पंडित & शीला पार्ट--26

गतांक से आगे ......................

माधवी गिडगिडा उठी : "नहीं जी ....ऐसा मत कहिये ...वो आप ही का खून है ..आपकी ही बेटी है ...मेरा कोई सम्बन्ध नहीं था किसी के साथ ...''
गिरधर : "अच्छा तो ये क्या है ...मैं अगर अभी ना आता तो मुझे कभी पता ही नहीं चलता की तू ये गुल भी खिला रही है ...भेन चोद ...मुझे रितु को हाथ लगाने भर से रोक रही थी ..और पुरे दो महीने तक हाथ नहीं लगाने दिया मुझे खुद को भी ...और खुद यहाँ रंगरेलिया मना रही है ...चूत के अन्दर पंडित जी का प्रसाद ले रही है ..रांड कहीं की ...चुद्दकड़ ...अब तू मेरे घर नहीं रहेगी ..और अब रितु पर भी तेरा कोई अधिकार नहीं है ..वो मेरे घर रहेगी ...पर मेरी बेटी बनकर नहीं ..''
उसकी बात का मतलब समझकर माधवी की आँखे फेल सी गयी ..उसके दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया ..अगर वो अपनी बेटी के साथ नहीं रहेगी तो गिरधर पता नहीं उसकी फूल सी बेटी के साथ क्या सलूक करेगा ..हे भगवान् ...ये क्या कर दिया मैंने ...''
माधवी : "नहीं ...आप ऐसा मत कहिये ...मुझे घर से मत निकालिए ..मुझे जो सजा देनी है…वो दीजिये ...आप जो कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हु ..पर मुझे घर से मत निकालिए ..''
और इतना कहकर वो फफक-फफक कर रोने लगी
गिरधर भी शायद यही सुनना चाहता था ...उसके चेहरे पर एक कुटिल सी विजयी मुस्कान आ गयी
उसने उसके दोनों मुम्मों के निप्पल अपने हाथो में पकडे और उसे ऊपर की तरफ खींचने लगा और बोला : "ठीक है ...पर तुझे वही करना होगा जो मैं कहूँगा ..जो मैं चाहूँगा ...समझी कुतिया ...''
उसने दर्द को बर्दाश करते हुए हाँ में सर हिलाया
गिरधर पंडित जी के बेड पर आकर बैठ गया जहाँ शीला नंगी लेटी हुई थी ..और उसने अपने सारे कपडे उतार दिए ..और माधवी से कहा ...: ''चल यहाँ आ ..और अपने हाथों का उपयोग किये बिना मेरे पैरों को चाटती हुई मेरे लंड तक आ और उसे चूस ...''
उसने हेरानी से अपने पति की तरफ देखा, जैसे उसे विशवास ही नहीं हुआ हो अपने कानो पर ..इतनी गालियाँ और बेइज्जती करने के बाद गिरधर उसे पंडित जी और शीला के सामने और जलील करना चाहता है ..पर उसके सामने कोई और चारा नहीं था ..उसने रोते -२ अपने हाथ पीछे किये और उन्हें एक दुसरे से बाँध लिया ...और अपनी जीभ निकाल कर उसके पैरों पर रख दी और चाटने लगी
इस समय उसे अपनी हालत सच में एक कुतिया की तरह लग रही थी
वो चाटती हुई ऊपर तक आई ..उसकी जांघे चाटती हुई और ऊपर आई ..गिरधर के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ रही थी ..उसने बड़ी मुश्किल से अपनी सिस्कारियों पर काबू किया हुआ था ...और जैसे ही माधवी की गीली जीभ ने उसके टटों को छुआ गिरधर के हाथ उसके सर के पीछे आ लगे ...और उसने एक ही झटके में अपना पूरा जंगली लंड उसके मुंह में पेल दिया .
वो सोच रहा था की जो औरत कल तक उसके लंड को मुंह लगाने से कतराती थी वो आज उसके पैरों को भी चाट रही है ..और लंड को भी
माधवी के गले तक जा पहुंचा था उसके पति का लंड एक ही बार में ...उसे ऐसा लगा जैसे उसे उल्टी आ जायेगी ....वो फडफडा उठी ..पर गिरधर ने उसकी इतनी से पकड़ी हुई थी की वो कुछ ना कर पायी .
पंडित को भी गिरधर का ये खेल पसंद आ रहा था ..वो आज काफी चुदाई कर चुके थे ..इसलिए उसके साथ इस खेल में कूदने का उनका कोई विचार नहीं था ...पर लंड कब खड़ा हो जाए ये तो वो भी नहीं जानते थे ..
