पंडित & शीला पार्ट--18
गतांक से आगे ......................
रितु इसलिए की वो शायद किसी और के सामने या साथ में अपने सवालों का जवाब नहीं चाहती थी ..और पंडित जी शीला के साथ ये सब बातें कैसे करेंगे उसे ये समझने में काफी परेशानी हो रही थी ..
और दूसरी तरफ शीला को इसलिए की पंडित की प्लानिंग वो भी नहीं जानती थी , पंडित के कहने पर उसने गिरधर के साथ डबल मजा किया था जिसमे उसे बहुत मजा भी आया था और अब पंडित जी शायद उसका इस्तेमाल करके उनकी बेटी के साथ भी वही सब करना चाहते हैं ..
पर पंडित जी की हर बात को आँख मूँद कर मानने कर वचन वो दे चुकी थी इसलिए उसकी हिम्मत नहीं हुई की उनसे कोई सवाल करे ..वैसे भी, वो जानती थी की पंडित जी कुछ भी करें , उसे मजा तो आना ही आना है ..और वैसे भी, रितु को स्कूल की पढाई कराने से ज्यादा उसे सेक्स की पढाई कराने में ज्यादा मजा आएगा ये सोचते हुए वो पंडित जी से बोली : "ठीक है पंडित जी ...आप जैसा कहें .."
पंडित : "शीला ...तुम दोनों दरवाजे बंद कर दो और अपने सारे कपडे उतार दो .."
पंडित की बात सुनकर शीला किसी रोबोट की तरह से उठी और पहले मंदिर की तरफ का और फिर पीछे वाली गली का दरवाजा बंद कर दिया और बीच में खड़ी होकर अपनी साडी खोलने लगी ..
साडी उतारने के बाद ब्लाउस और फिर ब्रा भी ..और नीचे से पेटीकोट उतार कर वो पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में आ गयी ..पिछले २-३ दिनों की तरह आज भी उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..
पंडित के नाग ने विराट रूप लेना शुरू कर दिया ..
अपने सामने शीला को पूरा नंगा देखकर रितु पलके झपकाना भी भूल गयी ..कल तक एक अध्यापिका बनकर उसे ज्ञान देने वाली शीला आज पूरी नंगी होकर उसके सामने खड़ी थी ..एक अलग तरह का ज्ञान देने के लिये .
पंडित : "देखो रितु , तुम शायद ये सोच रही होगी की मेरे कहने से शीला इस तरह से क्यों तैयार हो गयी ..सुनो, शीला को भी ऐसे कई ज्ञान और खुशियाँ मैंने प्रदान की है जिसकी वजह से इसका जीवन आज पूरी तरह से बदल चूका है ..इसलिए मेरे साथ किसी भी प्रकार की क्रिया करने से इसे कोई आपत्ति नहीं होती बल्कि ख़ुशी ही मिलती है .."
पंडित की बात सुनकर उसे विशवास ही नहीं हो रहा था की पंडित जी का शीला के साथ कोई सम्बन्ध हो सकता है ..
उसकी दुविधा का निवारण करने हेतु पंडित जी उठे और शीला के सामने जाकर उसके चेहरे को पकड़ा और अपने होंठों को उसके अधरों पर रखकर उनका पान करने लगे .
शीला के हाथों का हार अपने आप पंडित जी के गले में आ गया और वो भी उचक उचक कर उनका साथ देने लगी ...
पंडित जी ने शीला के ऊपर वाले होंठ को अपने दांतों में दबाया और ऊपर की तरफ खीचकर चुभलाने लगे ..और अपने हाथों की उँगलियों से उसके निप्पलस को मसल मसलकर लाल करने लगे .
'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म ......उफ़ पंडित जी .....आपकी उँगलियों में तो जादू है ...अह्ह्ह्ह ...ह्म्म्म्म ऐसे ही ...दबाइए इन्हें ...रात भर दर्द करते रहते हैं ..अह्ह्ह्ह ...'
शीला की करुण पुकार सुनकर पंडित ने और तेजी से उनका मर्दन करना शुरू कर दिया ..
पंडित का ध्यान रितु की तरफ था, वो ये सब करते हुए रितु को एक -एक एक्शन साफ़ दिखाना और समझाना चाहते थे ..
