पंडित & शीला पार्ट--28


गतांक से आगे ......................
घर पहुंचकर माधवी धम्म से बेंत वाली चेयर पर जाकर बैठ गयी ..रात भी काफी हो चुकी थी . रितु तो कब की सो चुकी थी .
गिरधर : "चल अब नहा ले …चूत और गांड में माल भरकर लायी है आज तो ..साली रंडी ..”
कहकर गिरधर हंसने लगा ..
माधवी का मन तो किया की उसका मुंह तोड़ दे ..पर वो लाचार थी . उसने गिरधर की बात को अनदेखा किया और वैसे ही पड़ी रही …गिरधर अन्दर चला गया और कपडे बदल कर वापिस आ गया .
वापिस आकर उसने देखा की माधवी अभी तक वैसे ही बेठी है ..और शुन्य में ताक रही है . जैसे अपने साथ हुई घटनाओ को लेकर सोच रही थी की ये मेरे साथ ही क्यों हुआ ..क्यों उसके पति ने उसे रंडी की तरह किसी और से चुदवा दिया ..
गिरधर उसके पास आया और उसका हाथ पकड़ कर उठाया और बाथरूम की तरफ ले गया ..वो बेजान सी होकर उसके साथ चल दी .
गिरधर ने उसके कपडे उतारने शुरू किये ..वो कुछ न बोली ..और जब वो पूरी नंगी हो गयी तो गिरधर ने उसे गौर से देखा ..उसका भरा हुआ शरीर उसे शुरू से ही पसंद था ..शादी के इतने सालों के बाद भी उसका हुस्न अभी तक कायम था ..और आजकल हो रही भयंकर चुदाई की वजह से उसमे चार चाँद लग गए थे ..
कहते हैं जब औरत सेक्स करती है तो उसका रूप निखर आता है ..जितना ज्यादा सेक्स, उतनि ज्यादा सुन्दरता ..इसलिए कोई भी खूबसूरत औरत देखो तो समझ जाओ की वो अपनी जवानी के पुरे मजे ले रही है ..
खेर , गिरधर जब उसे टकटकी लगा के देख रहा था तो उसकी लुंगी में उसका हथियार जंग की तेयारी करने लगा ..और धीरे -२ अंगडाई लेता हुआ पूरा खड़ा हो गया .
माधवी आज काफी चुद चुकी थी ..उसमे शायद और चुदने की हिम्मत नहीं बची थी ..पर दुसरो से चुदवाओ और पति को अंगूठा दिखाओ ये वो साबित नहीं करना चाहती थी ..
इसलिए जब गिरधर ने उसके स्तनों को पकड़ कर दबाना शुरू किया तो उसने भी आगे हाथ करके उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया ..उसका मन तो नहीं था , पर अपने पति को नाराज करके वो और मुसीबत नहीं लेना चाहती थी .
उसके मुम्मे मिटटी में सने हुए थे . गिरधर ने उन्हें दबा कर मजे लेने शुरू कर दियी ..मिटटी के कण उसकी ब्रेस्ट पर चुभ रहे थे और निशान भी बना रहे थे ..उसने बाल्टी से एक मग्गा पानी लेकर अपने स्तनों के ऊपर डाल लिया ताकि मिटटी साफ़ हो जाए ..
इसी बीच गिरधर ने अपनी लुंगी उतार डाली और नंगा हो गया ..वो माधवी के मुम्मो के ऊपर झुका और उन्हें अपने मुंह में लेकर बच्चे की तरह उसका दूध पीने लगा .
”ईइय्य्याआअ …….उम्म्म्म्म्म …..अह्ह्ह्ह्ह ”
‘साली कितनी गर्म औरत है …इतनी चुदाई होने के बाद भी झट से गर्म हो गयी ..’ गिरधर ने मन ही मन सोचा ..