और दूसरी तरफ शीला को ये सब काफी पसंद आ रहा था ..उसकी भी एक दबी हुई सी इच्छा थी की कोई उसे भी ऐसे ही डोमिनेट करे ..गालियाँ दे ...मारे ..पर हर इच्छा तो पूरी नहीं होती ना ..पर ये सब देखते हुए उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी ..
वो सरक कर गिरधर के पीछे पहुंची और उसकी पीठ से अपने मोटे मुम्मे चिपका दिए ..और उसकी गर्दन पर गीली - २ पप्पियाँ करने लगी .
गिरधर को भी उसका ये बर्ताव पसंद आया उसने अपना हाथ पीछे किया और उसके बालों से पकड़कर उसे उतनी ही बेदर्दी से आगे की तरफ खींचा जितनी बेदर्दी से उसने माधवी को पकड़ा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..
''अय्यीईई ......उम्म्म्म ......गिरधर .....अह्ह्ह्ह्ह ....धीरे .....''
शीला की दर्द भरी सिसकारी सुनकर माधवी ने ऊपर की तरफ देखा ..उसका पति उसके ही सामने शीला को आगे खींचकर उसके मुम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को जोर से चबा रहा था
उसने गिरधर का लंड बाहर निकाल कर कुछ कहना चाहा पर उसका एक और झन्नाटेदार थप्पड़ आ पड़ा उसके चेहरे पर ...और वो किसी कुतिया की तरह बिलबिलाती उठी और उसने फिर से उसके लंड को अपने मुंह में भरा और जोर से चूसने लगी
वो समझ चुकी थी की आज उसे वो सब करना होगा जो उसका पति चाहता है और वो सब सहना होगा जो वो उसके साथ कर रहा है ..वो पूरी तरह से असहाय थी ..किसी गुलाम की तरह से अपने हाथ पीछे किये हुए वो उसका लंड चूस रही थी .
जिस तरह से झुक कर माधवी अपने पति का केला खा रही थी, पंडित को उसके पिछवाड़े की रूपरेखा साफ़ दिखाई दे रही थी, उसने आज तक जब भी किसी की गांड या चूत मारी थी, इतना साफ़ और क्लीयर द्रश्य उसने आज तक नहीं देखा था ..किसी बड़े से दिल की आकृति लग रही थी उसकी गांड की, दोनों छेद एक साथ नजर आ रहे थे ..जैसे गोलकुंडा और ताजमहल अड़ोस - पड़ोस में रख दिए हो .
उसकी पारखी नजरों ने देख लिया की ऐसे बर्ताव के बावजूद उसकी चूत का गीलापन और भी ज्यादा हो चूका था
गिरधर के स्वभाव में कोई कमी नहीं आ रही थी ..वो और भी हिंसक सा हो चूका था
अब उसका हिंसकपन शीला पर उतर रहा था ..उसने शीला को अपनी गोद में लिटा लिया और झुक कर उसकी नाभि वाले हिस्से पर अपने तेज दांत गाड़ दिए
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......माआ ..........अह्ह्ह्ह्ह्ह .........''
वो दर्द से दोहरी होकर उसके चेहरे से पूरी लिपट गयी ...शीला के पुरे शरीर ने उसके चेहरे को अपने अन्दर छिपा सा लिया .
गिरधर ने अपने दांये हाथ की चार उँगलियाँ एक साथ उसकी गीली चूत में घुसा दी
वो और भी बुरी तरह से छटपटाने लगी ...और नीचे फिसलकर लंड चूस रही माधवी के मुंह पर जा गिरी
गिरधर का लंड उसके मुंह से बाहर आ गया
उसने माधवी के बाल पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और दुसरे हाथ से शीला को उठा कर दोनों को एकदूसरे के सामने घुटनों पर खड़ा कर दिया ..और बोल : "चलो ...चुसो एक दुसरे को ...''
दोनों ने एक दुसरे को देखा और फिर गिरधर को ...और फिर शीला ने पहल करते हुए अपने होंठ आगे किये और माधवी को स्मूच कर लिया ..कुछ देर में ही माधवी भी रंग में आने लगी और दोनों एक दुसरे के बालों में हाथ फिराते हुए जोर - २ से एक दुसरे को चूमने चाटने लगी
इसी बीच गिरधर खड़ा हुआ और अपने लंड को जोर - २ से हिलाने लगा ...और एक दम से ही उन दोनों के चेहरे के पास अपने पाईप को लाकर उसमे से तेज धार निकालकर उनके चेहरे को भिगोने लगा
पंडित ने ध्यान से देखा ...ये उसका वीर्य नहीं था ...बल्कि पेशाब था ..जो वो उनके चेहरे पर कर रहा था
पंडित के साथ -२ वो दोनों भी गिरधर की ऐसी जलील हरकत से चोंक गयी ...अपने चेहरे पर गिर रही पेशाब की धार से बचने के लिए जैसे ही माधवी पीछे होने लगी, गिरधर का एक और चांटा उसके सर के ऊपर पडा ..और वो रोती हुई अपनी आँखे बंद करके वहीँ पर बैठ गयी .