पंडित : "देखो रितु ...एक औरत के जिस्म के सबसे कामुक और उत्तेजना का संचार करने वाले हिस्से होते हैं ये ..उसके होंठ ...उसके उरोज ..और ये ..उसकी चूत ...इनका सेवन और मंथन करना अति आवश्यक होता है ...तभी उसे मजे आते हैं ..ये देखो ..."
इतना कहकर उसने शीला की साफ़ और चिकनी चूत पर अपनी उँगलियाँ फेराई और एक झटके से अपनी एक ऊँगली अन्दर खिसका दी ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह्ह पंडित ......जी ....उम्म्म्म्म ....मजा आ गया ..."
पंडित : "देखा ...सिर्फ एक ऊँगली अन्दर डालने से इतना मजा आ गया इसे ...सोचो जब वो अन्दर जाएगा तो क्या होगा ..."
'वो' मतलब लंड ...इतना तो वो अच्छी तरह से जानती थी, रात को अपने माँ बाप की पूरी फिल्म जो देख चुकी थी ...
पंडित : "रितु ...तुम शायद नहीं जानती की आदमी और औरत जब सम्भोग करते हैं तो वो सिर्फ बच्चा पैदा करने का माध्यम नहीं होता, बल्कि एक दुसरे को उत्तेजना का वो एहसास दिलाने का माध्यम भी होता है जिसके लिए स्त्री और पुरुष का मिलन होता है ...और वो आनंद स्त्री को देने के लिए पुरुष कई प्रकार की प्रक्रियाएं करते हैं ..जैसे चूत में ऊँगली डाल देना ...या उसे अपने मुंह से चूसना ..और अंत में अपना लंड अन्दर डाल देना ..जिसके घर्षण से दोनों को काफी मजा आता है ..."
और रितु को प्रेक्टिकल दिखाने के लिए पंडित ने शीला को बिस्तर पर लेटने को कहा ..और खुद उसके सामने आकर बैठ गया ..उसकी टांगो को चोडा करके बीच में जगह बनायी और झुककर अपनी एक ऊँगली फिर से शीला की चूत में डाल दी ...वो चिहुंक उठी ..और फिर दूसरी ऊँगली भी ..और फिर तीसरी ...और उन्हें एक लय में लाकर अन्दर बाहर करने लगे ..
रितु भी आज्ञाकारी स्टूडेंट की तरह उनके पास खड़ी होकर उनका प्रेक्टिकल बड़े ही गौर से देख रही थी ..
पंडित की तीनों उँगलियाँ शीला की चूत में थी , शीला की चूत पंडित की लगातार चुदाई की वजह से खुल गयी थी इसलिए खुली हुई चूत अपने सामने देखकर रितु येही सोचने में लगी हुई थी की कैसे पंडित की तीन -२ उँगलियाँ बड़ी आसानी से अन्दर बाहर हो रही है , पर उसकी चूत तो बड़ी टाईट है, उसमे तो एक ऊँगली डालने से भी इतना दर्द होता है ..कैसे हो पायेगा ये सब उसके साथ ..
पंडित ने उसकी दुविधा पड़ ली और बोले : "चूत की कसावट जल्दी ही चली जाती है ...क्योंकि पुरुष इसके अन्दर अपनी उँगलियाँ और लिंग डालता है ...शुरू में थोडा दर्द या परेशानी भी होती है पर बाद में मजा भी बहुत आता है ...देखो तो जरा इसके चेहरे को ..."
पंडित ने रितु को शीला के चेहरे की तरफ देखने को कहा ...जो अपनी आँखें बंद करके पंडित के बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई जल बिन मछली की तरह मचल रही थी ...आनंद सागर में गोते लगाती हुई वो सब कुछ भूलकर अपनी चूत में पंडित की उँगलियों का मजा ले रही थी ..
पंडित ने तीन उँगलियों के साथ-२ अपना अंगूठा भी अन्दर दाल दिया और उसकी क्लिट को उँगलियों और अंगूठे के बीच में दबोच कर उसकी मसाज करने लगे ...
अब तो उसकी कसमसाहट और मजा और भी बड़ गए ...उसने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा लिया ..और पंडित की उँगलियों के बदले अपने शरीर को धक्के देकर उनकी उँगलियों को अन्दर बाहर करने लगी ..
उसकी हालत देखकर रितु को साफ़ पता चल रहा था की शीला को कितने मजे आ रहे हैं ..
