पंडित & शीला पार्ट--15
गतांक से आगे ......................
उसके घर के पास पहुंचकर पंडित ने इधर उधर देखा और अन्दर कूद गया ..और पीछे की तरफ से घूमकर गिरधर के कमरे की खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया ..जो खुली हुई थी और वहां काफी अँधेरा भी था ..इसलिए उसे कोई देख भी नहीं सकता था ..
गिरधर थोड़ी देर पहले ही आया था इसलिए अपने कपडे बदल रहा था ..
बाहर से माधवी की आवाज आई : "भूख लगी है तो खाना लगाऊ ?..."
गिरधर : "भूख तो लगी है पर खाने की नहीं ...किसी और चीज की ..जल्दी से अन्दर आ जा अब ..."
पंडित समझ गया की शो शुरू होने वाला है ..
माधवी अन्दर आई, उसके चेहरे की लाली बता रही थी की चुदने की इच्छा उसके अन्दर भी कुलबुला रही है ..पंडित ने उसकी चूत को चाटकर उसके अन्दर की वासना को काफी भड़का दिया था, अब उसे किसी भी कीमत पर अपने अन्दर लंड चाहिए था ..
जैसे ही माधवी ने दरवाजे की चिटखनी लगाई, गिरधर ने पीछे से उसके मुम्मे पकड़ कर जोर से दबा दियी ...माधवी की सिसकारी निकल गयी ..
"अह्ह्ह्ह्ह्ह ....धीरे .....रितु साथ वाले कमरे में ही है ....वो ना जाग जाए ..."
रितु का नाम सुनते ही पंडित के साथ -२ गिरधर का हाथ भी अपने लंड के ऊपर चला गया ...और उन दोनों ने लगभग एक ही अंदाज में रितु के नाम से अपने लंड महाराज को मसल दिया ..
गिरधर के सामने तो माधवी की फेली हुई गांड थी सो उसने अपने लंड का भाला उसके गुदाज चूतडों में घोंप दिया ..पर पंडित बेचारा अपने खड़े हुए लंड को अपने ही हाथों से सहलाकर दिल मसोस कर रह गया ...
माधवी ने अपना चेहरा पीछे करके गिरधर के चेहरे को पकड़ा और उसे चूसने लगी ...
उन्हें चूसते हुए देखकर पंडित का मन हुआ की अन्दर चलकर उनके साथ ही खेल में शामिल हो जाए ..क्योंकि दोनों ही उसे नहीं रोकेंगे ...पर ये समय सही नहीं है ..ये सोचकर वो बस उनका खेल देखने में ही लगा रहा ..
गिरधर ने अपने कपडे जल्दी से उतार दिये और माधवी को अपनी तरफ घुमा कर उसके गाऊन को पकड़कर ऊपर से निकाल दिया और उसे नंगी करके अपने सीने से लगा कर चूमने लगा ..
माधवी उसकी में मचल सी गयी : "अह्ह्ह्ह .....धीरे ....आज मैं कुछ भी करने से मना नहीं करुँगी ....जो भी करना है ...जैसे भी करना है ..कर लो ...और मुझसे भी करवा लो .."
उसकी बात सुनकर गिरधर के साथ -२ पंडित भी उत्तेजित हो गया ...काश हमारे देश की हर औरत अपने पति या बॉय फ्रेंड को ऐसे ही बोले तो कोई भी उनके साथ चीटिंग ना करे और बाहर मुंह ना मारे ..
गिरधर ने उसके सर के ऊपर हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ दबा दिया ..और माधवी भी पालतू कुतिया की तरह अपने मालिक की आज्ञा का पालन करती हुई अपने पंजो पर बैठ गयी और गिरधर के लंड को अपने मुंह में लेकर जोरों से चूसने लगी ...
अचानक चूसते - २ उसने लंड बाहर निकाल दिया और गिरधर की तरफ देखकर गुस्से से बोली : " ये किसकी चूत का रस लगा हुआ है तेरे लंड पर ...बोल किसके साथ मजे लेकर आ रहा है .."
पंडित और गिरधर ने अपना -२ सर पीट लिया ..