गिरधर उसके पीछे आया और अपने लंड को उसकी फेली हुई गांड के बीच फंसा कर हाथ आगे करके उसके मुम्मोम को पकड़ कर दबाने लगा ..
उनका बाथरूम उनके कमरों के पीछे की तरफ था ..वहीँ पर जहाँ उस दिन पंडित खड़ा होकर सारा नजारा देख रहा था ..गिरधर ने बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया था , जैसे उन्हें किसी बात का डर ही नहीं था ..
गिरधर जब पीछे खड़ा होकर माधवी की गांड की सिकाई कर रहा था तो आगे खड़ी हुई माधवी की नजरें अचानक ही रितु के कमरे पर चली गयी ..वहां काफी अँधेरा था पर उसे लगा की उसने जैसे किसी को खड़े हुए देखा है वहां ..उसने ध्यान से देखने की कोशिश की तो उसका शक पक्का हो गया ..वहां रितु ही थी ..वो ना जाने कब से उन दोनों का नंगा खेल देख रही थी ..छुप कर .
उसे अपने आप पर बड़ी शरम आई ..उनकी जवान हो रही बेटी उनकी चुदाई बड़े आराम से देख रही थी ..उसने सोचा की गिरधर को बता दे पर अगले ही पल ये सोचकर डर गयी की अगर गिरधर ने सोचा की उनकी चुदाई देखकर रितु को भी मजा आ रहा है तो वो कहीं अपनी बेटी की ही चुदायी ना कर डाले ..वैसे भी उसकी बुरी नजर काफी दिनों से थी अपनी बेटी पर ..
इसलिए वो चुप हो गयी ..पर उसने पलटकर गिरधर के कान में धीरे से कहा ..”सुनिए ..अन्दर चलिए ना ..यहाँ मुझे शर्म आ रही है ..”
गिरधर : "भेन की लोड़ी …वहां बीच चोराहे पर चुदते हुए तो तुझे शर्म ना आई ..अब यहाँ शरमा रही है तू ..साली रंडी ..यहाँ कौन सा तेरा बाप खड़ा होकर देख रहा है तुझे ..चल नीचे बैठ ..”
पर रितु को उनकी बाते सुनाई नहीं दे रही थी ..
उसने माधवी को नीचे धकेला और अपना फनफनाता हुआ लंड उसके मुंह में पेल कर उसका मुंह चोदने लगा ..
गिरधर ने ऊपर लगा हुआ पानी का फव्वारा (शावर) खोल दिया और ठंडा पानी उनके जिस्मों पर गिरने लगा .
और दूसरी तरफ रितु , जो घर का दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर जाग गयी थी और अपनी माँ और बाप को इतनी रात में नहाते और चुदाई करते हुए देखकर सोच रही थी की कितने ठरकी हैं उसके माँ बाप जो टाईम की परवाह किये बिना ही कहीं भी शुरू हो जाते हैं , जैसे आज बाथरूम में जाकर चुदाई करने का मूड हुआ है दोनों का ..
हमेशा की तरह उसने वही लम्बी फ्रोक पहनी हुई थी रात को सोते हुए ..और जब उसने अपने माँ बाप को नंगा होकर एक साथ नहाते हुए देखा तो उसकी फ्रोक के फीते खुल गए और उसने सरका कर उसे नीचे गिरा दिया ..अन्दर उसने सिर्फ ब्रा पहनी हुई थी ..कच्छी तो उसने कभी पहनी ही नहीं थी रात को सोते हुए ..
वो अपनी माँ के मोटे मुम्मों को अपने बाप के हाथों में मसलते हुए देख रही थी ..और उसके हाथ खुद ब खुद अपने मुम्मों पर जा पहुंचे और उन्हें बेपर्दा करते हुए वो खुद ही उन्हें मसलने लगी ..दुसरे हाथ से अपनी चूत को ..और सोचने लगी की काश वो भी ऐसे बाथरूम में सेक्स कर पाती ..