पंडित : "ये जो दाना होता है न ..इसका घर्षण करने से या मसलने से ही स्त्री को असली मजे आते हैं और उसके अन्दर का पानी बाहर निकलता है ...और ये घर्षण ऊँगली , मुंह और लंड तीनो से हो सकता है ..."
पंडित की बात सुनकर रितु को अक्ल आई, वो समझ गयी की क्यों कल रात को भी वो सिर्फ सुलग कर रह गयी, काश वो अपनी ऊँगली को अन्दर डालकर मसलती तो उसे तड़पते हुए सोना नहीं पड़ता ..
पंडित : "लिंग से निकले रस और स्त्री के अन्दर से निकले पानी के मिश्रण से ही बच्चा बनता है .."
ये बात तो पंडित जी पहले भी बता चुके थे, पर आज अपने समक्ष प्रेक्टिकल होते देखकर उसे सब आसानी से समझ में आ रहा था ..
पंडित जी की पारखी नजरें रितु के शरीर की हर हरकत पर थी ...उसके छोटे-२ चुचुक खड़े हो चुके थे ..और टाँगे भी कांप रही थी ..उसके हाथ की उँगलियाँ अपनी चूत की तरफ जाने को मचल रही थी पर शरम के मारे वो पंडित के सामने कुछ कर नहीं पा रही थी ...
पंडित भी जानता था की स्त्री के बदन की आग कैसी होती है . और वो हमेशा की तरह अपनी तरफ से कोई भी पहल नहीं करना चाहता था ..वो तो उसे तडपा कर उसे उस हालत में लाना चाहता था जहाँ आकर वो मजबूर हो जाए और पंडित के साथ अपनी मर्जी से सब कुछ करे ..
और इसके लिए अभी पंडित को काफी मेहनत भी करनी थी ...
पंडित ने देखा की रितु की नजरें बार बार उनके लंड की तरफ जा रही है ..उनका धोती में खड़ा हुआ लंड उसे काफी आकर्षक लग रहा था ..
जवान लड़कियों की सबसे पहली पसंद अपने सामने नंगा लंड देखने की रहती है ..वो अपने जीवन के 16 -18 साल गुजारने के बाद उस चीज को देखने की लालसा रखने लगती है जिसकी वजह से उन्हें सबसे ज्यादा मजा आने वाला होता है, मूवीज में देखकर या अपनी करीबी सहेली से उनकी रूपरेखा सुनकर उसे देखने की इच्छा और भी प्रबल होती चली जाती है ..वैसे तो रितु भी अपने पिता यानी गिरधर का लंड देख ही चुकी थी, पर वो काफी दूर था, अपने समक्ष खड़ा हुआ लंड देखने का लालच रितु के चेहरे पास साफ़ देख पा रहा था पंडित ..
पर वो उसे अभी और भी तडपाना चाहता था ..
और इसके लिए उसने रितु को दुसरे आसन यानी मुख चुदाई के बारे में बताना शुरू किया ..
पंडित : "देखो रितु ...अब मैं तुम्हे वो क्रिया दिखाने जा रहा हु जिसे अपने ऊपर महसूस करके औरत को सबसे ज्यादा मजा आता है .."
इतना कहकर पंडित ने शीला की टांगो को पकड़कर दोनों तरफ फेला दिया और खुद उसकी चूत के ऊपर मुंह रखकर सामने लेट गया ...पंडित ने अपनी उँगलियों से शीला की जाँघों को जोर से पकड़ा हुआ था ..
और पंडित के होंठ बिलकुल शीला की चूत के होंठों के ऊपर थे ..दोनों तरफ से गर्मी निकल कर एक दुसरे के होंठों को झुलसा रही थी ..पंडित ने एक गहरी सांस लेकर अपना मुंह शीला की चूत के ऊपर लगा दिया ..वो आनंद से चीत्कार उठी ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म्म ...पंडित ....जी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ..."
शीला में चेहरे पर आ रहे मादक एहसास को देखकर रितु उसके मजे को नाप रही थी ..कितना अलग और मीठा एहसास हो रहा होगा शीला को , अपनी चूत पर पंडित के होंठों को पाकर ..उसने आँखे मूँद कर वो एहसास अपने शरीर पर महसूस करने की सोची पर जो काम असल में हो वही सही में मजा देता है, सिर्फ सोचकर कुछ नहीं मिलता ..रितु का मन भी विचलित होना शुरू हो चूका था, वो भी अपने ऊपर वो सब कुछ करवाना चाहती थी जो शीला करवा रही थी ..पर पंडित के सामने इतनी जल्दी अपने आप को अर्पित करके रितु भी जल्दबाजी नहीं करना चाहती थी, वो ज्यादा से ज्यादा देर तक अपने आप पर संयम रखकर अपने आप को बचाकर रखना चाहती थी और इसी बीच ज्यादा से ज्यादा ज्ञान भी लेना चाहती थी .