शीला की चूत मारकर उसने अपना लंड धोया नहीं था ..और जैसे उसने पंडित के लंड को चूसते हुए बोल दिया था वैसे ही उसने अपने पति को भी रंगे हाथों पकड़ लिया ..
गिरधर : "अरे पागल हो गयी है क्या ...मैंने कहाँ जाना है ..."
बेचारा हकलाता हुआ उसे जवाब दे रहा था ..उसकी समझ में नहीं आ रहा था की क्या बोले और क्या नहीं ...
माधवी : "मैं समझ गयी ...तुम जरुर पंडित के घर पर किसी के साथ मजे कर रहे थे ..क्योंकि यही गंध मैंने पंडित के ल ......."
इतना कहते -२ वो रुक गयी ...अपनी गलती पर उसे अब पछतावा हो रहा था ..की आवेश में आकर वो क्या कह गयी ..
तीर कमान से निकल चुका था ..अब कुछ नहीं हो सकता था ..जो माधवी थोड़ी देर पहले गुस्से में पागल होकर गिरधर के ऊपर बरस रही थी अब वो भीगी बिल्ली बनकर उसके पैरों के पास बैठी हुई अपनी नजरें चुरा रही थी ..
गिरधर : "मुझे पता है की तुम पंडित जी के साथ क्या -२ मस्ती लेकर आई हो .."
उसकी बातें सुनते ही उसने चोंक कर अपना सर ऊपर उठाया ..
गिरधर आगे बोल : "पंडित जी को मैंने अपनी समस्या बताई थी और उन्होंने ही मेरे कहने पर तुम्हे वो सब सिखाने के उदेश्ये से किया था ..कल भी और अभी थोड़ी देर पहले भी जो तुमने पंडित जी के साथ किया, मुझे सब पता है उसके बारे में .."
वो चुपचाप बैठी उसकी बातें सुनती रही ..
वो आगे बोला : "और तुम भी सही हो अपनी जगह ..पंडित जी और मैंने मिलकर एक औरत के साथ आज काफी मजे लिए ...उसका नाम शीला है ..तुम शायद जानती हो उसे .."
माधवी को ध्यान आ गया की पंडित जी ने उसी से रितु को पढ़ाने के लिए बोला है ..उसने हाँ में सर हिला दिया ..
गिरधर : "तुमने पिछले २ महीनो से जो व्यवहार मेरे साथ किया है , उसकी वजह से मेरे अन्दर काफी उत्तेजना भर चुकी थी ..जिस्म की प्यास एक ऐसी चीज है जो इंसान से क्या से क्या करवा देती है ..इसलिए जब पंडित जी ने शीला के साथ सेक्स करने का मौका दिया तो मैं मना नहीं कर पाया .. और हमने मिलकर उसके साथ ...चुदाई की ..."
एक साथ २-२ लंडो से शीला की चुदाई की बात सुनकर माधवी के रोंगटे खड़े हो गए ..उसके निप्पल भी अपने 1 इंच के आकार में आकर सामने की तरफ निकल आये ..जिसे पंडित की पेनी नजरों ने दूर से ही देख लिया ..और वो समझ गया की ये बात सुनकर वो उत्तेजित हो रही है ..
गिरधर : "और हम वो सब कर ही रहे थे की तू वहां आ गयी, इसलिए मैं उस शीला के नंगे जिस्म के साथ वहीँ बाथरूम में छुप गया, और मैंने वहां से बैठकर तुझे पंडित के साथ वो सब करते हुए देखा .."
बेचारी ने अपना सर शर्म से फिर से झुका लिया .
गिरधर : "और सच कहु ..तुम्हे पंडित जी का लंड चूसते हुए देखकर मुझे गुस्सा तो बहुत आया था ..पर एक अजीब सा उत्साह और उत्तेजना भी आ गयी थी ..और जिस शीला को थोड़ी देर पहले पंडित जी ने बुरी तरह से चोदा था उसे मैंने वहीँ बाथरूम में फिर से चोदना शरू कर दिया ..इसलिए तुम्हे उस वक़्त पंडित जी के लंड से वही गंध आई जो अब मेरे लंड से आ रही है ..क्योंकि दोनों एक ही जगह से होकर आये हैं .."
गिरधर ने सब सच -२ बोलकर पूरी पिक्चर साफ़ कर दी ..