और सेक्स का नाम दिमाग में आते ही उसके सामने पंडित का चेहरा आ गया ..
उसकी नजरों ने अपनी माँ की जगह खुद को और अपने बाप की जगह पंडित को देखना शुरू कर दिया ..
अब तो जैसे वो कोई मूवी देख रही थी ..जिसमे वो और पंडित जी बाथरूम में खड़े होकर सेक्स कर रहे हैं ..और वो खुद अपने हाथों का प्रयोग करके अपनी ब्रेस्ट और चूत को मसल रही थी .
उधर जैसे ही माधवी ने नीचे बैठ कर गिरधर के लंड को चूसना शुरू किया, वो मस्ती में आकर उसे गालियाँ देने लगा ..जो थोडा तेज थी ..और जिन्हें रितु भी सुन पा रही थी ..उसके लिए गालियाँ नयी नहीं थी ..उसने रास्ते में आते जाते और स्कूल में भी कई लड़कों के मुंह से एक दुसरे को गालियाँ देते सूना था ..पर अपने ही बाप के मुंह से गालियाँ सुनते देखकर वो हेरान रह गयी ..पर उसने नोट किया की उन गालियों को सुनकर माधवी और उत्तेजक तरीके से गिरधर का लंड चूस रही है ..यानी गालियाँ सुनकर उसे मजा आ रहा है ..
”चूस भेन चोद ……अह्ह्ह्ह ……..साली ……भोंसड़ीकी …….चूस मेरा लंड ….अह्ह्ह्ह्ह ….खा जा ….अह्ह्ह्ह्ह ….साली ….कुतिया …रंडी कहीं की …चूस और तेज चूस ..”
रितु के अन्दर भी एक अजीब सी लहर उठने लगी ..उन गालियों को सुनकर …यानी जैसा उसकी माँ को फील हो रहा था वो उसे भी होने लगा ..वो भी बुदबुदाने लगी ..और अपनी चूत की मालिश और तेजी से करने लगी ..
”अह्ह्ह …हाँ …मैं हु रंडी ……..अह्ह्ह्ह … मैं चुसुंगी …आपका लंड ….अह्ह्ह्ह ….मेरे मुंह में डालो ..उम्म्म्म्म ……..मैं हु आपकी कुतिया पापा …..अह्ह्ह्ह …”
खिड़की से हलकी फुलकी सिस्कारियों की आवाज आते सुनकर गिरधर की नजरें वहां चली गयी ..और अब हेरान होने की बारी उसकी थी …उसने देखा की उसकी बेटी रितु नंगी सी होकर खिड़की पर बैठी है ..और आँखे बंद करके बडबडा रही है ..और सिस्कारियां ले रही है ..उसके हिलते हुए हाथ देखकर उसे पता चल गया की वो अपनी चूत मसल रही है …और उसके छोटे – २ स्तन भी उसे दिखाई दिए ..जिन्हें अपने हाथों में लेकर दबाने की उसे कब से चाह थी ..
वो जान गया की उसकी बेटी अपने माँ बाप की चुदाई को छुप कर देखते हुए उत्तेजित हो गयी है ..यानी अब उसे चोदना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा ..पर माधवी के सामने वो ये नहीं जताना चाहता था की उसने रितु को देख लिया है ..
इसके दो घाटे थे , एक तो वो उसकी चूत नहीं मार पायेगा अभी ..और दूसरा माधवी भी अपनी बेटी को बचाना चाहेगी और गिरधर को उसके साथ कुछ नहीं करने देगी ..इसलिए उसने सोच लिया की वो रितु के बारे में बाद में सोचेगा ..अभी तो माधवी की ही मार लि जाये ..और रितु को ज्यादा से ज्यादा दिखाया जाए ताकि वो उसके लंड के लिए मचल उठे .
उसने दिवार पर लगा हुआ बटन दबाकर बाथरूम की लाइट जला दी ..बल्ब की रौशनी में दोनों के जिस्म पूरी तरह से जगमगा उठे ..