पंडित के होंठों ने शीला की चूत की फेली हुई परतों को अपने मुंह में दबा कर उसका रस चूसना शुरू कर दिया ..
शीला के हाथ पंडित के चोटी वाले सर को पकड़ कर उसे और जोर से अपनी चूत पर दबा कर उत्साहित कर रही थी की और जोर से चूस ...इतने से कुछ नहीं होने वाला ..
रितु अपने सामने इतना कामुक कार्य देखकर खुद को ना रोक पायी और घुटनों के बल नीचे जमीन पर बैठकर वो और करीब से पंडित के द्वारा की जा रही मुख चुसाई देखने लगी ..इसका दोहरा फायेदा था, एक तो वो और करीब से उन्हें देख पा रही थी, दूसरा उसकी कमर से नीचे वाला हिस्सा पंडित और शीला की नजरों से दूर होने की वजह से वो अपनी चूत के ऊपर हाथ फेरा कर अपनी कसक को दबा सकती थी ..और उसने किया भी ऐसा ही ..बैठने के साथ ही उसका हाथ सीधा अपनी रसीली और कसी हुई चूत के ऊपर गया और उसने अपनी फ्रोक के ऊपर से ही अपनी चूत को जोर से मसल दिया ...

उम्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह ..
एक दबी हुई सी सिसकी उसके मुंह से भी फुट ही गयी, जिसे पंडित के तेज कानो ने सुन लिया ..
और वो मंद ही मंद मुस्कुरा कर शीला के शहद को और तेजी से पीने लगा ..
वो अपनी जीभ से शीला की क्लिट को चुभला भी रहा था ताकि उसे और भी ज्यादा मजे मिल सके ..और उसका मजा देखकर रितु भी और ज्यादा उत्तेजित हो पाए और अपनी शर्म हया छोड़कर पंडित के सामने अपनी इच्छा का इजहार खुल कर कर दे .
अचानक शीला ने अवीश में आकर अपने बांये हाथ से रितु के चेहरे पर अपनी उँगलियाँ फेराई और उन्हें घुमा फिरा कर उसके होंठों पर लेजाकर उसके मुंह में घुसेड दी ..
पहले तो रितु को समझ में नहीं आया की शीला की उगलियों का क्या करे ..पर अन्दर से आ रही आवाज को पहचान कर उसने शीला की उँगलियों को धीरे - २ चूसना शुरू कर दिया ...
अपनी चूत और उँगलियाँ एक साथ चुसवा कर शीला की हालत और भी पतली होने लगी ..और वो और जोर से चिल्ला कर अपनी ख़ुशी का इजहार करने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म घ्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म .. और तेज .... चॊओस्स ऒऒओ ..... उम्म्म्म्म ...
पंडित और रितु दोनों ने उसकी आज्ञा का पालन करते हुए चूत और ऊँगली और तेजी से चूसनी शुरू कर दी ..रितु की उँगलियाँ और तेजी से अपनी चूत की फांकों पर चलने लगी ..उसके हाथों की थिरकन देखकर पंडित को साफ़ महसूस हो रहा था की वो क्या कर रही है ..
शीला ने अपनी उँगलियों को रितु के दांतों में फंसा कर उसे अपनी तरफ खींचा ..और अपने चेहरे पर लाकर अपना हाथ बाहर खींच लिया ...और उसके कच्चे और कोमल होंठों को अपने मुंह में दबोचकर खुन्कार लोमड़ी की तरह उसे चूसने लगी ..
अपने ऊपर हुए ऐसे हमले की उम्मीद रितु को बिलकुल भी नहीं थी ...वो तो बस शीला की तरफ खींचती चली गयी और उसके परिपक्व होंठों के बीच अपने गुलाबी होंठों की पंखुड़ियों को मसलते पाकर अपनी आँखे बंद कर ली ..
रितु के मुंह से निकली शीला की उँगलियों को पंडित ने अपनी तरफ खींचा और उन्हें चूसने लगा ...