गिरधर तो आदमी था और आदमी तो ऐसे अवेध संबंधों के बाद नहा धोकर साफ़ हो जाता है पर औरत अगर वही काम करे तो समाज या उसके सगे सम्बन्धी उसे जीने नहीं देते ..ये ना जाने कैसा सामाजिक कानून है हमारे देश का ..
माधवी : "इसका मतलब तुम्हे मेरे और पंडित जी के संबंधों से कोई परेशानी नहीं है ..?"
गिरधर : "नहीं ..अगर तुम इसमें खुश हो और तुम्हे मजा आ रहा है तो इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है .."
पंडित ने मन ही मन सोचा 'हाँ बेटा ..तुझे क्या परेशानी हो सकती है ..एक तो तेरी पोल पट्टी खुलने के बाद भी तू बच गया ..और ये सब अभी भी इसलिए कह रहा है की आगे के लिए भी तेरा रास्ता साफ़ हो जाए और माधवी भी दोबारा कुछ करने से ना टोके ...'
अपने पति की तरफ से से खुली छूट मिलने की ख़ुशी में माधवी ने एक जोरदार झटके से गिरधर के लंड को दोबारा अपने मुंह में दबोचा और उसे सड़प -२ करके चूसना शुरू कर दिया ..
गिरधर के लंड पर शायद उसके दांत लग गए थे ...वो बिलबिला उठा ..
'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......साssssssss लीssssssssss कुतिया .......धीरे ......उन्न्न्न्ह्ह्ह '
अचानक पंडित के कानों में साथ वाले कमरे से कुछ आवाज आई ..वो साथ वाली खिड़की से अन्दर झाँकने लगा ..वहां रितु सोयी हुई थी ..और गिरधर के चिल्लाने की वजह से उसकी नींद एकदम से खुल गयी और वो उठ खड़ी हुई ..और हडबडाहट में वो अपने बेड के साथ पड़े टेबल से जा टकराई ..आवाज धीरे थी जो माधवी और गिरधर तक नहीं पहुंची पर पंडित ने सुन ली थी ..
रितु ने हमेशा की तरह वही लम्बी फ्राक पहनी हुई थी ..वो नींद के आलम में खड़ी हुई सोच रही थी की आवाज कहाँ से आई, तभी गिरधर के मुंह से एक और सिसकारी निकल गयी ..
आज माधवी कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी अपने पति पर ..और वो पंडित से सीखी हुई लंड चुसाई की कला का पूरा उपयोग अपने पति के लंड पर कर रही थी ..
गिरधर : "अह्ह्ह .....धीरे ....चूस ......ऐसी खुन्कार तो तू आजतक नहीं दिखी ..."
अब उसे क्या पता था की ये तो माधवी का ख़ुशी जाहिर करने का तरीका था, गिरधर ने उसे पंडित के साथ मजे करने की पूरी छूट जो दे दी थी ..उसके बदले अपने पति को पूरी ख़ुशी देना तो बनता ही था ना ...
गिरधर के कमरे और रितु के कमरे के बीच एक दरवाजा भी था, जो हमेशा बंद ही रहता था ..दोनों कमरों में जाने के लिए बाहर से ही एक - २ दरवाजा था ..और कभी भी बीच का दरवाजा खोलने की जरुरत नहीं पड़ी ..
रितु अब तक समझ चुकी थी की उसकी माँ और पिताजी के बीच चुदाई का महासंग्राम हो रहा है ..और उसे भी अब तक इन सब बातों का ज्ञान होने लग गया था ..पहले तो उसके पिताजी ने ही उसके कुंवारे होंठों को पीकर उसे जीवन में पहली बार स्वर्ग के मजे दिलाये थे और उसके उरोजों को मसलकर उसकी भावनाओं को भी भड़काया था ..और उसके बाद पंडित जी ने भी अपनी ज्ञान भरी बातों से उसके मन से अज्ञानी बादल हटाये थे ..
वो दबे पाँव दरवाजे के पास पहुंची और इधर - उधर देखकर उसने एक छेद ढून्ढ ही लिया और उसमे आँखे लगा कर दुसरे कमरे में अपने माँ बाप के बीच हो रहे प्यार भरे लम्हों को देखने लगी ..
