पंडित & शीला पार्ट--19
गतांक से आगे ......................
पंडित ने उनके जाने के बाद नहा धोकर थोडा आराम किया ..वो काफी थक चुका था ..जब उसकी नींद खुली तो शाम के 4 बजने वाले थे ..अभी मंदिर खुलने में टाइम था, उसे नूरी का ध्यान आया, इरफ़ान भाई को उसने शाम को आने के लिए बोला था ..वो जल्दी से तैयार हुआ और बाजार की तरफ चल दिया ..
इरफ़ान भाई ने दूर से ही पंडित जी को आते हुए देख लिया और अपनी दूकान से बाहर निकल आया ..
इरफ़ान : "नमस्ते पंडित जी ...मुझे तो लगा की आप भूल गए हैं की आपने आज आने का वादा किया था .."
पंडित : "अरे नहीं इरफ़ान भाई, ऐसा कैसे हो सकता है ..बल्कि मैं तो आज सुबह भी आया था पर आपकी दूकान बंद थी इसलिए मैं वापिस चला गया .."
इरफ़ान : "ओह्ह ...दरअसल मुझे सुबह अस्पताल जाना था, मेरी बहन का बेटा दाखिल है वहां ..पर पंडित जी ...मैं नहीं था तो आप ऊपर जाकर नूरी से तो मिल ही सकते थे ना ..इसमें तक्कल्लुफ़ कैसा था .."
अब बेचारे इरफ़ान को कौन समझाए की पंडित सुबह आकर क्या नहीं कर गया उसकी बेटी नूरी के साथ ...
पंडित कुछ ना बोला ...इरफ़ान ने पंडित जी से कहा : "पंडित जी ...आप ऊपर जाइए ...नूरी ऊपर ही है ..मैं जरा अपनी दुकानदारी देख लेता हु तब तक ..और अपनी तरफ से पूरी कोशिश कीजियेगा उसे समझाने की ..मेरी तो सुनती ही नहीं है वो .."
पंडित : "आप फिकर मत करो इरफ़ान भाई ..मैं सब संभाल लूंगा ..आप अपनी दूकान संभालिये ..मैं ऊपर देखता हु .."
इतना कहकर पंडित दूकान के साईड से जा रही सीड़ियों पर चड़ता हुआ ऊपर आ गया ..
ऊपर जाते हुए पंडित नूरी के भरे हुए जिस्म के बारे में सोचता जा रहा था ..और जैसे ही वो ऊपर पहुंचा नूरी बिलकुल सामने खड़ी हुई दिखाई दे गयी ..वो तार पर धुले हुए कपडे डाल रही थी ..उसने पीले रंग का सूट पहना हुआ था ..और कपडे धोने की वजह वजह से वो लगभग पूरी गीली थी ..पंडित जी के क़दमों की आहट सुनकर वो पलटी और भागकर उनसे आकर लिपट गयी ..जैसे जन्मो से उनका इन्तजार कर रही हो ..
नूरी : "ओह्ह्ह ...पंडित जी ...आप तो मुझमे आग लगा कर चले गए ..सुबह से आपका इन्तजार कर रही हु ..अब सहन नहीं होता ..."
और इतना कहते हुए उसने उचक कर फ़िल्मी स्टाईल में पंडित जी के होंठों को अपने मुंह में दबोचा और उन्हें चुसना शुरू कर दिया ..
पंडित : "उम्म्म्म ....दरवाजा तो बंद कर लो ..."
नूरी ने दरवाजा बंद किया ..और पंडित को घसीटते हुए अन्दर ले गयी ..उन्हें बिस्तर पर पटका ..और एक झटके से अपना सूट उतार फेंका ..उसकी काली ब्रा में कैद गोरे मुम्मे पंडित जी को ललचा रहे थे ..नूरी ने बिना देरी किये अपनी ब्रा भी खोल डाली और उछल कर बेड पर आई और पंडित के ऊपर अपने फल लटका कर उन्हें तडपाने लगी ..
अपने चेहरे के 2 इंच की दुरी पर गीले और रसीले फल लटकते पाकर पंडित जी की जीभ बाहर निकल आई और उन्होंने ऊपर मुंह करके नूरी के दांये मुम्मे का लाल निप्पल अपने मुंह में दबोच लिया ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......स्स्स्स्स्स्स्स ....उम्म्म्म्म्म्म ....ओह्ह्ह्ह्ह पंडित ......उम्म्म्म्म ...सुबह से झुलस रही हु मैं ....आग में तेल डालकर चले गए तुम तो ....अह्ह्ह्ह ....अब जल्दी से मेरी आग बुझा डालो ...जल्दीईईईइ इ .......''
