पंडित जी ….आपको मैं क्या बताऊँ …पापा ने जब अपनी ऊँगली मेरे अन्दर डाली तो मैं वहीँ बेहोश सी होने लगी थी ..और उसके बाद जब उन्होंने मुझे वहां चूमा था …तो … तो …”
वो बदहवास सी हो गयी …उसे शायद वही मंजर फिर से याद आ गया जब गिरधर ने उसकी चूत को दशहरी आम की तरह से चूस कर उसका सारा रस पी लिया था ..
आवेश में आकर रितु ने पंडित जी के सर को किसी खिलोने की तरह से पकड़ा और धम्म से अपने होंठों से चिपका कर उन्हें चूसने लगी ..इतनी तेज उसने पकड़ा था की एक बार तो पंडित जी को लगा की वो उनका रेप कर रही है ..
”ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रितु ….उम्म्म्म्म्म ….थोडा धीरे ……..”
पंडित जी ने किसी मुर्गे की तरह से छटपटाते हुए कहा ..
पर रितु को तो अब पंडित जी अपने पापा की तरह दिखाई दे रहे थे ..और वो भी बिना किसी खिड़की के अवरोध के ..
उसने झुककर पंडित जी की सफाचट छाती पर अपनी थूक से गीली जीभ रखी और उसे जोरों से चूसने और चाटने लगी ..
दुसरे हाथ से उसने झट से उनकी धोती को खोल कर नीचे गिरा दिया , अन्दर उन्होंने कुछ भी नहीं पहना हुआ था ..लगातार चुदाई की वजह से दिन ब दिन पंडित जी का लंड मोटा और सुन्दर होता जा रहा था ..उनके लंड की नसें साफ़ दिखाई दे रही थी ..पंडित जी ने रितु के सूट को पकड़कर ऊपर खींच लिया और उसने खुद अपनी ब्रा उतार कर पंडित जी के चरणों में अर्पित कर दी ..
रितु अब पंडित जी के लंड के सामने नतमस्तक होकर बैठी थी ..और उसकी सुन्दरता की अपने पापा के लंड से तुलना कर रही थी ..
दोनों का लगभग एक सामान ही था ..पंडित जी थोडा आगे ही थे इस मामले में ..पर पापा का लंड तो पापा का ही होता है ..कोई भी लड़की अपने पापा के लंड को छोटा थोड़े ही मानेगी ..
अब वो तो था नहीं उसके सामने, इसलिए उसने आँखे बंद की और उसी को गिरधर का लोड़ा समझ कर उसपर अपनी गीली जीभ रगड़ने लगी ..
”उम्म्म्म्म्म ….पापा …..ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ….”
रितु हलके से सिसकारी मारकर पंडित के लंड को अपने मुंह में ले गयी और उसे बुरी तरह से चूसने लगी …
वो कल रात की सारी कसर जैसे अब पूरी कर लेना चाहती हो ..
पंडित को भी आज कुछ अलग ही मजा आ रहा था ..वो सोच रहा था की बेटियों को अपने पापा से कितना प्यार होता है ..वहां नूरी अपने अब्बा से मरवाने के लिए मरी जा रही है और यहाँ रितु का भी यही हाल है ..दोनों को अपने बाप से चुदवाना है ..
पर पंडित जी को इससे कोई परेशानी नहीं थी ..वो तो पहले ही दोनों का रस चख चुके थे ..अब वो अपने बाप से चुदे या यार से ..उन्हें क्या.
पर उन्हें ज्यादा मजा मिल रहा है ये ही बहुत था उनके लिये.
अब तक पंडित जी का शेर पुरे जोश में आ चुका था ..इसलिए रितु को उसे अपने मुंह में रखकर चूसने में मुश्किल हो रही थी . पर उसने भी हार नहीं मानी , अपना पूरा मुंह उसने खोल कर पंडित जी के महाराज को अन्दर विराजमान करवा लिया और उसकी सेवा पानी अपनी जीभ और लार से करने लगी .
पंडित जी ने उसके सर के बाल एक हाथ से पकडे और दुसरे हाथ से उसकी गर्दन के आगे वाला हिस्सा पकड़कर दबा दिया ..और लगे चोदने उसके मुंह को ..

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