पंडित ने पहले तो शुक्र मनाया की उसकी आँख पहले नहीं खुली और उसने गिरधर और माधवी के बीच होने वाली बातें नहीं सुनी ..वर्ना आगे के लिए उसे पटाने में प्रोब्लम हो सकती थी ..
दुसरे कमरे में देखते ही उसकी सिट्टी पिट्टी गम हो गयी ...उसके पिताजी का लम्बा खूंटा उसकी माँ चूस चूसकर मरी सी जा रही थी ...ऐसा लग रहा था की जिन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी माधवी को सिर्फ लंड चूसने में ही मिलती है ..उसका उत्साह और उत्तेजना देखते ही बनती थी ..
रितु के नन्हे -२ निप्पल खड़े हो गए और उसका एक हाथ अपने आप उनपर जाकर उनके अकार का जायजा लेने लगा ..
पंडित का लंड भी धोती में तम्बू बना कर खडा था , उसने अपनी धोती खोल कर जमीन पर गिरा दी और अपने लंड को हाथ में लेकर मसलने लगा ..
पंडित ऐसी जगह पर खड़ा था की एक कदम इधर खिसकने से उसे गिरधर और माधवी के कमरे का नंगा नजारा देखने को मिल रहा था और दूसरी तरफ कदम खिसकाने से रितु अपने छोटे-२ अमरुद मसलती हुई, अपने ही माँ बाप को मजे लेते हुए देखकर, दिखाई दे रही थी ..
गिरधर ने माधवी को ऊपर खींचा उसकी एक टांग उठाकर अपने हाथ में रख ली और अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसकी चूत में लगाकर नीचे से एक जोरदार शॉट मारकर अपने अपोलो को उसकी गेलेक्सी में धकेल दिया ..
'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म .....ओह्ह्ह ..तरस गयी थी ....मैं ...इसे अन्दर लेने के लिए ...अह्ह्ह्ह .... उम्म्म्म्म ...पुरे दो महीने बाद प्यास बुझी है इसकी ...आज तो इतना चोदो मुझे .....की सारी कसर निकल जाए ...अह्ह्ह्ह ...'
गिरधर को उसकी बातों से ये भी पता चल गया की उसने पंडित के साफ़ सिर्फ चुसम चुसाई ही की है ...चुदाई नहीं . पर पंडित का लंड जब उसकी पत्नी की चूत में जाएगा तो कैसे मचलेगी वो ...ये सोचते हुए उसने अपने धक्कों की स्पीड और तेज कर दी ..
माधवी के मुम्मे गिरधर के लंड के हर झटके से आसमान की तरफ उछल जाते ...और फिर उतनी ही तेजी से दोबारा नीचे आते ..ऐसे झटके जिन्दगी में पहली बार मिल रहे थे माधवी को ...उसने अपनी बातों और हरकतों से गिरधर को इतना उत्तेजित कर दिया था की वो आज उत्तेजना के एक नए आयाम को छुने को आतुर था ..
पंडित ने मन में सोचा 'अगर कुछ गलत काम करने से ऐसे मजे मिले तो वो काम करना गलत नहीं है ..आज उसकी वजह से ही उनके रूखे सूखे दम्पंत्य जीवन में एक नए रक्त का संचार हो पाया है ..'
पंडित मन ही मन अपने किये हुए कार्य पर गर्व महसूस करके मुस्कुराने लगा ..
उसने खिसककर रितु के कमरे में झाँका तो उसकी बांछे खिल उठी ...अपने माँ बाप को बुरी तरह से चुदाई करते हुए देखकर वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी थी ...उसने अपने स्तनों को बुरी तरह से मसलकर अपने अन्दर मचल रही उत्तेजना को शांत करने की कोशिश की और जब वो नाकाम रही तो उसने एक ही झटके में अपनी फ्रोक को अपने सर के ऊपर से उतार कर एक तरफ फेंक दिया ..और अब था पंडित की लार टपकाती हुई आँखों के सामने कमसिन रितु का नंगा जिस्म ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह .....रितु .....म्मम्मम .
पंडित ने अपना लंड मसलते हुए एक दबी हुई सी सिसकारी मारकर अपने लंड को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया ..

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