पंडित के सर के नीचे हाथ डालकर उसने उनके सर को पकड़कर अपनी छाती से दबा डाला ...पंडित के मुंह पर उसका पूरा मुम्म पिचक गया मुम्मे का मांस पुरे चेहरे को कवर करता हुआ फेल गया ...पंडित की आँखे भी ढक गयी नूरी के मुम्मे से ..उन्होंने अपने दुसरे हाथ से बांये स्तन को पकड़ा और उसे मसलकर उसका रस निकालने लगे ..
नूरी तड़प उठी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्यीई .......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी .....आपके मुंह के साथ - २ हाथों में भी जादू है ...ऊपर इतना कमाल है तो नीचे क्या धमाल होगा ....हूँ ....''
और इतना कहकर वो नीचे सरक गयी और पंडित के धोती से ढके हुए लंड के ऊपर आकर रुक गयी .
पंडित की धोती के नीचे उनका नाग पूरी तरह से खडा होकर फुंफकार रहा था ..नूरी का चेहरा कामुकता से भरकर बड़ा ही नशीला लग रहा था ...उसके मुंह से गीली जीभ निकल कर बाहर लटक रही थी ..और उसमे से लार निकल कर पंडित जी की धोती पर गिर रही थी .
उसने भूखी कुतिया की तरह अपना मुंह सीधा पंडित के लंड के ऊपर लगा दिया और धोती के कपडे समेत उसे दबोच लिया ...
कपडा होने के बावजूद पंडित को नूरी के दांतों की चुभन अपने हथियार पर महसूस हुई और वो दर्द से बिलबिला उठे ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......धीरे नूरी ...धीरे ...ये प्यार से इस्तेमाल करने वाली चीज है ...हिंसक तरीके से करोगी तो तुम्हारा ही घाटा है ..''
वो उनकी बात समझ गयी और फिर बड़े ही प्यार से उसने पंडित जी की धोती में से प्यारे - सलोने लंड को बाहर निकाला और उसे देखकर उसकी आँखों में चमक आ गयी ..
पंडित जी का लम्बा लंड था ही इतना मस्त की हर किसी की आँखे चमक उठती थी ..
उसने धीरे- २ पंडित जी की धोती को फेला डाला और उन्हें पूरा नंगा कर दिया ...
उनका गठीला शरीर और नीचे उतना ही गठीला लंड देखकर वो पंडित जी की कायल हो गयी ..
नूरी ने अपनी पेनी जीभ बाहर निकाली और पंडित जी के लंड के ऊपर फेरानी शुरू की और फिर धीरे-२ वो उसे चूसने लगी ...और फिर तो वो रुकी ही नहीं ..पंडित को ऐसा लग रहा था की उनका लंड किसी सकिंग मशीन के अन्दर फंस गया है ...और उसकी शक्ति सारा रस निकालने की कोशिश कर रही है ...
''अह्ह्ह्ह्ह पंडित जी .....क्या खूबसूरत चीज है आपके पास ....इतना लम्बा तो मैंने आज तक नहीं लिया ...आज तो मजा आ जाएगा ..मुझे ख़ुशी है की आपके जानदार लंड की वजह से मैं प्रेग्नेंट हो सकुंगी ....''
पर प्रेग्नेंट होने के साथ -2 वो पुरे मजे लेने के मूड में भी थी .. उसने अपने मुम्मे पकडे और पंडित जी के लम्बे लंड को उनके बीच में फंसा कर खुद ऊपर नीचे होने लगी ...वो अपने आप टिट फकिंग करवा रही थी ..पंडित के लिए ये नया अनुभव था ...वो अपनी कोहनियों के बल बैठकर उसके हिलते हुए जेली से भरे मुम्मे को अपने लंड के चारों तरफ फिसलता हुआ देखने लगे ..
बीच -२ में वो अपनी जीभ भी उनके सिरे पर टच कर देती जिसकी वजह से उनके मुंह से सिसकारी निकल जाती ..
आज तो पंडित पुरे मूड में था ... नूरी की चूत का तीया पांचा करने के ...