अह्ह्ह्ह ....क्या मीठा एहसास था ...रितु के मुंह से निकली उँगलियों की नमीं का ..कितनी मीठी लग रही थी वो ...अगर उसके होंठों को चूस लिया जाए तो कितनी मिठास निकलेगी उनमे से ...येही सोचकर पंडित काफी उत्तेजित हो गया और उसने एक झटके से अपनी धोती उतार फेंकी और उठकर अपने लंड को शीला की चूत के ऊपर रख दिया ...
अपने चूत द्वार पर लंड महाराज को आया देखकर उसने रितु को समुच करना छोड़ दिया ..और अपना पूरा ध्यान पंडित के लंड के ऊपर लगा दिया ..
रितु तो जैसे किसी सुखद सपने से जागी शीला के कोमल होंठों ने उसे पूरी तरह से चूस डाला था ..और जैसे ही उसने उसे छोड़ा उसने अपनी आँखे खोल दी और शीला की आँखों की तरफ देखा जो पंडित जी के लंड घूर रही थी ...
और जैसे ही शीला की आँखों का पीछा करते हुए रितु की नजरें पंडित के लंड पर गयी उसका मुंह खुला का खुला रह गया ...
''इतना ....बड़ा .......ल .....लंड .......ओह्ह ....माय गॉड .....''
उसने इतनी पास से और इतने बड़े लंड को नहीं देखा था ...गिरधर का ही तो देखा था उसने और वो भी दूर से ...और दूर से देखने पर तो अच्छी खासी चीज भी छोटी ही लगती है ...
पर पंडित के मोटे और लम्बे लंड को देखकर वो पलकें झपकाना भूल गयी और उसे घूर कर देखने लगी ..
पंडित ने बड़े आराम से अपने लंड को मसला और बोले : "रितु ...अब मैं तुम्हे मानव जीवन के सबसे बड़े अध्याय से अवगत करवा रहा हु ...जिसे काम क्रीडा यानी चुदाई कहते हैं ...चुदाई के लिए आदमी अपने लंड को स्त्री की चूत के अन्दर डालता है ....ऐसे ...और अन्दर बाहर धक्के लगता है ..."
और इतना कहकर पंडित ने शीला के अन्दर अपना लंड एक ही झटके में पेलकर जोरों से धक्के मारने शुरू कर दिए ..
शीला की आनंदमयी चीखे उसे मिल रहे मजे को बयान कर रही थी ...
''अह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म ....पंडित .....जोर से ...चोदो ओ ...अह्ह्ह्ह्ह ...उम्म्म उ ह्ह्ह्ह ,,,,अह्ह्ह ...अह्ह्ह्ह ...ओफ्फ्फ ओम्म्म्म ....... अह्ह्ह्ह ...अग्ग्ग्घ्ह्ह्ह ...मैं तो गयी ......"
और इतना कहकर वो निढाल हो गयी ...
रितु से सहन करना मुश्किल हो गया ...और उसने अपनी फ्रोक को ऊपर उठाया और कच्छी को साईड में करके अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगी ...जैसा की गुरूजी यानी पंडित ने बताया था ..
पंडित अपने झटके मारता रहा ..और अंत में आकर उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया ...और
रितु के मासूम और कामुक हो चुके चेहरे को देखकर उसने अपने लंड की पिचकारियाँ शीला के पेट पर छोड़नी शुरू कर दी ...
इतना सारा रस निकलता हुआ देखकर रितु ने भी उँगलियों की तेजी बड़ा दी और एक जोरदार विस्फोट के साथ उसकी चूत में से भी ढेर सारा रस पहली बार कोमार्य की कच्ची धानी से निकल कर बाहर आ गया ..
उसकी साँसे फूल गयी ...
उसका सर चकरा गया ...और वो वहीँ शीला की बगल में ढेर हो गयी ...
पंडित ने अपना लंड साफ़ किया ..और समझ गया की अब रितु उसके जाल में पूरी तरह से फंस चुकी है ...
थोड़ी देर तक आराम करने के बाद शीला अपने कपडे पहन कर तैयार हो गयी और जाने लगी ...जाते हुए पंडित ने उसे धीरे से कहा की कल आने की कोई जरुरत नहीं है ...वो समझ गयी की कल पंडित जी रितु का उदघाटन करेंगे ...
थोड़ी देर बाद रितु भी बिना कुछ कहे चली गयी ...
अब पंडित को कल का इन्तजार था ...

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