दूसरी तरफ शीला को शायद ये भी मजेदार लग रहा था ..वो खुलकर उस धार को अपनी छाती , मुंह , आँख और चूत वाले हिस्से पर गिरवा रही थी ..और गर्म धार के साथ वो भी गर्म होती जा रही थी
उसने आगे बढकर गिरधर के लंड को पकड़ा और अपने मुंह में धकेल दिया ...और बाकी का बचा हुआ पानी सीधा अपने अन्दर ले लिया
माधवी उसकी ऐसी हरकत को देखकर हेरान रह गयी ..और पंडित भी
दोनों ने शायद नहीं सोचा था की शीला को ये सब चीजें भी पसंद है .
गिरधर ने उन दोनों के चेहरे के बीच अपना लंड लटका दिया ..और बोला : "चलो ...चुसो दोनों इसे मिलकर ...''
उन दोनों ने अपनी -२ तरफ वाले हिस्से पर अपने होंठ लगाए और उसे बर्फ वाली आइसक्रीम की तरह चूसने और चाटने लगी
बीच - २ में उन दोनों के होंठ आपस में भी टच हो रहे थे ...और गिरधर भी कभी अपना पूरा लंड माधवी और कभी शीला के मुंह में डालकर उनसे चूसवाने लगा .
पंडित के लंड की नसें भी दौड़ने लगी इतना कामुक सीन देखकर
वो अपने लंड पर हाथ रखकर उसे मसलने लगे .
गिरधर से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था ..उसने दोनों को डोगी स्टाईल में खड़े होने को कहा .
दोनों एक दुसरे की बगल में कुतिया बनकर खड़ी हो गयी ..गिरधर पीछे से आया ...और अपना हुंकारता हुआ सिपाही सीधा लेजाकर शीला की फुद्दी में पेल दिया ...वो घोड़ी की तरह हिनहिना उठी और अपने आगे वाले हाथों को ऊपर करके खड़ी सी हो गयी ...और उसने अपनी चूत मार रहे गिरधर के गले में अपने हाथ डाल दिए ...और पीछे मुंह करके उसे चूम लिया .
आसन थोडा मुश्किल था इसलिए धक्के बहुत धीरे लग रहे थे ..पर मजा दोनों को बहुत आ रहा था
थोड़ी देर की ठुकाई के बाद गिरधर ने उसे आगे धक्का दे दिया और फिर से कुतिया वाले आसन में लाकर उसे पेलने लगा .
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह्ह ...गिरधर .....उम्म्म्म ...चोदो ....मुझे ....अह्ह्ह हाँ ..ऐसे ही ....ऐसी चुदाई चाहती थी मैं .....हाँ ....आज मेरी इच्छा पूरी हो गयी ....उम्म्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...''
वो झड पाती इससे पहले ही गिरधर ने उसकी चूत से लंड वापिस खींच लिया ..और ललचाई नजरों से उनकी चुदाई देख रही माधवी की चूत में पेल दिया
वो कसमसा उठी ...पर कुछ बोली नहीं ..उसकी चूत पहले से ही चिकनी हुई पड़ी थी
गिरधर ने एक जोरदार हाथ मारकर उसकी चाँद सी गांड पर अपने हाथ के पंजे का निशान छोड़ दिया
वो बिलबिला उठी
''अय्य्यीईइ .......मर्र्र गयी .......क्या कर रहे हो जी ....''
गिरधर : "भेन चोद ....तेरी करनी की सजा दे रहा हु तुझे रंडी ...एक तो तू गलती करे ऊपर से चुदाई भी मिले ...ऐसा तो हो नहीं सकता न ...ये ले ...''
इतना कहकर उसने एक और जोरदार पंजा मारकर दूसरी तरफ भी अपनी उँगलियों का टेटू बना दिया
फिर उसने वहां से भी अपना लंड खींच लिया और माधवी को पीठ के बल नीचे लेटने को कहा
और शीला को उसके मुंह पर बैठने को बोला ..अब शीला की रंगीन चूत बिलकुल माधवी के होंठो पर थी ...गिरधर के कहने पर माधवी ने उसे चूसना शुरू कर दिया .