नूरी के चेहरे पर बिखरी जुल्फों की वजह से पंडित जी को कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था ..लंड चूसते हुए लड़की किस अंदाज से उसे देखती है, ये देखना हमेशा से आदमी का सबसे प्रिय दृश्य रहा है ..
पंडित ने हाथ आगे किये और उसकी लटों को साईड में करके उसके चेहरे को देखने लगे ..
पंडित जी ने अपनी लम्बी टांगो का इस्तेमाल किया और नूरी की पायेजामी के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ने लगे ..अपने पैर के अंगूठे से उसकी चिकनी चूत के ऊपर खुजली करके उसे और मचलने पर मजबूर करने लगे .
और फिर उन्होंने अपनी दोनों टांगो के अंगूठे से उसकी पायेजामी के किनारों को पकड़ा और उसे नीचे खिसका दिया ...साथ में कच्छी भी उतर आई ..और पुरे कमरे में नूरी की चूत से निकल रहे रस की गीली - २ सी खुशबू तैर गयी ...पंडित से भी अब सहन करना मुश्किल होता जा रहा था ..उन्होंने नूरी की फेली हुई चूत के द्वार पर अपने अंगूठे को दोबारा लगाया और एक हलके झटके के साथ उसे चूत के अन्दर उतार दिया ...और अंगूठे के साथ वाली उँगलियों को नीचे की तरफ मोड़ दिया ताकि वो ज्यादा से ज्यादा अन्दर जा सके ..

''अह्ह्ह्ह्ह ........अह्ह्ह्ह ....पंडित जी ....आपका तो अंगूठा भी बहुत बड़ा है ...उम्म्म्म्म ....''
और फिर वो उनके अंगूठे के ऊपर अपनी चूत वाले हिस्से से उछल कूद मचाने लगी ..
पंडित जी उसकी क्लिट को अपने अंगूठे के सिरे पर साफ़ महसूस कर पा रहे थे ..नूरी ने भी पंडित के लंड को और जोरों से चूसना शुरू कर दिया ..
कहते हैं, औरत को जितना मजा बिस्तर पर आदमी देगा, उसके बदले में उसे दुगना मजा वो देगी ..बस देर इस बात की होती है की आदमी कितने उत्तेजित और गंदे तरीके से वो सब मजे औरत को दे जिसके बदले में वो भी बिना सोचे समझे उसे ऊपर से नीचे तक चाट कर रख दे .
और यही हाल आज नूरी का था ..पंडित के अंगूठे ने जो धमाल उसकी चूत के तहखाने में मचा रखा था उसका बदले वो पंडित के लंड को बुरी तरह से चूसकर उनके गोडाउन में हंगामा कर रही थी .
आज जैसा मजा शायद ही नूरी को अपने शोहर से आया होगा ..
पंडित ने उसके कन्धों को पकड़ा और उसे ऊपर की तरफ खींच लिया ..उनका अंगूठा भी बाहर आ गया ..अपने चेहरे के ऊपर लाकर उन्होंने उसके स्ट्रोबेरी जैसे होंठों को अपने मुंह में दबोचा और जोरों से उन्हें पीना शुरू कर दिया ...नूरी की कसमसाहट उनके मुंह में ही दब कर रह गयी ..
उन्होंने उसे और ऊपर खींचा और उसके मुम्मों को अपने होंठों से किस्स करते हुए उसके पेट तक आये और फिर थोडा और ऊपर करके उसकी सुगन्धित चूत को ठीक अपने चेहरे के ऊपर लाकर थोडा रुक गए ...
नूरी भी दम साधे पंडित के द्वारा अपनी चूत के निगले जाने की प्रतीक्षा कर रही थी ...उसकी चूत की परतें पूरी तरह से अपने ही रस में डूब कर गीली हो चुकी थी ..जैसे फूल के ऊपर ओस की बूंदे .
उन्होंने अपनी लम्बी सी जीभ बाहर निकाली और ऊपर से ही एक लम्बी चटाई करके डिस्प्ले में आया हुआ सारा पानी पी गए ..
पंडित की गर्म जीभ अपने सबसे कीमती अंग पर लगता देखकर वो जोर से चीत्कार उठी ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म ....और करो .....ना ...पंडित जी ....और चाटो ....इसे ...''