माधवी : "ये।ये क्यों जला दिया ..बंद करो इसे … मुझसे नहीं होगा कुछ भी इतनी रौशनी में …”
वो जानती थी की रितु उन्हें देख रही है ..और रौशनी होने की वजह से तो पूरी तरह से दिखाई देंगे दोनों ..इसलिए वो नहीं चाहती थी की रौशनी हो वहां ..पर बेचारी माधवी ये नहीं जानती थी की गिरधर भी रितु को देख चूका है …पर दोनों अनजान बनकर एक दुसरे से इस बात को छुपाने की कोशिश कर रहे थे ..
पर गिरधर ने तो ये सब जान बूझकर किया था रितु ज्यादा रौशनी में उन दोनों की चुदाई देखे और उत्तेजित हो जाए ..वो उसे अपने हथियार के दर्शन भी करवाना चाहता था ..क्योंकि वो जानता था की लंड देखकर लड़की का पचास परसेंट मन तो बन ही जाता है ..बाकी का वो बना देगा बाद में .
उसने अपना लंड माधवी के मुंह से बाहर निकाला ..वो पूरा खड़ा हुआ था इस समय ..और उसे डंडे की तरह से पकड़कर माधवी के चेहरे को पीटने लगा ..
रितु ने जब अपने बाप का लंड पूरा तन हुआ अपनी आँखों से देखा तो उसके होंठ बड़ी तेजी से फडफडाने लगे ..और उसकी उँगलियाँ अपनी घी से डूबी हुई चूत में किसी पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होने लगी ..
”अह्ह्ह्ह्ह ……..क्या लंड है …..उम्म्म्म्म ….मेरे मुंह में डाल लो ना ..पापा ….अह्ह्ह्ह …मुझे दो ..इसे चुसुंगी मैं …उम्म्म्म ..”
उसने पास पड़ी हुई एक केंडल उठाई और घप्प से उसे अपनी चूत में उतार दिया …उसने एक हाथ से खिड़की का सरिया पकड़ा और दुसरे में केंडल ..और अपनी एक टांग उठा कर खिड़की तक पहुंचा दी ..और लगी पेलने केंडल को अपने अन्दर एक लंड समझकर …
”अह्ह्ह्ह्ह्ह ……काश ….मेरी चूत में होता पापा का लंड अह्ह्ह्ह ….उम्म्म्म …क्या चीज है ….”
उसकी चूत में फिसल रही केंडल से इतना घर्षण हो रहा था की उसे लगा की कहीं वहां आग न लग जाए ..और केंडल जलने लगे .
दूसरी तरफ माधवी का बुरा हाल था ..वो जानती थी की रितु अब बचा खुचा सब देख पा रही होगी ..अपनी माँ को चुदते हुए देखकर वो पता नहीं क्या कर रही होगी ..
इतना सोचते ही उसके दिमाग में अपने बचपन की एक बात ताजा हो गयी ..उसने भी कई बार अपने माँ पिताजी की चुदाई देखि थी ..छुप – २ कर ..और वो भी अपनी चूत को मसलकर या मुली डालकर शांत करती थी ..और संतुष्ट हो जाती थी ..और एक बार जब उसके माँ पिताजी को शक हो गया की उनकी बेटी शायद छुप कर उनका खेल देखती है तो उन्होंने अपनी खिड़कियाँ और दरवाजे पुरे बंद करके चुदाई करनी शुरू कर दी ..ताकि उनकी बेटी यानी माधवी उन्हें ना देख पाए और वो बिगड़े नहीं ..पर उसका असर उल्टा हुआ था ..माधवी ने पड़ोस में रहने वाले एक लड़के को पटाया और उसके लंड को अपनी चूत में पिलवा डाला ..
उसे आज भी याद है, वो उत्तेजना थी ही ऐसी ..