शीला अपनी चूत चुसवाते हुए खड़ी हुई फसल की तरह लहराने लगी
तभी गिरधर शीला के सामने की तरफ आया और उसने शीला को पीछे की तरफ होकर अपनी पीठ पर लेटने को कहा ..वो माधवी के शरीर के ऊपर लेट गयी ..गिरधर ने अपना लंड लेजाकर शीला की चूत के दरवाजे पर रखा और अन्दर धकेल दिया
एक मजेदार आह की आवाज निकालकर गिरधर के लौड़े को कबूल किया अपनी चूत के अन्दर .
''उम्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...क्या बात है .....कितना सख्त है तुम्हारा लंड ....उम्म्म… ''
गिरधर ने अपना लंड तो शीला को भेंट कर दिया ..पर नीचे लटक रही उसकी गोटियाँ माधवी के होंठों पर नाच रही थी ..वो अपना मुंह इधर उधर करके उनसे बचने की कोशिश कर रही थी
पर गिरधर के दिमाग में उसे जलील करने का एक और विचार घूम रहा था ..उसने अपनी गोटियाँ पकड़कर माधवी के मुंह में डाल दी और चिल्ला कर उन्हें चूसने को कहा
और शीला की कमर पर हाथ रखकर उसके शरीर को आगे पीछे करने लगा ..और उसका लंड अब वहीँ खड़ा होकर उसके हिलते हुए जिस्म के नीचे चिपकी हुई चूत के मजे लेने लगा
शीला काफी देर से झड़ने के करीब थी ..इसलिए गिरधर के आठ-दस झटकों के बाद उसकी चूत से गर्म रस की रिसायीं होने लगी ...और वो जोर -२ से चिल्लाती हुई झड़ने लगी
''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म ...मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .......म्म्म्म्म्म्म्म ......''
गिरधर ने झटके से अपना लंड पीछे खींच लिया ...और शीला की चूत से निकल रहा सारा रस सीधा माधवी के खुले हुए मुंह के अन्दर जाने लगा ..वो बेचारी बिना किसी विरोध के उसे पी गयी .
अपनी खाली हो चुकी चूत के साथ शीला एक तरफ लुडक गयी ...और गहरी साँसे लेकर अपने आप को नियंत्रित करने लगी
गिरधर अब बिस्तर पर जाकर लेट गया और माधवी के बाल पकड़कर उसे भी ऊपर ले गया ..
और उसे अपने ऊपर लाकर लिटा लिया ...और एक ही झटके में उसकी चूत के दरवाजे तोड़ता हुआ अपना शाही लंड फिर से उसके दरबार में पहुंचा दिया
तो तड़प उठी ..दर्द से ..जंगलीपन से ...जिल्लत से
पर गिरधर पर तो जैसे आज कोई भूत सवार था ..उसने पंडित जी की तरफ देखा ..वो भी तैयार हो चुके थे ..उनका स्टेमिना देखकर गिरधर को भी रश्क सा होने लगा उनसे
उसने पंडित जी को इशारा करके ऊपर आने को कहा ..वो समझ गए की गिरधर क्या चाहता है ...वो बेड पर चडे और नीचे झुककर अपने लंड को माधवी की गांड पर लगा दिया
अपने पीछे एक दुसरे लंड का एहसास होते ही माधवी का शरीर सिहर उठा ..वो कुछ कहना चाहती थी ..पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ..पंडित जी के करारे प्रहार से उनका दूत उसकी गांड के अन्दर जाकर अपना सन्देश पड़ चुका था ...अब वो सिर्फ चिल्लाने और सिस्कारियां मारने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी .
दोनों ने अगले बीस मिनट में उसकी चूत का बेन्ड बजा दिया ..पर उस बेन्ड की आवाज सुनकर दोनों पर कोई असर नहीं पड़ा ...वो तो बस उस धुन पर अपने - २ लंड को नचाते रहे .
और लगभग आधे घंटे के बाद दोनों ने अपना-२ रस उसकी चूत और गांड में निकाल दिया ...माधवी तो जैसे बेहोश हो चुकी थी ..वो निर्जीव सी होकर नीचे फिसल गयी ..और दोनों उठकर अपने-२ कपडे पहनने लगे ...
शीला ने तो वहीँ रहना था, इसलिए वो नंगी पड़ी रही कोने में .
माधवी ने जैसे तैसे कपडे पहने और फिर गिरधर उसे अपने साथ वापिस ले गया
आज जैसी चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी ...डबल पेनेट्रेशन सहना हर किसी के बस की बात नहीं है ..इसलिए चलते हुए उसकी टाँगे कांप रही थी .

Comments

Popular posts from this blog