पंडित जी को ज्यादा कहने की जरुरत नहीं थी ..वो अपने काम में माहिर थे ..पर अपनी आदत से मजबूर वो लड़की को तदपा कर उसे और ललचाना चाहते थे ..इसलिए उन्होंने उसकी चूत को छोड़कर उसकी अंदरूनी जाँघों के ऊपर अपने दांत गाड़ दिए ...जो औरत के शरीर का सबसे संवेदलशील अंग होता है ..पर चूत से ज्यादा नहीं ...इसलिए नूरी को इसमें उतना मजा नहीं आया जितना पहले आया था ..उसने अपनी चूत वाला हिस्सा उनके मुंह पर रखा और उसे चूसने को कहा ..
''पंडित जी ....यहाँ अपनी कृपा बरसो ...यहाँ ज्यादा जरुरत है ....उम्म्म्म .....''
पर जैसे ही पंडित ने उसकी बात को अनसुना करते हुए वापिस जाँघों को चाटा वो बिदक सी गयी ...और पंडित के सर को अपनी टांगो के बीच दबोच कर सीधा उनके मुंह के ऊपर बैठ गयी ...
''पंडित .....सुनता नहीं ....मैंने कहा ना ..की यहाँ चूस साले ....समझ नहीं आता तुझे भेन चोद ......''
उसका उग्र रूप देखकर पंडित भी सहम गया ...पर वो कुछ ना बोला ..उसकी जरुरत से ज्यादा समझदारी की वजह से ही उसे गालियाँ पड़ रही थी ..पर बिस्तर पर पड़ने वाली गालियों का भी अपना अलग ही मजा है ..उन्होंने भी आखिर उसकी बात मानते हुए अपनी उँगलियों से उसकी चूत की परतों को फेलाया और अपनी लम्बी जीभ रोकेट की तरह उसके अन्दर उतार दी ..
''उम्म्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह्ह .....यही ....तो .....अह्ह्ह ...मैं .....उम्म्म ...कह ....रही थी ....उम्म्म्म्म्म ......हानsssssss …. ..ऐसे ही ....ओह्ह्ह पंडित जी ....आप तो कमाल है ....उम्म्म्म्म ....जितना लम्बा आपका पैर का अंगूठा ....उम्म्म्म्म उतनी ही लम्बी जीभ भी ....अह्ह्ह्ह ....आपका लंड जब अन्दर जाएगा तो .....क्या होगा ...अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह्ह ...माआआआआ .... .''
पंडित ने अपनी जीभ एकदम से बाहर खींच ली ...और बोले : "भेन की लोड़ी .....तेरी चूत की आग है ही इतनी खतरनाक की मुझे अपने सारे सिपाही इसे बुझाने में लगाने पड़ रहे हैं ....अग्ग्ग्घ्ह्ह .....अभी तुझे बताता हु ...की मेरे लंड में कितनी काबिलियत है ...''
और इतना कहकर उन्होंने उसके मखमली जिस्म को वापिस नीचे की तरफ धकेला और तब तक धकेलते रहे जब तक वो अपनी मंजिल यानी पंडित के लंड तक नहीं पहुँच गयी ...और वो कुछ बोल पाती इससे पहले ही उन्होंने उसकी गांड के चारों तरफ अपने पंजे रखे और उसकी चूत की फांकों को फेलाया और एक जोरदार झटका मारकर अपना बम्बू उसकी शहद की पिटारी में उतार दिया ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी .......उम्म्म्म्म्म ......क्या बात है .....अह्ह्ह्ह्ह .....इतना भरा हुआ तो मैंने आज तक फील नहीं किया अपने आप को ....उम्म्म्म्म ....ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ......''
उसने अपने मुम्मे पंडित की छाती पर फेला दिए सुखाने के लिए जो उनके चूसने से गीले हो गए थे ...और पंडित के झटकों का इन्तजार करने लगी ..
और वो आये भी ...
मगर धीरे धीरे ...
और वो भी पुरे वाले ...यानी पंडित हर बार धीरे से अपना पूरा लंड बाहर खींच लेता ...और फिर वापिस अन्दर डालता ...उनके सुपाड़े को हर बार अन्दर जाते हुए जो जद्दो जहत करनी पड़ती उसकी वजह से वो तड़प कर रह जाती ...
''उम्म्म्म ..पंडित जी ....क्यों तड़पा रहे हैं ....जोर से करो ना ...लगातार ....लम्बे ...शॉट्स मारो ...ना प्लीस ...प्लीस ना ..''