और कहीं रितु भी तो ऐसा नहीं करेगी ..हमारी चुदाई ना देख पाने के बाद कहीं वो भी तो कोई गलत काम नहीं कर बैठेगी ..नहीं – नहीं ..हमारी बेटी ऐसा हरगिज नहीं कर सकती ..वो बाहर जाकर मुंह मारे , इस से अच्छा है की वो उनकी चुदाई देखकर ही तृप्त हो जाए ..
इतना सोचकर उसने अपने शरीर को और उत्तेजक तरीके से खिड़की के पीछे खड़ी अपनी बेटी को दिखाना शुरू कर दिया ..
वो खड़ी हुई और गिरधर का हाथ पकड़ कर थोडा और बाहर आ गयी ..ताकि उनकी राजदुलारी चुदाई को और करीब से देख सके ..
गिरधर ने भी मना नहीं किया ..वो भी अपने लंड को और करीब से रितु के सामने परोसना चाहता था ..
माधवी ने पीछे पड़े हुए फोल्डिंग पलंग की तरफ इशारा किया तो गिरधर भागकर उसे उठा लाया और बाथरूम के बाहर बिछा दिया ..माधवी जाकर उसके ऊपर लेट गयी ..और अपनी टाँगे फेला दी ..
गिरधर ने उन टांगो को अपने कंधे पर रखा और अपना लंड माधवी की चूत में पेलकर एक जोरदार शॉट मारा ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …….उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ …म्मम्मम्म ”
एक साथ दो सिस्कारियां निकली …
एक माधवी की ..और दूसरी रितु की .
रितु को तो ऐसा लगा की जैसे वो लंड उसकी माँ की नहीं , उसकी खुद की चूत में उतर गया है ..उसने वो केंडल भी अपने बाप का लंड समझ कर अपने अन्दर पूरी डाल ली ..आज शायद उसने अपने अन्दर की नयी गहराईयों को छुआ था ..इसलिए उसकी सिस्कारियों में एक सिसक भी थी ..
”ओह्ह्ह्ह्ह …पापा …..उम्म्म्म्म …….और अन्दर ….डालो …उम्म्म्म्म …”
अब चुद तो उसकी माँ रही थी पर पुरे मजे वो ले रही थी ..
पर दोनों के लिए लंड एक ही था ..
गिरधर का ..
और जल्दी ही दोनों झड़ने लगी …एक साथ ..लंड से ..और केंडल से ..
माधवी चीखी : "अह्ह्ह्ह्ह ……ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ….और तेज …चोदो ….मुझे ….अह्ह्ह्ह ……उम्म्म्म्म …और तेज ….हाँ न्नन्न ………ऐसे ही …औत जोर से ….जोर से …”
गिरधर : "अह्ह्ह्ह ले और अन्दर ले …साली …..उम्म्म्म …अह्ह्ह्ह्ह ….रितु .”
ओह्ह्ह तेरी माँ की चूत ….ये क्या हो गया ..गिरधर ने अपना सर पीट लिया ..ये क्या निकल गया उसके मुंह से ..रितु का नाम ..और वो भी उसके सामने ..और वो भी माधवी को चोदते हुए .
तीनो झड चुके थे .
पर रितु और माधवी दोनों हेरान थे ..रितु इसलिए की उसने शायद सोचा भी नहीं था की गिरधर भी चोदते हुए उसके बारे में सोच रहा होगा ..पर मन ही मन वो खुश भी थी ..की उसके पिताजी भी उसके बारे में सोच रहे हैं, जैसे वो सोच रही है उनके बारे में ..
और माधवी बेचारी ये जानने की कोशिश कर रही थी की गिरधर ने ऐसा जान बूझकर बोला या गलती से ..
उसके बाद गिरधर काफी देर तक अपना लंड मसलता हुआ वहीँ घूमता रहा …अपनी बेटी को और ज्यादा मजा देने के लिए ..

Comments

Popular posts from this blog