पंडित माँ दिल पसीज गया ...और उन्होंने उसकी बात मानते हुए अपने धक्के तेजी से मारने शुरू कर दिये ..उन्होंने अपने पैरों को बिस्तर पर जमाया और उसकी गांड को पकड़ कर नीचे से इतने धक्के पे धक्के मारे की नूरी के शरीर की सारी नसें खुल गयी ...और वो सिवाए अपनी ब्रेस्ट को उनके सीने से रगड़कर , अपने दांतों से उनके कन्धों पर कट्टी मारने के सिवाए कुछ ना कर पायी ...
और अंत में एक जोरदार घोषणा के साथ पंडित जी ने अपने लंड का रसीला ...नशीला ...खुशबोदार ...मसालेदार ...रस नूरी की चूत के अन्दर निकाल दिया ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओह्ह्ह्ह्ह्ह नूरी .....उम्म्म्म्म ....सच मे. ......तेरी चूत भी बड़ी मजेदार है ....उम्म्म्म ...बड़ी टाईट है ....ओह्ह्ह्ह्ह ....ये ले .....ले मेरा रस ....और हो जा प्रेग्नेंट ....''
पंडित ने जैसे अपना आशीर्वाद दिया उसे ..

वो तो पता नहीं कितनी बार झड चुकी थी ...पंडित के पाईप से निकल रहे जूस की सप्लाई काफी देर तक होती रही ..और वो जरुरी भी थी ...आखिर उसे प्रेग्नेंट भी तो होना ही था ..
पंडित ने उसे नीचे उतार दिया ..और वो काफी देर तक बिस्तर पर ऐसे ही पड़ी रही ...ताकि उनका रस अन्दर तक असर करे .
पंडित ने अपने कपडे पहने और बाहर जाने लगे ..
नूरी ने पुकारा : "पंडित जी ...एक ही बार में प्रेग्नेंट नहीं होते ...कम से कम 8 - 1 0 बार करना पड़ेगा ...''
पंडित जी मुस्कुरा दिए ..वो भी तो दुबारा आना चाहते थे इस गरम चूत को चोदने के लिए ..
शाम को मंदिर के काम निपटा कर पंडित आराम से अपने कमरे में बैठ गया ..और गिरधर का इन्तजार करने लगा ..शराब के साथ उसकी बीबी और बेटी के बारे में बाते करने के लिए पंडित मचला जा रहा था ..पर लगभग 10 बजे तक इन्तजार करने के बाद भी जब गिरधर नहीं आया तो वो समझ गए की आज वो नहीं आएगा, इसलिए वो खाना वगेरह खा कर सो गया .
अगली सुबह पंडित ने सारे काम निपटाए और रितु के आने की प्रतीक्षा करने लगे ..आज तो उन्होंने शीला को भी आने के लिए मना कर दिया था ताकि वो आराम से रितु का भोग लगा सके ..
रितु के बारे में सोचते हुए उनके लंड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी ..वो सोचने लगे की उसकी कुंवारी चूत को मारने में कितना मजा आएगा , वो चिल्लाएगी भी ..उसे थोडा आराम से करना पड़ेगा ..वो झट से उठे और बाथरूम से सरसों के तेल की शीशी उठा कर अपने बेड के पास लाकर रख दी ..ताकि रितु की चूत मारते वक़्त उसका इस्तेमाल कर सके ..
अब तो पंडित का लंड भी तैयार था ..उनका बिस्तर भी और उसके किनारे पड़ा हुआ तेल भी ...बस इन्तजार था तो रितु के आने का ..
और जैसे ही घडी में 2 बजे, पंडित के कान दरवाजे पर आती हुई आहट की तरफ चले गए ...
बाहर से रितु की सुरीली सी और दबी हुई सी आवाज आई : "पंडित जी ..खोलिए ...मैं हु रितु ..''
पंडित तो सुबह से ही उसका इन्तजार कर रहा था ..वो झट से उठा और भागकर दरवाजा खोल दिया ..
सामने रितु हमेशा की तरह लम्बी फ्रोक में खड़ी मुस्कुरा रही थी ..वो कुछ बोल पाते तभी रितु के पीछे से एक लड़की निकल कर सामने आई ..पंडित उसे देखकर चोंक गया ..
रितु : "पंडित जी ..ये ...ये मेरी सहेली है ..संगीता ...और संगीता येही है वो पंडित जी ...जिनके बारे में मैंने तुझे बताया था ..''
पंडित जी हेरानी से कभी रितु और कभी संगीता को देखे जा रहे थे ..और सोच रहे थे की आखिर रितु उसे अपने साथ क्यों लेकर आई है और क्या बताया है उसने उनके बारे में संगीता को .
वैसे संगीता देखने में बुरी नहीं थी ..छोटे कद की ..बाल अजीब ढंग से बंधे हुए थे ..काली आँखे थी, सांवला चेहरा , उसने अभी तक स्कूल की ड्रेस यानी सफ़ेद शर्ट और ग्रे स्कर्ट पहनी हुई थी ....
पर सबसे आकर्षक चीज जो पंडित जी की नजरों में आई वो थे उसके मुम्मे ..जो उसकी उम्र और शरीर के हिसाब से काफी बड़े थे ..
पंडित ने उन दोनों को अन्दर बुलाया और दरवाजा बंद कर दिया ताकि कोई उन दोनों लड़कियों को एक साथ उनसे बातें करते हुए ना देख सके .
अन्दर आते ही संगीता ने बोलना शुरू कर दिया : "ओह्ह्ह वाव ...रितु ...जैसा तूने बताया था ठीक वैसे ही हैं पंडित जी ...ही इज लाईक सलमान खान ...आई लाईक हिम ..''
वो देखने में जितनी भोंदू लग रही थी वैसी थी नहीं …अंग्रेजी में चपर चपर करने में लगी हुई थी ..
पर पंडित यही सोचने में लगा हुआ था की आखिर रितु उसे अपने साथ क्यों लेकर आई है ..
रितु : "मैंने तुझसे पहले ही कहा था की पंडित जी कमाल के है ..तू ही नहीं मान रही थी की मंदिर में पूजा पाठ करने वाले ऐसे नहीं होते ...और तू पूछ रही थी ना की कैसा होता है आदमियों का ..रुक तुझे अभी दिखाती हु ..''
इतना कहकर वो आगे आई और पंडित जी की धोती की तरफ हाथ बढाया ...अब पंडित जी की सहनशीलता की हद पार हो गयी ..
पंडित : "ये क्या है रितु ...कौन है ये ...और किसलिए लायी हो तुम इसे मेरे पास ....क्या देखना चाहती है ये ..''
रितु (सकुचाते हुए ) : "वो ...वो ...पंडित जी ...दरअसल ...ये मेरी बेस्ट फ्रेंड है ... ..मैं इससे कोई भी बात नहीं छुपाती ..और ना ही ये मुझसे ..आज तक जो भी यहाँ हुआ मैंने सब बता रखा है इसे ...पिताजी वाली बात भी बता दी थी मैंने .... और जब कल वाली बात बताई तो ये कहने लगी की वो भी आपको देखना चाहती है ..दरअसल ये भी मेरी तरह ही है ..आज तक इसने कुछ भी नहीं देखा ..और मैंने जो भी पिछले दो दिनों में देखा यानी माँ-पिताजी को करते हुए और फिर कल आपको भी शीला आंटी के साथ सब कुछ करते हुए तो ये जिद्द करने लगी की इसे भी वो सब देखना है ..मेरी जिदगी तो आपने बदल ही डाली है ..आपकी वजह से ही मैं आज स्कूल में रेगुलर जा पा रही हु, सही ढंग से पढाई हो पा रही है ..और सेक्स से रिलेटिड सभी बातों की जानकारी जिस तरह से आप देते हैं वो तो काबिले तारीफ है ..इसलिए ये मेरे साथ ही स्कूल से सीधा मेरे घर आ गयी और वो भी इसलिए की आप इसे भी वो सब समझाए और दिखाए ताकि इसका भी उद्धार हो सके .."
पंडित अपना मुंह फाड़े उसकी बातें सुनता जा रहा था ..उसे तो अपनी किस्मत पर विशवास ही नहीं हो रहा था की उसकी झोली में बिना कुछ मांगे एक और कुंवारी चूत आ गिरेगी ..
उसके मुंह से सिर्फ यही निकला : "क ...क्या ..क्या देखना चाहती है ये .."
रितु ने धीरे से कहा : "जी ..जी ..वो ..वो ..आपका ...ल ...लंड "
पंडित के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी ..जिस अंदाज से रितु ने उनके लंड के बारे में बोला था उसे सुनकर वो सुरसुरा कर रह गए ..

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